वर्ल्ड इकोनामिक फोरम ने भारत की कृषि को आधुनिक बनाने के लिए तैयार की एआई रोडमैप की रूपरेखा
रिपोर्ट में कहा गया है कि एआई का उपयोग भारत के 15 करोड़ किसानों को जलवायु परिवर्तन, मृदा क्षरण और छोटी जोत जैसी चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकता है। इसके बावजूद पांच में से एक से भी कम किसान वर्तमान में किसी भी प्रकार की डिजिटल तकनीक का उपयोग करते हैं, जो कम आय, कमज़ोर बुनियादी ढाँचे और वित्त की कमी से बाधित है
वर्ल्ड इकोनामिक फोरम (डब्ल्यूइएफ) ने गुरुवार को जारी एक नई रिपोर्ट में कहा कि भारत का कृषि क्षेत्र तकनीकी बदलाव के लिए तैयार है क्योंकि उत्पादकता और पैदा हो रही चुनौतियों के साथ सामंजस्य बैठाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का उपयोग बढ़ रहा है। भारत सरकार और BCG X के सहयोग से विकसित "फ्यूचर फ़ार्मिंग इन इंडिया: ए प्लेबुक फॉर स्केलिंग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन एग्रीकल्चर" नाम से आई यह रिपोर्ट, कृषि मूल्य श्रृंखला में एआई को एकीकृत करने के लिए एक व्यावहारिक रोडमैप प्रस्तुत करती है। यह रिपोर्ट तीन-भागों वाली रणनीति - सक्षम बनाना, उपयोगी मॉडल तैयार करना और उनको किसानों को हस्तांतरित करना की रणनीति पर केंद्रित है ताकि बेहतर डेटा सिस्टम का निर्माण किया जा सके, सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके और किसानों तक डिजिटल समाधान पहुँचाए जा सकें।
तेलंगाना की सागु बागू परियोजना को केस स्टडी के रूप में उपयोग करते हुए नतीजों को सामने रखने की बात रिपोर्ट में है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तेलंगाना की इस परियोजना में एआई का उपयोग करके 7,000 छोटे मिर्च किसानों को उपज में 21 फीसदी की वृद्धि और उर्वरक एवं कीटनाशकों के उपयोग में 9 फीसदी की कमी लाने में मदद मिली है। जो यह दर्शाती है कि कैसे डिजिटल तकनीक आय बढ़ा सकती हैं और टिकाउपन में सुधार कर सकती हैं
रिपोर्ट में कहा गया है कि एआई का उपयोग भारत के 15 करोड़ किसानों को जलवायु परिवर्तन, मृदा क्षरण और छोटी जोत जैसी चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकता है। इसके बावजूद पांच में से एक से भी कम किसान वर्तमान में किसी भी प्रकार की डिजिटल तकनीक का उपयोग करते हैं, जो कम आय, कमज़ोर बुनियादी ढाँचे और वित्त की कमी से बाधित है।
एआई को अपनाने के पैमाने को बढ़ाने के लिए, फोरम अलग-अलग उपकरणों या पायलटों के बजाय सरकारों, स्टार्ट-अप और अनुसंधान संस्थानों को जोड़ने वाले पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से प्रणालीगत सुधारों की वकालत करता है। रिपोर्ट में चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान की गई है - फसल नियोजन, मृदा-स्वास्थ्य विश्लेषण, कीट पूर्वानुमान और नियंत्रण, और एआई-संचालित बाज़ार, जो भारत के लिए सबसे अधिक प्रासंगिक हैं।
फोरम के अनुसार, मौसम के आंकड़ों और बाज़ार के रुझानों का उपयोग करके फसल नियोजन मॉडल किसानों को अधिक उत्पादन से बचने और कीमतों को स्थिर रखने में मदद कर सकते हैं। एआई-आधारित स्पेक्ट्रोस्कोपी के माध्यम से त्वरित मृदा-स्वास्थ्य परीक्षण वास्तविक समय की निगरानी प्रदान करता है, जबकि कीट पूर्वानुमान प्रणालियां, जैसे कि 2024 में शुरू की गई राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली, किसानों को प्रकोपों के प्रति सचेत करने के लिए छवि पहचान का उपयोग करती हैं। यह रिपोर्ट उन स्मार्ट बाज़ारों पर भी प्रकाश डालती है जो गुणवत्ता मूल्यांकन और मूल्य पारदर्शिता के लिए एआई का उपयोग करते हैं, जिससे किसानों को खरीदारों से सीधे जुड़ने में मदद मिलती है।
यह रिपोर्ट एआई प्रौद्योगिकियों के त्वरित उपयोग के लिए समावेशी बहु-हितधारक मार्ग (इम्पैक्ट एआई) ढांचे को भी सामने रखती है। यह एआई को ज़िम्मेदारी और समावेशी रूप से बढ़ाने के लिए भारत एआई मिशन, एग्री स्टैक और तेलंगाना एवं कर्नाटक में राज्य-सरकार द्वारा लागू कार्यक्रमों जैसे राष्ट्रीय प्रयासों को भी सामने रखती है।
रिपोर्ट में जिन तीन पिलर्स (स्तंभों) की बात की गई है उनमें "सक्षम" स्तंभ के अंतर्गत, सरकारों से एआई रोडमैप, नियामक सैंडबॉक्स और वित्तीय प्रोत्साहन विकसित करने का आग्रह किया जाता है। "सृजन" स्तंभ भारत के 97 आईसीएआर संस्थानों और 53 कृषि विश्वविद्यालयों के नेटवर्क के माध्यम से नवाचार पर केंद्रित है। "डिलीवर" स्तंभ अंतिम छोर तक अपनाने पर ज़ोर देता है, जिसमें दो लाख एग्रीकल्चर एक्सटेंशन अधिकारियों के लिए एआई उपकरण और किसान कॉल सेंटर तथा ओएनडीसी जैसे राष्ट्रव्यापी प्लेटफार्मों के साथ एकीकरण शामिल है।
डब्ल्यूइएफ की रिपोर्ट में सरकारों से कृषि में एआई पर विशेषज्ञ टीम स्थापित करने, किफायती, प्रमाणित समाधानों के सह-विकास के लिए स्टार्ट-अप्स और अनुसंधान एवं व्यावहारिक उदाहरणों के बीच सेतु निर्माण के लिए शिक्षाविदों को बी जोड़ने की बात करती है। रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत की नवाचार के प्रति तत्परता और उसका विस्तारित कृषि प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र, स्मार्ट और अधिक टिकाऊ खेती की ओर वैश्विक बदलाव का नेतृत्व करने का एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है।" डब्ल्यूइएफ ने कहा कि समन्वित कार्रवाई से, एआई छोटे किसानों की खेती को एक डेटा-संचालित और जलवायु-प्रतिरोधी प्रणाली में बदलने में मदद कर सकता है जो खाद्य सुरक्षा को मज़बूत करता है और राष्ट्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।

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