केन्द्र सरकार ने गन्ने का एफआरपी पांच रूपये प्रति क्विंटल बढ़ाया

केंद्र सरकार ने पेराई सीजन 2021-22 के लिए गन्ने के एफआरपी में पांच रुपये प्रति क्विटंल की मामूली बढ़ोतरी की है। किसानों को अब 10 फीसदी चीनी की रिकवरी वाले गन्ने के लिए 290 रूपये प्रति क्विंटल का रेट मिलेगा जबकि पिछले साल सरकार ने 10 रूपये की प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करके बढ़ाकर एफआरपी को 285 रुपये किया गया था। एफआरपी केन्द्र सरकार द्वारा तय किया जाता है। वहीं उत्तर प्रदेश समेत दूसरे उत्तरी राज्यों में राज्य सरकारें राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) तय करती हैं और किसानों को चीनी मिलों द्वारा एसएपी का ही भुगतान किया जाता है

केन्द्र सरकार ने गन्ने का एफआरपी पांच रूपये प्रति क्विंटल बढ़ाया

नई दिल्ली

केंद्र सरकार ने पेराई सीजन 2021-22 के लिए गन्ने के फेयर एंड रिम्यूनेरेटिव प्राइस (एफआरपी) में पांच रुपये प्रति क्विटंल की मामूली बढ़ोतरी की है। किसानों को अब 10 फीसदी चीनी की रिकवरी वाले गन्ने के लिए  290 रूपये प्रति क्विंटल का  रेट मिलेगा जबकि पिछले साल सरकार ने 10 रूपये की प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करके  बढ़ाकर एफआरपी को 285 रुपये किया गया था।  एफआरपी केन्द्र सरकार द्वारा तय किया जाता है।  वहीं उत्तर प्रदेश समेत दूसरे उत्तरी राज्यों में राज्य सरकारें राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) तय करती हैं और किसानों को चीनी मिलों द्वारा एसएपी का ही भुगतान किया जाता है। अगर गन्ने में चीनी की रिकवरी  9.5 फीसदी है तो उनको 275.5 रूपये प्रति क्विंटल का कम दाम मिलेगा।

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा अपने राज्य के किसानों के लिए अपना एसएपी तय करते हैं।अभी हाल ही में  पंजाब सरकार ने गन्ने की एसएपी को 50 रुपये बढ़ाने की घोषणा की है । इस तरह उत्तर भारत के राज्यों में अभी पंजाब के किसानों को सबसे ज्यादा  गन्ना मूल्य  मिलेगा।

केन्द्र सरकार के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने  प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि एफआरपी पांच  रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर 290 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। उन्होंने बताया कि  पिछले साल एफआरपी में 10 रु प्रति क्विटंल की बढ़ोतरी की गई थी।  पीयूष गोयल ने बताया कि एफआरपी 290 प्रति क्विंटल है जो 10 फीसदी चीनी रिकवरी पर आधारित होगा। इसके आगे प्रति 0.1 फीसदी के रिकवरी पर  2 रुपये 90 पैसा क्विंटल का अतिरिक्त दाम  दिया जाएगा

उन्होंने बताया की चीनी  का 70 लाख टन निर्यात करने का  लक्ष्य रखा गया था  जिसमें से 55 लाख टन निर्यात हो चुका है। अभी 7.5 फीसदी से 8 फीसदी एथनॉल की ब्लेंडिंग हो रही है। अगले कुछ साल में ब्लेंडिंग 20 फीसदी हो जाएगी। 

एक तरफ सरकार कह रही है कि किसानों को हम 87 फीसदी  रिटर्न दे रहे है लेकिन गन्ना किसानों का कहना है कि सरकार जिस हिसाब खेती में लागत बढ़ रही है फर्टिलाइजर और डीजल के दाम बढ़ रहे है उस  हिसाब से गन्ना मूल्य बढ़ाना चाहिए।

पंजाब औऱ उत्तर प्रदेश में अगले साल चुनाव है दोनों जगह के गन्ना किसान गन्ने के दाम को लेकर काफी ज्यादा मुखर हैं। पंजाब के किसान गन्ने के रेट बढ़ाने को लेकर कई दिनों से आंदोलन कर रहे थे। रेलवे ट्रैक और हाइवे जाम कर रहे थे, कैप्टन अमरिंदर सिंह  की सरकार ने  राज्य के गन्ना 50 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि करके अपने राज्य के किसानों  की नाराजगी दूर कर दी है।  अब राज्य की गन्ना मिलें की गन्ना की खरीदारी 360 रुपये क्विंटल के रेट पर खरीदारी करेगीं। इसके बाद अब गन्ना मूल्य बढाने का दबाव उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर आ गया है क्योकि उत्तर प्रदेश गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। उत्तर प्रदेश में  करीब 48 लाख किसान गन्ने की खेती में लगे हुए हैं।  योगी सरकार ने चार साल में सिर्फ 10 रुपये क्विंटल बढ़ा है औऱ अभी यूपी में 325 रुपये प्रति क्विंटल  ही गन्ने की खरीदारी हो रही है। प्रदेश  के किसान नेता, आए दिन  मांग कर रहे है गन्ना की में खेती पर लागत खर्च बढ़ता जा रहा है और  कमाई सिमटती जा रही है। ऐसे में गन्ना मूल्य बढ़ाने की जरूरत है।

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