अमेरिका के सोयाबीन किसानों के लिए ट्रंप प्रशासन करेगा बड़े पैकेज का ऐलान, चीन के बहिष्कार से संकट गहराया
व्यापार युद्ध के बीच चीन द्वारा अमेरिकी सोयाबीन खरीदने से इनकार करने से अमेरिकी किसान संकट में फंस गए हैं। उन्हें दुनिया भर के छोटे बाजारों की तलाश करनी पड़ रही है। मांग कम होने से कीमतें कम बनी हुई हैं, निर्यात कम हो रहा है और भंडारण लागत बढ़ रही है।

अमेरिकी सरकार सोयाबीन किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सहायता पैकेज तैयार कर रही है। ये किसान चीन द्वारा अमेरिकी फसल खरीदने से लगातार इनकार के कारण भारी नुकसान झेल रहे हैं। वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि यह घोषणा मंगलवार को की जाएगी, जिसका उद्देश्य किसानों को दशकों के सबसे बुरे कृषि व्यापार संकटों में से एक से उबरने में मदद करना है।
बेसेंट ने कहा, "हम उनके साथ हैं।" उन्होंने बीजिंग पर अमेरिकी सोयाबीन किसानों को व्यापार वार्ता में "मोहरे" के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग चार हफ्तों में मिलेंगे, जहां सोयाबीन चर्चा का एक प्रमुख विषय होगा। बेसेंट ने कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व और शी के मन में उनके प्रति सम्मान को देखते हुए, इस पांचवें दौर की वार्ता एक महत्वपूर्ण सफलता साबित होनी चाहिए।"
लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी राहत पैकेज डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ से अमेरिका के सोयाबीन किसानों को हुए नुकसान की भरपाई नहीं कर पाएगा। अमेरिकी सोयाबीन एसोसिएशन के अध्यक्ष कालेब रैगलैंड ने एक बयान में कहा कि बेलआउट वह सुनहरा अवसर नहीं होगा, जैसा कि ट्रंप ने बताया है, क्योंकि अमेरिकी किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए बाजार की आवश्यकता है।
रैगलैंड ने कहा, "फिलहाल, हमारे सबसे बड़े निर्यात बाजार चीन में एक भी खरीदार नहीं है। वे अकेले हमारे सभी अन्य निर्यात बाजारों के बराबर सोयाबीन खरीदते हैं। और अभी उनकी तरफ से अमेरिकी सोयाबीन की खरीद नहीं हो रही है, इससे कीमतें कम हो रही हैं और कुल मिलाकर काफी अनिश्चितता पैदा हो रही है।"
सोयाबीन अमेरिका से निर्यात किया जाने वाला सबसे बड़ी कृषि उपज है, और इसकी सबसे ज़्यादा खेती इलिनॉइस में होती हैं। अमेरिका चीन को सोयाबीन का नंबर एक आपूर्तिकर्ता रहा है। लेकिन हाल में चीन ने अमेरिका पर अपनी निर्भरता लगातार कम की है और इसके बजाय ब्राज़ील, अर्जेंटीना और अन्य आपूर्तिकर्ताओं की ओर रुख किया है।
सोयाबीन बाजार अमेरिकी कृषि व्यापार में तनाव का सबसे स्पष्ट संकेत बन गए हैं। जनवरी से अगस्त 2025 तक चीन को अमेरिका का सोयाबीन निर्यात कुल मिलाकर केवल 218 मिलियन बुशल रहा, जो 2024 के 985 मिलियन बुशल से काफी कम है। तब चीन ने अमेरिका के कुल सोयाबीन निर्यात का लगभग आधा हिस्सा खरीदा था। जून, जुलाई और अगस्त के दौरान, अमेरिका से चीन ने नहीं के बराबर सोयाबीन आयात किया।
व्यापार युद्ध ने अमेरिकी सोयाबीन को उसके सबसे बड़े बाजार से बाहर कर दिया है। दो दशक से ज़्यादा समय में पहली बार चीनी आयातकों ने शरदकालीन फसल से एक भी खेप नहीं खरीदी है। नतीजतन, अमेरिकी किसान पांच साल के निचले स्तर पर कीमतों, अरबों डॉलर की बिक्री के नुकसान और बढ़ती भंडारण लागत से जूझ रहे हैं। जनवरी और जुलाई के बीच अमेरिका से चीन को निर्यात मात्रा की दृष्टि से 39% और मूल्य की दृष्टि से 51% गिर गया, जिससे किसानों को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ।
घाटे की भरपाई के लिए बेताब अमेरिकी व्यापार समूह और प्रशासन नए बाज़ार बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इन प्रयासों में नाइजीरिया में व्यापार मिशन और वियतनाम के साथ समझौता, साथ ही बांग्लादेश, मिस्र और थाईलैंड से बढ़ती खरीद शामिल हैं। हालांकि ये बाज़ार चीन की जगह लेने के लिए बहुत छोटे हैं। चीन अकेले वैश्विक सोयाबीन आयात का 60% से ज़्यादा खरीदता है। ताइवान द्वारा चार वर्षों में 10 अरब डॉलर के अमेरिकी कृषि उत्पाद खरीदने की प्रतिबद्धता भी इस कमी को पूरा करने में नाकाम रही है।
यह संकट अमेरिका के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक राज्य इलिनॉय में सबसे ज़्यादा गंभीर है, जहां किसानों को प्रति एकड़ 8 डॉलर तक का नुकसान हो रहा है। इलिनॉय के वाटरमैन के एक किसान रयान फ्राइडर्स ने कहा, "ऐसा कोई भी बाजार नहीं है जिस पर हमने ध्यान न दिया हो और जो अचानक नया चीन बन सकता है।"
कभी "दुनिया की सोया राजधानी" के रूप में जाना जाने वाला इलिनॉय का डेकाटूर अब इस उपाधि को ब्राज़ील के हाथों में जाते देख रहा है, जो अर्जेंटीना के साथ मिलकर चीनी खरीदारों के लिए एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन गया है।
ब्राज़ील के सोयाबीन की तुलना में लगभग 0.90 डॉलर प्रति बुशल कम मूल्य के बावजूद, चीन के 23% आयात शुल्क के कारण अमेरिकी शिपमेंट गैर-प्रतिस्पर्धी बने हुए हैं। इस शुल्क से लागत प्रति बुशल लगभग 2 डॉलर बढ़ जाती है। सितंबर में अर्जेंटीना से चीन की खरीदारी में तेजी आई, जिससे अमेरिकी निर्यातक और भी हाशिए पर चले गए।