गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन लेकिन खरीद सिर्फ 262 लाख टन, केंद्रीय पूल में एक जून को गेहूं स्टॉक पिछले साल के करीब

केंद्र सरकार के एक सप्ताह के भीतर गेहूं को लेकर दो महत्वपूर्ण आंकड़े आए हैं। कृषि मंत्रालय ने 25 मई, 2023 को जारी कृषि वर्ष 2022-23 के उत्पादन के तीसरे अग्रिम अनुमानों में बताया है कि इस साल गेहूं का रिकॉर्ड 11.27 करोड़ टन का उत्पादन हुआ है जो पिछले साल के मुकाबले 50 लाख टन अधिक है। वहीं 1 जून, 2023 को खाद्य मंत्रालय ने गेहूं की सरकारी खऱीद के आंकड़े जारी करते हुए कहा है कि 30 मई, 2023 तक गेहूं की सरकारी खऱीद 262 लाख टन पर पहुंच गई है। साथ ही यह भी बताया कि 1 जून, 2023 को केंद्रीय पूल में 312 लाख टन का स्टॉक है। भारतीय खाद्य निगम के आंकड़ों के मुताबिक केंद्रीय पूल में 1 जून, 2022 को गेहूं का स्टॉक 311.42 लाख टन था। यानी पिछले साल और इस साल का 1 जून का केंद्रीय पूल का स्टॉक लगभग एक सा है। अब सवाल है कि जब उत्पादन रिकॉर्ड है तो गेहूं की खऱीद 341.5 लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले अभी 262 लाख टन तक ही क्यों पहुंची है। साथ ही बाजार में गेहूं की कीमतें चालू रबी मार्केटिंग सीजन (2023-24) के लिए तय 2125 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक चल रही हैं। ऐसे में सरकारी खऱीद में कोई महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की संभावना अब न के बराबर है

गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन लेकिन खरीद सिर्फ 262 लाख टन, केंद्रीय पूल में एक जून को गेहूं स्टॉक पिछले साल के करीब

केंद्र सरकार की तरफ से एक सप्ताह के भीतर गेहूं को लेकर दो महत्वपूर्ण आंकड़े आए हैं। कृषि मंत्रालय ने 25 मई, 2023 को जारी कृषि वर्ष 2022-23 के उत्पादन के तीसरे अग्रिम अनुमानों में बताया है कि इस साल गेहूं का रिकॉर्ड 11.27 करोड़ टन का उत्पादन हुआ है जो पिछले साल के मुकाबले 50 लाख टन अधिक है। वहीं 1 जून, 2023 को खाद्य मंत्रालय ने गेहूं की सरकारी खऱीद के आंकड़े जारी करते हुए कहा है कि 30 मई, 2023 तक गेहूं की सरकारी खऱीद 262 लाख टन पर पहुंच गई है। साथ ही यह भी बताया कि 1 जून, 2023 को केंद्रीय पूल में 312 लाख टन का स्टॉक है। भारतीय खाद्य निगम के आंकड़ों के मुताबिक केंद्रीय पूल में 1 जून, 2022 को गेहूं का स्टॉक 311.42 लाख टन था। यानी पिछले साल और इस साल का 1 जून का केंद्रीय पूल का स्टॉक लगभग एक सा है। अब सवाल है कि जब उत्पादन रिकॉर्ड है तो गेहूं की खऱीद 341.5 लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले अभी 262 लाख टन तक ही क्यों पहुंची है। साथ ही बाजार में गेहूं की कीमतें चालू रबी मार्केटिंग सीजन (2023-24) के लिए तय 2125 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक चल रही हैं। ऐसे में सरकारी खऱीद में कोई महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की संभावना अब न के बराबर है।

ऐसे में उत्पादन के अनुमानों को लेकर सवाल खड़े हो सकते हैं। पिछले साल मार्च के मध्य में तापमान में असामान्य बढ़ोतरी के चलते गेहूं की उत्पादकता बुरी तरह प्रभावित हुई थी। किसानों ने तब बताया था कि कई जगह उत्पादन 15 से 20 फीसदी तक गिर गया था। अहम बात यह है कि पिछले साल वैश्विक बाजार में गेहूं के दाम बहुत तेजी से बढ़े थे और यह 500 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गये थे। इसके चलते भारत से 2021-22 और उसके बाद 2022-23 में गेहूं का निर्यात तेजी से बढ़ा था। घरेलू बाजार में कीमतें सरकारी खऱीद शुरू होने के साथ ही एमएसपी से ऊपर चली गई थी। ऐसें में सरकारी खऱीद 187.92 लाख टन पर अटक गई थी। वह भी तब जब सरकार ने 13 मई, 2022 को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

