क्या नाना पाटेकर ने किसानों से कहा, अच्छे समय का इंतजार मत करो, तय करो सरकार किसकी लानी है?

नासिक के निकट सह्याद्री फार्म में आयोजित शेतकरी साहित्य सम्मेलन में नाना पाटेकर ने किसानों से कहा कि सरकार से अब कुछ मत मांगो। बल्कि तय करो कि देश में सरकार किसकी लानी है।

क्या नाना पाटेकर ने किसानों से कहा, अच्छे समय का इंतजार मत करो, तय करो सरकार किसकी लानी है?

किसानों के बारे में अभिनेता नाना पाटेकर का एक बयान काफी वायरल हो रहा है। इनमें नाना पाटेकर ने किसानों से कहा कि सरकार से अब कुछ मत मांगो। बल्कि तय करो कि देश में सरकार किसकी लानी है। नाना पाटेकर का यह बयान ऐसे समय आया है जब हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर किसान आंदोलन चल रहा है और देश के कई इलाकों में किसान अपनी मांगों को लेकर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं।  

नाना पाटेकर ने यह बयान पांच मार्च को नासिक के निकट सह्याद्री फार्म में आयोजित शेतकरी साहित्य सम्मेलन के अवसर पर दिया था। नाना पाटेकर ने ही इस सम्मेलन का उद्घाटन किया था। अपने संबोधन में नाना पाटेकर ने कहा कि जब सोने की कीमतें बढ़ रही हैं, तो चावल की कीमतें क्यों नहीं बढ़ रही हैं? किसान पूरे देश को भोजन उपलब्ध कराते हैं लेकिन सरकार के पास उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए समय नहीं है। ऐसी सरकार से किसानों को कुछ नहीं मांगना चाहिए। 

नाना पाटेकर ने कहा, “पहले किसान 80-90 फीसदी किसान थे। अब 50 फीसदी किसान हैं। सरकार से अब कुछ मांगों मत। तय करो कि सरकार किसकी लानी है।” उन्होंने कहा कि किसान अच्छे समय का इंतजार न करें बल्कि दृढ़ता से अच्छा समय लाना चाहिए। मौजूदा स्थिति को बदलने के लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए।

राजनीति में शामिल होने के सवाल पर नाना पाटेकर ने कहा, “मैं राजनीति में नहीं जा सकता क्योंकि, जो पेट में है वही मुंह पर आ जाएगा और वो मुझे पार्टी से निकाल देंगे। पार्टियां बदलते-बदलते एक महीने के अंदर सारी पार्टियां खत्म हो जाएंगी। यहां आपके यानी हमारे किसान भाईयों के सामने हम दिल की बात कर सकते हैं। जो हमें रोज अन्न देता है, उसकी किसी को पड़ी नहीं, तो हमें आपकी यानी सरकार की क्या पड़ी है?” उन्होंने कहा, "अगर मैं आत्महत्या भी कर लूं तो भी मैं किसान ही बनकर जन्म लूंगा, किसान कभी ये नहीं कहेगा कि मैं किसान के रूप में जन्म नहीं लेना चाहता हूं।" 

नाना पाटेकर किसानों के मुद्दों पर पहले भी आवाज उठाते रहे हैं। महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त किसानों की मदद के लिए वह नाम फाउंडेशन चलाते हैं। उनका कहा था कि किसान आत्महत्या ना करें, बल्कि उन्हें फोन करें। शेतकरी साहित्य सम्मेलन का आयोजन सह्याद्री फार्म्स के संस्थापक विलास शिंदे ने किया जो शरद जोशी की चतुरंग कृषि की अवधारणा को क्रियान्वित करने का प्रयास कर रहे हैं। नाना पाटेकर ने शेतकरी साहित्य सम्मेलन की गतिविधियों के लिए नाम फाउंडेशन की ओर से दो लाख रुपये देने की भी घोषणा की।

Subscribe here to get interesting stuff and updates!