आम के कम दाम से किसान परेशान, बंगाल के उत्पादकों की सरकार से हस्तक्षेप की मांग

पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के आम उत्पादक घटती कीमतों की वजह से परेशान हैं। आम की बंपर पैदावार के बावजूद वे मुनाफा नहीं कमा पा रहे हैं। उन्हें इस सीजन में उत्पादन की लागत वसूलने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। मालदा से अन्य राज्यों और विदेशों में 'फलों के राजा' के अधिक निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए उन्होंने सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। बंगाल का मालदा और मुर्शिदाबाद जिला गर्मियों के इस स्वादिष्ट फल के उत्पादन के लिए मशहूर है।

आम के कम दाम से किसान परेशान, बंगाल के उत्पादकों की सरकार से हस्तक्षेप की मांग
पश्चिम बंगाल में बंपर उत्पादन की वजह से आम के दाम घट गए हैं किसानों को नुकसान हो रहा है।

पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के आम उत्पादक घटती कीमतों की वजह से परेशान हैं। आम की बंपर पैदावार के बावजूद वे मुनाफा नहीं कमा पा रहे हैं। उन्हें इस सीजन में उत्पादन की लागत वसूलने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। मालदा से अन्य राज्यों और विदेशों में 'फलों के राजा' के अधिक निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए उन्होंने सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। बंगाल का मालदा और मुर्शिदाबाद जिला गर्मियों के इस स्वादिष्ट फल के उत्पादन के लिए मशहूर है।

मालदा मर्चेंट्स एसोसिएशन ने उत्पादकों और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए मालदा में आम परीक्षण और निर्यात सुविधा केंद्रों के साथ-साथ आम प्रसंस्करण सुविधा उपलब्ध कराने की भी सरकार से मांग की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष उज्ज्वल साहा ने कहा कि सरकार ने पूर्व में दोनों जिलों को आम के लिए निर्दिष्ट निर्यात क्षेत्र के रूप में मान्यता दी थी। मगर यह सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गया। पिछले दो-तीन वर्षों में इस क्षेत्र में करीब 200 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि पर आम के बाग लगाए गए हैं। आम उत्पादकों को इस साल बाग के स्तर पर केवल 10 रुपये प्रति किलो का दाम मिल रहा है, जबकि उत्पादन की लागत लगभग 15 रुपये प्रति किलो है। बंपर उत्पादन और पड़ोसी राज्यों को निर्यात के बावजूद मांग में कमी है जिससे उत्पादकों को वाजिब दाम नहीं मिल पा रहा है।

इस सीजन में मालदा में आम का उत्पादन लगभग 4,00,000 टन होने का अनुमान है जो पिछले साल के 3,00,000 टन से अधिक है। वर्तमान में लगभग 31,000 हेक्टेयर भूमि पर आम की खेती होती है। विदेशी निर्यात मांग अभी अच्छी नहीं है और उत्तर भारत से कुछ मांग है। उज्जवल साहा ने कहा, "हमें लाभकारी मूल्य पाने के लिए रोजाना लगभग 100 ट्रक निर्यात करने की जरूरत है लेकिन दैनिक आपूर्ति लगभग 40 ट्रक ही होती है। इस साल फल की अधिक पैदावार होने के कारण जिले के आम किसानों को कोई फायदा नहीं हुआ है।" परीक्षण केंद्रों और फसल संरक्षण सुविधाओं सहित सरकारी पहल की कमी उत्पादकों की समस्या को और बढ़ा रही है।

एसोसिएशन ने केंद्र और राज्य सरकारों से स्थानीय आम उद्योग को समर्थन देने के लिए कार्रवाई करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले। राज्य बागवानी विभाग ने स्वीकार किया है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष आम के दाम काफी कम हैं। हालांकि, विभाग की भूमिका बहुत सीमित है और एसोसिएशन द्वारा उठाई गई चिंताओं को दूर करने की गुंजाइश उनके पास नहीं है। अधिक परीक्षण केंद्र स्थापित करने के मुद्दे पर विभाग का कहना कि आम व्यवसाय की मौसमी प्रकृति के कारण मौजूदा केंद्रों को ही सर्वाइव करना मुश्किल है।

दिल्ली में पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से आम उत्सव का आयोजन किया गया था एक पखवाड़े तक चलने वाले उत्सव का समापन 19 जून को हुआ। इस दौरान 35 टन आम ​​बेचने में मदद मिली। राज्य के कुल सात आम उत्पादक जिलों ने इसमें भाग लिया था।

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