अक्टूबर में ट्रैक्टर की बिक्री में तेजी, महिंद्रा की सेल 13 फीसदी बढ़ी, एस्कॉर्ट्स कुबोटा ने पकड़ी रफ्तार

भारत के ट्रैक्टर बाजार ने त्योहारी मांग, अच्छे मानसून और नीतिगत समर्थन के दम पर अक्टूबर 2025 में मज़बूत गति दर्ज की। कुछ राज्यों में बारिश के असर के बावजूद, रबी सीज़न के लिए उद्योग का दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है।

अक्टूबर में ट्रैक्टर की बिक्री में तेजी, महिंद्रा की सेल 13 फीसदी बढ़ी, एस्कॉर्ट्स कुबोटा ने पकड़ी रफ्तार

भारतीय ट्रैक्टर बाजार ने सितंबर से शुरू हुई तेजी को अक्टूबर 2025 में भी जारी रखा। फेस्टिव सीजन की मांग, जलाशयों में बेहतर जलस्तर और नीतिगत समर्थन के चलते कंपनियों और डीलरों को बिक्री में मजबूती मिली। अग्रणी ट्रैक्टर कंपनियों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार, त्योहारी सीजन से पहले खरीदारी और अच्छी मॉनसून बारिश के चलते बेहतर बिक्री दर्ज की।

महिंद्रा एंड महिंद्रा (फार्म इक्विपमेंट बिज़नेस) ने उद्योग में बढ़त बनाए रखी और मजबूत डबल-डिजिट ग्रोथ हासिल की। कंपनी की घरेलू बिक्री अक्टूबर 2025 में 72,071 यूनिट रही, जो अक्टूबर 2024 में 64,326 यूनिट थी यानी 12% सालाना वृद्धि। एक्सपोर्ट करीब 41% बढ़कर 1,589 यूनिट पर पहुंचा। इस तरह कंपनी की कुल ट्रैक्टर बिक्री (घरेलू + निर्यात) अक्टूबर 2024 के 65,453 यूनिट की तुलना में अक्टूबर 2025 में बढ़कर 73,660 यूनिट हो गई जो 13% की वृद्धि को दर्शाता है। 

प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए महिंद्रा एंड महिंद्रा के फार्म इक्विपमेंट बिजनेस के प्रेसिडेंट विजय नाकरा ने कहा, “सितंबर और अक्टूबर 2025 को मिलाकर फेस्टिव पीरियड में बिक्री में पिछले साल की तुलना में 27.4% की ग्रोथ रही है। अच्छा मॉनसून और सितंबर में घोषित GST दर में कटौती से इस मजबूत प्रदर्शन में बढ़ावा मिला। आगे रबी बुवाई की समय पर शुरुआत और खरीफ की अच्छी प्रगति ट्रैक्टर बिक्री के लिए सकारात्मक संकेत दे रही है।”

एस्कॉर्ट्स कुबोटा लिमिटेड ने भी बिक्री में वृद्धि दर्ज की। कंपनी की कुल ट्रैक्टर बिक्री अक्टूबर 2025 में बढ़कर 18,798 यूनिट हो गई, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 18,110 यूनिट से 3.8% अधिक है। घरेलू बिक्री में 3.3% की बढ़त दर्ज करते हुए यह 18,423 यूनिट रही जबकि निर्यात में 38.4% की तेजी के साथ बिक्री बढ़कर 375 यूनिट तक पहुंच गई। कंपनी ने कहा कि फेस्टिव खरीदारी, GST में कटौती और कृषि के अनुकूल परिस्थितियों से मांग में सहारा मिला।

हालांकि ट्रैक्टर इंडस्ट्री के सामने कुछ चुनौतियां भी बनी हुई हैं। उत्तर और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में लंबी चली बारिश से कुछ राज्यों में तैयार फसलें प्रभावित हुईं और बुवाई में देरी आई। इसके बावजूद कंपनियां रबी सीजन में मांग को लेकर आशावादी बनी हुई हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि फेस्टिव डिमांड, बेहतर जलस्तर और सरकारी समर्थन नीतियों का संयुक्त प्रभाव आने वाले महीनों में ट्रैक्टर बिक्री की तेजी को बनाए रख सकता है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए यह सकारात्मक संकेत है।

 

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