गलत साबित हुआ इस्मा का अनुमान, चालू सीजन के चीनी उत्पादन में 45 लाख टन की गिरावट

चालू चीनी सीजन में कुल 333 लाख टन चीनी उत्पादन के अनुमान के मुकाबले सीजन के आखिर तक 295 लाख टन चीनी उत्पादन होगा। सरकार, उद्योग जगत और शोध संस्थान भी चीनी उत्पादन में भारी गिरावट को भांपने में नाकाम रहे।

गलत साबित हुआ इस्मा का अनुमान, चालू सीजन के चीनी उत्पादन में 45 लाख टन की गिरावट

सेटेलाइट, रिमोट सेंसिंग और एआई जैसी आधुनिक तकनीक के बावजूद फसल उत्पादन का सटीक अनुमान लगाना चुनौती बना हुआ है। यहां तक कि चीनी उद्योग का प्रमुख संगठन इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (इस्मा) भी देश में चीनी उत्पादन का सही अनुमान लगाने में नाकाम साबित हुआ है। 

पिछले साल जुलाई के आखिर में इस्मा ने चीनी सीजन 2024-25 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए 333.10 लाख टन के सकल चीनी उत्पादन (इथेनॉल के लिए डाइवर्जन से पहले) का प्रारंभिक अनुमान दिया था। लेकिन यह अनुमान वास्तविकता से काफी दूर था। क्योंकि चीनी सीजन 2024-25 के दौरान देश में 295 लाख टन चीनी का सकल उत्पादन होने जा रहा है। यह इस्मा के प्रारंभिक अनुमान के मुकाबले 38 लाख टन (11.41%) और 2023-24 के 340 लाख टन सकल चीनी उत्पादन से 45 लाख टन (13.2%) कम है। 

इथेनॉल के लिए 34 लाख टन चीनी डायवर्जन के बाद चालू सीजन 2024-25 में कुल चीनी उत्पादन 261 लाख टन रहेगा, जो पिछले सीजन के 319 लाख टन कुल चीन उत्पादन से करीब 18 फीसदी कम है। शुरुआती अनुमानों के मुकाबले वास्तविक उत्पादन में इतनी बड़ी गिरवाट, समूचे चीनी उद्योग के लिए चिंताजनक है। क्योंकि उद्योग ही नहीं बल्कि सरकार की नीतियां और फैसले भी उत्पादन अनुमानों पर निर्भर करते हैं।    

30 जुलाई 2024 को इस्मा की ओर से जारी 2024-25 का पहला प्रारंभिक अनुमान 

इस्मा के अध्यक्ष गौतम गोयल का कहना है कि पिछले साल उत्तर प्रदेश में रेड रॉट के प्रकोप और महाराष्ट्र व कर्नाटक में मौसम की वजह से गन्ने की फसल अप्रत्याशित रूप से प्रभावित हुई। जिसका असर चीनी उत्पादन पर पड़ा है। उनका मानना है कि इस साल मानसून में अच्छी बारिश और फसल की बेहतर स्थिति को देखते हुए आगामी सीजन में चीनी उत्पादन काफी बेहतर रहेगा। 

उत्पादन अनुमानों के सटीक न होने की समस्या सिर्फ चीनी तक सीमित नहीं है। देश में फसल उत्पादन के अनुमानों पर भी सवाल उठते रहे हैं। खासतौर पर गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन के अनुमानों के बावजूद सरकार को गेहूं के निर्यात पर रोक और स्टॉक लिमिट की पाबंदियों जैसे कदम उठाने पड़े। गेहूं की महंगाई रोकना सरकार के लिए चुनौती बना रहा।    

रूरल वॉयस ने पिछले साल नवंबर में ही चीनी उत्पादन में गिरावट की आशंका संबंधी खबर प्रकाशित कर दी थी। गन्ने की फसल में रोग, मौसम की मार और कम चीनी रिकवरी को देखते हुए लग रहा था कि चीनी उत्पादन में काफी गिरावट आएगी। लेकिन सवाल है कि सरकार, उद्योग जगत और शोध संस्थान चीनी उत्पादन में इस गिरावट को भांपने में क्यों नाकाम रहे?   

अगले सीजन में 349 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान

गुरुवार को इस्मा ने आगामी चीनी सीजन 2025-26 के लिए प्रारंभिक अनुमान जारी करते हुए, सकल चीनी उत्पादन 18 प्रतिशत बढ़कर 349 लाख टन तक पहुंचने की संभावना जताई है। उत्पादन में बढ़ोतरी को देखते हुए इस्मा ने सरकार से “समय” रहते 20 लाख टन चीनी के निर्यात और इथेनॉल के लिए 50 लाख टन चीनी के आवंटन का आग्रह किया है। 

31 जुलाई 2025 को आगामी सीजन 2025-26 के लिए जारी इस्मा का पहला प्रारंभिक अनुमान 

इस्मा के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने बताया कि चालू सीजन के अंत तक 52 लाख टन चीनी का क्लोजिंग स्टॉक रहेगा। इस तरह अगले सीजन में 284 लाख टन चीनी की घरेलू खपत आराम से पूरी हो जाएगी। उनका कहना है कि अगर सरकार ने समय रहते चीनी के निर्यात और इथेनॉल की कीमतों में वृद्धि पर निर्णय नहीं लिया तो चीनी उद्योग की दिक्कतें बढ़ सकती हैं। इस्मा ने सरकार से चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने की मांग भी दोहराई है। 

इस्मा के अध्यक्ष गौतम गोयल ने प्रारंभिक अनुमान जारी करते हुए बताया कि महाराष्ट्र में गन्ने की बुवाई का क्षेत्र लगभग 8 फीसदी बढ़कर 14.93 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। मई में अच्छी बारिश, सामान्य मानसून और फसल की बेहतर स्थिति को देखते हुए महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन 42 फीसदी बढ़कर 132.68 लाख रहने का अनुमान है। कर्नाटक में गन्ने का क्षेत्र लगभग 6 फीसदी बढ़ा है और चीनी उत्पादन 23 फीसदी बढ़कर 66.19 लाख टन तक पहुंच सकता है।

यूपी में गन्ना क्षेत्र 3 फीसदी घटा 

देश के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में गन्ने की बुवाई का क्षेत्र 3 फीसदी घटकर 22.57 लाख हेक्टेयर रह गया है। इस्मा का अनुमान है कि इस साल यूपी में गन्ने की फसल पिछले साल से काफी बेहतर है और रोगों का प्रकोप भी नहीं है। इसलिए राज्य में चीनी उत्पादन पिछले साल के 100.74 लाख टन से बढ़कर 102.53 लाख टन तक पहुंच सकता है। 

इस्मा का कहना है कि फसल अभी भी अपने प्रारंभिक चरण में है, और कई कारक इसकी अंतिम गुणवत्ता और उपज को प्रभावित करेंगे। फिर भी, वर्तमान स्थिति के आधार पर पहला प्रारंभिक अनुमान जारी किया है। अगला अनुमान सितंबर में जारी किया जाएगा। 

 

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