अब बात इस साल की करें। सरकार ने दिसंबर, 2022 में गेहूं की कीमतों के 3000 रुपये प्रति क्विटंल को पार कर जाने के बाद बड़े पैमाने पर केंद्रीय पूल से गेहूं की बिक्री की। ओपन मार्केट बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत 50 लाख टन गेहूं की बिक्री करने की घोषणा की गई। इसमें से करीब 34 लाख टन की बिक्री मार्च तक की गई। साथ ही ओएमएसएस के तहत रिजर्व कीमत को 2140.46 रुपये प्रति क्विंटल तक लाया गया। नतीजतन बाजार में गेहूं की कीमतें एमएसपी के करीब आ गईं। ऐसे में रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद सरकारी खऱीद का अभी तक लक्ष्य से 79.5 लाख टन पीछे रहना भी सवाल खड़ा करता है। वह भी तब जब सरकारी अधिकारी बार-बार बयान देते रहे कि गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रहेगा।  

हालांकि सरकार ने पिछले साल से अधिक गेहूं की सरकारी खऱीद की है लेकिन 1 जून, 2023 और 1 जून, 2022 के स्टॉक के बीच बहुत बड़ा अंतर नहीं है। ऐसे में सरकार के पास खुले बाजार में कीमतों में भारी बढ़ोतरी की स्थिति में हस्तक्षेप करने के लिए वैसी ही क्षमता है जैसी पिछले साल थी। यह बात अलग है कि पिछले साल सरकार द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में बाद के कुछ माह में गेहूं की बजाय चावल का अधिक आवंटन करना पड़ा था और उसके बाद इस योजना को मिलाकर नई योजना लागू कर दी गई जिसमें पांच किलो मुफ्त अनाज राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत दिया जाता है। जबकि गरीब कल्याण अन्न योजना के समय पांच किलो अनाज मुफ्त में दिया जाता था और पांच किलो अनाज राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत दिया जाता था जिसमें गेहूं की कीमत दो रुपये किलो और चावल की कीमत तीन रुपये किलो थी। ऐसे में अगर चुनावी साल में राजनीतिक फायदे के लिए सरकार आवंटन बढ़ाना चाहेगी तो गेहूं के मामले में उसके लिए मुश्किल होगी।

जहां तक उत्पादन को लेकर बात है तो पिछले साल स्वतंत्र अनुमान लगाने वाले एक्सपर्ट्स का कहना था कि उत्पादन नौ से साढ़े नौ करोड़ टन के करीब था। यही वजह थी कि निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद कीमतें अधिक बढ़ीं। इस साल भी मार्च और अप्रैल में बेमौसम की बारिश से गेहूं की फसल को नुकसान हुआ और एक्सपर्ट्स का मानना है कि प्रभावित फसल में 10 से 30 फीसदी तक नुकसान हुआ है। वहीं अगर सरकारी आंकड़ों पर जाएं तो रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद गेहूं की सरकारी खऱीद का 262 लाख टन पर रहना पिछले साल (2022-23) की असामान्य सरकारी खऱीद के पहले की अवधि में 2013-14 के मुकाबले सबसे निचला स्तर है। वहीं केंद्रीय पूल में पिछले साल को छोड़ दें तो 1 जून, 2023 को गेहूं का स्टॉक जून, 2015 से लेकर अभी तक का सबसे कम स्तर पर है। हालांकि इस तरह के कयास भी लगाये जा रहे हैं कि बेहतर कीमत की उम्मीद में किसानों ने सरकारी खरीद में बिक्री के बजाय गेहूं का कुछ स्टॉक अपने पास रखा हुआ है। रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद सरकारी खऱीद का लक्ष्य से पीछे रहने का यह भी एक कारण हो सकता है, लेकिन यह बात आने वाले दिनों में गेहूं की कीमतों के रुख से साफ हो जाएगी। 

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