एफसीआई की पिछली ई-नीलामी में 1.66 लाख टन गेहूं की हुई बिक्री, चावल के लिए सिर्फ 17 हजार टन की लगी बोली

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने सोमवार को एक बयान में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में ओएमएसएस के तहत 11वें दौर की ई-नीलामी में देश भर के 500 डिपो से 2 लाख टन गेहूं और 337 डिपो से 4.89 लाख टन चावल की बिक्री की पेशकश की गई थी। इसकी तुलना में 1.66 लाख टन गेहूं और 17 हजार टन चावल के लिए खरीदारों ने बाली लगाई।

एफसीआई की पिछली ई-नीलामी में 1.66 लाख टन गेहूं की हुई बिक्री, चावल के लिए सिर्फ 17 हजार टन की लगी बोली
2 लाख टन गेहूं और 4.89 लाख टन चावल नीलामी के लिए रखा गया था।

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की ओर से खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत की गेहूं और चावल की ई-नीलामी का 11वां दौर 6 सितंबर को संपन्न हुआ। इस दौर में 1.66 लाख टन गेहूं और 17 हजार टन चावल की ई-नीलामी हुई।

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने सोमवार को एक बयान में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में ओएमएसएस के तहत 11वें दौर की ई-नीलामी में देश भर के 500 डिपो से 2 लाख टन गेहूं और 337 डिपो से 4.89 लाख टन चावल की बिक्री की पेशकश की गई थी। इसकी तुलना में 1.66 लाख टन गेहूं और 17 हजार टन चावल के लिए खरीदारों ने बाली लगाई। बयान में कहा गया है कि चावल, गेहूं और आटे की घरेलू खुदरा कीमत को नियंत्रित करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप की पहल करते हुए समय-समय पर गेहूं और चावल दोनों की साप्ताहिक ई-नीलामी आयोजित की जा रही है।

बयान के मुताबिक, 6 सितंबर की ई-नीलामी में एफएक्यू गेहूं (सामान्य गुणवत्ता वाला) के लिए औसत बोली 2,169.65 रुपये प्रति क्विंटल की लगाई गई, जबकि इसका आरक्षित मूल्य  2,150 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया था। इसी तरह, यूआरएस गेहूं (कम गुणवत्ता वाला) का औसत बिक्री मूल्य 2,150.86 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जबकि इसका आरक्षित मूल्य 2,125 रुपये क्विंटल था। चावल का औसत बिक्री मूल्य आरक्षित मूल्य 2,952.27 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले 2,956.19 रुपये प्रति क्विंटल रहा।

ई-नीलामी के तहत बोली लगाने वाले खरीदारों के लिए गेहूं की अधिकतम 100 टन तक और चावल की 1000 टन तक की मात्रा तय की गई है ताकि ई-नीलामी में ज्यादा से ज्यादा बोलीदाता हिस्सा ले सकें। बयान के मुताबिक, छोटे और सीमांत व्यापारियों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया है।

स्टॉक की जमाखोरी से बचने के लिए बड़े व्यापारियों को ओएमएसएस के तहत गेहूं की बोली लगाने से  बाहर रखा गया है। उन आटा मिलों की नियमित जांच की जा रही है जिन्होंने ओएमएसएस के तहत गेहूं खरीदा है। 5 सितंबर तक देशभर में 898 निरीक्षण किए जा चुके हैं।

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