ग्रामीण विकास में बढ़ेगी महिलाओं की भागीदारी, ‘संगठन से समृद्धि’ अभियान के तहत स्वयं सहायता समूहों से जुड़ेंगी 10 करोड़ महिलाएं

समावेशी विकास के तहत शुरू किए गए इस अभियान का मकसद कमजोर और सीमांत ग्रामीण परिवारों की 10 करोड़ महिलाओं को स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के तहत लाना है ताकि वे ऐसे कार्यक्रम के तहत दिए जा रहे लाभों को प्राप्त कर सकें। एसएचजी में पहले से 9 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। 1 करोड़ अतिरक्त महिलाओं को शामिल करने लिए "संगठन से समृद्धि" अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत 1.1 लाख स्वयं सहायता समूह बनाने की योजना है। यह विशेष अभियान 30 जून, 2023 तक चलेगा।  

ग्रामीण विकास में बढ़ेगी महिलाओं की भागीदारी, ‘संगठन से समृद्धि’ अभियान के तहत स्वयं सहायता समूहों से जुड़ेंगी 10 करोड़ महिलाएं
संगठन से समृद्धि अभियान की शुरुआत करते केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह एवं अन्य अधिकारी।

ग्रामीण महिलाओं, खासकर वंचित समुदाय की महिलाओं की आमदनी बढ़ाने और उनके लिए आजीविका के अवसर पैदा करने के लिए सरकार ने स्वयं सहायता समूह से 10 करोड़ महिलाओं को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) ने "संगठन से समृद्धि- किसी ग्रामीण महिला को पीछे नहीं छोड़ना" अभियान शुरू किया है।

समावेशी विकास के तहत शुरू किए गए इस अभियान का मकसद कमजोर और सीमांत ग्रामीण परिवारों की 10 करोड़ महिलाओं को स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के तहत लाना है ताकि वे ऐसे कार्यक्रम के तहत दिए जा रहे लाभों को प्राप्त कर सकें। एसएचजी में पहले से 9 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। 1 करोड़ अतिरक्त महिलाओं को शामिल करने लिए "संगठन से समृद्धि" अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत 1.1 लाख स्वयं सहायता समूह बनाने की योजना है। यह विशेष अभियान 30 जून, 2023 तक चलेगा।  

केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने नई दिल्ली में मंगलवार को इस अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि भारत की जनसंख्‍या में ग्रामीण आबादी का हिस्सा 65 फीसदी है। इसलिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि ग्रामीण महिलाओं को देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम बनाने के लिए हर संभव अवसर प्रदान किए जाएं। उन्‍होंने कहा कि जब सभी 10 करोड़ एसएचजी सदस्य लखपति दीदियां बन जाएंगी तब इसका देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर स्वतः काफी प्रभाव पड़ेगा। इसी विजन के साथ डीएवाई-एनआरएलएम शुरू किया गया था ताकि प्रत्येक ग्रामीण परिवार की कम से कम एक महिला सदस्य स्वयं सहायता समूह में शामिल हो सके और अपनी आजीविका में सुधार के लिए कार्यक्रम के अंतर्गत दिए गए अवसरों और वित्तीय सहायता का लाभ उठा सकें।

इस कार्यक्रम में विभिन्‍न राज्यों से एसएचजी की महिलाओं ने भाग लिया। बिहार, त्रिपुरा, तेलंगाना, महाराष्ट्र और हरियाणा की महिलाओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे डीएवाई-एनआरएलएम एसएचजी आंदोलन ने उन्‍हें आजीविका के अवसर पैदा करके गरीबी से बाहर निकलने में मदद की। इससे उन्‍हें आर्थिक स्‍वतंत्रता मिली और उनका सामाजिक सशक्तिकरण हुआ है।

इस अभियान के माध्‍यम से ग्राम संगठनों की सामान्‍य बैठकें आयोजित करके तथा एसएचजी चैम्पियनों द्वारा अनुभव साझा करने जैसे कदमों से छूटे हुए परिवारों को एसएचजी में शामिल करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके अलावा सामूहिक संसाधन व्‍यक्ति अभियान आयोजित किया जाएगा और पीएमएवाई-जी लाभार्थी परिवारों से पात्र महिलाओं को जुटाया जाएगा। नए एसएचजी सदस्‍यों को प्रशिक्षित किया जाएगा और निष्क्रिय एसएचजी को पुनर्जीवित किया जाएगा, एसएचजी बैंक खाते खोले जाएंगे तथा अन्‍य हितधारकों द्वारा संवर्धित एसएचजी का सामान्‍य डाटाबेस बनाया जाएगा।

इस अवसर पर डीएवाई-एनआरएलएम का प्रतिनिधित्व करते ग्रामीण विकास सचिव शैलेश कुमार सिंह, ग्रामीण आजीविका के अपर सचिव चरणजीत सिंह और ग्रामीण आजीविका संयुक्त सचिव स्मृति शरण उपस्थित थीं। कार्यक्रम में मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी मिशन निदेशक तथा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन  के वरिष्ठ कर्मचारी भी उपस्थित थे।

 

 

 

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