रूस के रुख से ग्लोबल मार्केट में गेहूं के दाम में काफी उतार-चढ़ाव

गुरुवार को रूस ने स्पष्ट किया कि वह इस डील पर बातचीत में फिर से हिस्सा लेगा। उसके बाद गेहूं की कीमत भी 9.3 डॉलर प्रति बुशल के पुराने स्तर के आसपास लौट आई। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद मई के मध्य में दाम 12.8 डॉलर तक पहुंच गए थे। अक्टूबर में भी यूक्रेन पर रूस का हमला तेज होने के बाद गेहूं के दाम में वृद्धि हुई थी

रूस के रुख से ग्लोबल मार्केट में गेहूं के दाम में काफी उतार-चढ़ाव

यूक्रेन से अनाज निर्यात पर रूस के रुख को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले दिनों गेहूं के दाम में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। पहले तो 29 अक्टूबर 2022 को यह खबर आई कि रूस काला सागर के रास्ते यूक्रेन से खाद्यान्न निर्यात (ब्लैक सी ग्रेन इनीशिएटिव) के समझौते से पीछे हट गया है। इस खबर से पिछले हफ्ते की शुरुआत में शिकागो के सीबॉट (CBOT) में गेहूं के दाम बढ़ कर 9.78 डॉलर प्रति बुशल पर पहुंच गए।

यूक्रेन ने क्रीमिया में रूसी ठिकानों पर ड्रोन से हमला किया था। उसके बाद तीन महीने से चल रहे ‘ग्रेन कॉरीडोर डील’ पर खतरे के बादल मंडराने लगे थे। लेकिन गुरुवार को रूस ने स्पष्ट किया कि वह इस डील पर बातचीत में फिर से हिस्सा लेगा। उसके बाद गेहूं की कीमत भी 9.3 डॉलर प्रति बुशल के पुराने स्तर के आसपास लौट आई। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद मई के मध्य में दाम 12.8 डॉलर तक पहुंच गए थे। अक्टूबर में भी यूक्रेन पर रूस का हमला तेज होने के बाद गेहूं के दाम में वृद्धि हुई थी।

गेहूं के दाम बढ़ने से रूस के मित्र देशों के लिए भी संकट बढ़ गया था। तुर्की, यूक्रेन से काफी गेहूं आयात करता है और पिसाई करके अफ्रीकी देशों को निर्यात भी करता है। चीन, यूक्रेन से तो गेहूं आयात नहीं करता, लेकिन दूसरे देशों से करता है। यूक्रेन का गेहूं नहीं आने पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ते जिससे चीन को महंगा गेहूं खरीदना पड़ता। इसलिए माना जा रहा है कि मित्र देशों के दबाव में रूस ने नरमी दिखाई है।

डील पर संशय अभी बरकरार

लेकिन गेहूं के ग्लोबल ट्रेड पर खतरे के बादल अभी पूरी तरह नहीं छंटे हैं। तुर्की और संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता के बाद रूस से जो डील हुई थी, उसके तहत रूस ने 19 नवंबर तक यूक्रेन से गेहूं निर्यात की अनुमति दी थी। रूस उसे आगे बढ़ाएगा या नहीं, अभी यह स्पष्ट नहीं है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय गेहूं बाजार में फिलहाल अनिश्चितता का माहौल है। डील का आगे बढ़ना बहुत कुछ 15 नवंबर से इंडोनेशिया में होने वाले जी20 सम्मेलन पर निर्भर करेगा। भारत ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है, इसलिए यहां घरेलू बाजार पर रूसी घटनाक्रम का कोई कसर दिखने की संभावना कम ही है।

यूक्रेन का कहना है कि ब्लैक सी ग्रेन इनीशिएटिव के तहत 43 देशों को एक करोड़ टन कृषि उत्पाद निर्यात करने पर सहमति बनी है। यूक्रेन ने मुख्य रूप से स्पेन, तुर्की और इटली को गेहूं और मक्के का निर्यात किया है। अक्टूबर तक यूक्रेन करीब 68 लाख टन अनाज का निर्यात कर चुका है। यह उसके कुल स्टॉक का लगभग एक तिहाई है।

तुर्की की मध्यस्थता से पटरी पर वार्ता

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2 नवंबर को अपने अधिकारियों के साथ बैठक में कहा कि काला सागर के रास्ते यूक्रेन को मानवीय आधार पर अनाज निर्यात की जो अनुमति दी गई थी, यूक्रेन उसका दुरुपयोग कर रहा है और वहां तैनात रूसी बेड़े पर हमला कर रहा है। दरअसल रूस इस बात का आश्वासन चाहता था कि उसने यूक्रेन को अनाज निर्यात की जो अनुमति दी है, उसका कोई और इस्तेमाल नहीं होगा। इस घटनाक्रम के बाद तुर्की ने मध्यस्थता की। 

उक्त बैठक में पुतिन ने कहा, रूसी रक्षा मंत्रालय को तुर्की से आश्वासन मिला कि मानवीय कॉरिडोर का कोई सैनिक इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। पुतिन के अनुसार, “मैंने रक्षा मंत्रालय को पूर्ण सहयोग करने का निर्देश दिया। हालांकि अगर यूक्रेन इस गारंटी का उल्लंघन करता है तो रूस भी इस व्यवस्था से खुद को अलग कर सकता है।”

रूस का कहना है कि यूक्रेन से जिन गरीब देशों को अनाज का निर्यात हो रहा था, उसकी आपूर्ति करने के लिए वह तैयार है। रूस का यह भी दावा है कि यूक्रेन से अनाज का जो निर्यात हुआ उसका सिर्फ 4% गरीब देशों को गया, बाकी ज्यादातर गेहूं यूरोपियन यूनियन के देशों को भेजा गया है। पुतिन के अनुसार अगर यूक्रेन समझौता तोड़ता है तो रूस उन गरीब देशों को मुफ्त में गेहूं निर्यात करने के लिए तैयार है।

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