तुर्की और अजरबैजान के खिलाफ भारतीय व्यापारियों में रोष, उत्पादों व पर्यटन के बहिष्कार की मांग
भारतीय व्यापारियों का कहना है कि ऐसे देशों के साथ व्यापार जारी रखना उचित नहीं है जो भारत के खिलाफ पाकिस्तान का खुलकर साथ दे रहे हैं।

भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच तुर्की और अजरबैजान द्वारा पाकिस्तान को समर्थन दिए जाने को लेकर भारत में काफी रोष देखा जा रहा है। भारतीय व्यापारियों का कहना है कि ऐसे देशों के साथ व्यापार जारी रखना उचित नहीं है जो भारत के खिलाफ आतंकी मुल्क पाकिस्तान का खुलकर साथ दे रहे हैं।
व्यापारियों का कहना है कि जब ये देश भारत विरोधी रुख अपनाते हैं और खुलेआम पाकिस्तान का समर्थन करते हैं, तो ऐसे में उनके उत्पादों को भारत में बेचना और खरीदना राष्ट्रहित के खिलाफ है। व्यापारिक संगठनों ने देशभर के व्यापारियों से अपील की है कि वे तुर्की के कपड़े, परफ्यूम, सजावटी सामान और अजरबैजान के तेल उत्पादों समेत अन्य वस्तुओं की खरीद-बिक्री बंद करें।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस बहिष्कार का भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि भारत इन देशों के साथ महत्वपूर्ण व्यापारिक संबंध रखता है। खासकर अजरबैजान से भारत बड़ी मात्रा में कच्चा तेल आयात करता है।
तुर्की के सेब का आयात रोकने की मांग
हिमाचल प्रदेश के सेब बागवानों ने तुर्की के सेब और अन्य उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील की है। किसान नेता और हिमाचल प्रदेश फल-सब्जियां और फूल उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि तुर्की जैसे देशों से सेब आयात के कारण हिमाचल के बागवानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। देश के बाजारों में तुर्की का सेब भरा पड़ा होने से हिमाचल के सेब को सही दाम नहीं मिल पाता है। तुर्की ने पाकिस्तान का साथ देकर भारत के साथ धोखा किया है। ऐसे में तुर्की से सेब समेत अन्य वस्तुओं के आयात पर पूरी तक से रोक लगानी चाहिए।
महाराष्ट्र में पुणे के व्यापारियों ने भी तुर्की के सेब के बहिष्कार की मांग उठाई है। एक व्यापारी ने कहा, "हम तुर्की और अजरबैजान के सामान नहीं बेचेंगे और न ही खरीदेंगे। पाकिस्तान का साथ देने वाले देशों को सबक सिखाना जरूरी है।"
वस्तुओं और पर्यटन के बहिष्कार की अपील
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) समेत कई व्यापारिक संगठनों ने तुर्की और अजरबैजान के उत्पादों और पर्यटन के बहिष्कार का आह्वान किया है। कैट ने अपने सदस्यों और पूरे व्यापारी समुदाय से अपील की है कि वे तुर्की और अजरबैजान से आयातित वस्तुओं की खरीद और बिक्री बंद कर दें।
कैट के महासचिव और भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, “जो देश भारत के हितों के खिलाफ खड़े होते हैं, उनके उत्पादों के लिए भारत में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। हम स्थानीय व्यापार को बढ़ावा देंगे और 'वोकल फॉर लोकल' अभियान को और मजबूती देंगे।”
खंडेलवाल ने कहा कि तुर्की और अजरबैजान ने पाकिस्तान का समर्थन करके भारत की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। ये देश भारतीय पर्यटकों और व्यापार से होने वाली कमाई को भूल गए हैं। हम व्यापारियों और नागरिकों से अपील करते हैं कि इन देशों के उत्पादों का बहिष्कार करें। व्यापारिक संगठनों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि इन दोनों देशों के साथ व्यापारिक संबंधों की समीक्षा की जाए और जरूरत पड़ने पर आयात पर प्रतिबंध लगाया जाए।
आर्थिक प्रभाव
सोशल मीडिया पर अभियान
सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey और #BoycottAzerbaijan हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कई यूजर्स ने लिखा, "तुर्की और अजरबैजान ने आतंकवाद का समर्थन करने वाले पाकिस्तान का साथ दिया है। हमें इन देशों की यात्रा और उत्पादों का बहिष्कार करना चाहिए।"
तुर्की और अजरबैजान का रुख
तुर्की ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर को उकसावे वाला कदम बताया था और पाकिस्तान को ड्रोन और सैन्य मदद दी। अजरबैजान का रुख भी पाकिस्तान के समर्थन में रहा है।
गौरतलब है कि 23 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी। इसके जवाब में भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था। इस कार्रवाई की तुर्की और अजरबैजान ने निंदा करते हुए पाकिस्तान का समर्थन किया। पाकिस्तान ने भारत पर जो ड्रोन हमले किए, उनमें तुर्की के ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। भारत ने तुर्की के ड्रोन इस्तेमाल पर कड़ा ऐतराज जताया है।