कोविड महामारी के प्रतिबंधों के बीच गेहूं की खरीद के लिए यूपी सरकार ने कृषक संगठनों को साथ जोड़ा

चालू रबी सीजन में गेहूं की खरीद प्रक्रिया को ज्यादा प्रभावी तरीके लागू करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 150 एफपीओ और किसान संगठनों को साथ लिया है। गेहूं की सरकारी खरीद का सीजन 1 अप्रैल, 2021 से शुरू हो चुका है और यह 15 जून, 2021 तक चलेगा।

कोविड महामारी के प्रतिबंधों के बीच गेहूं की खरीद के लिए यूपी सरकार ने कृषक संगठनों को साथ जोड़ा

लखनऊ, 14 अप्रैल, 2021
 

 चालू रबी सीजन में गेहूं की खरीद प्रक्रिया को ज्यादा प्रभावी तरीके लागू करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 150 कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और किसान सहकारी समितियों को साथ लिया है। गेहूं की सरकारी खरीद का सीजन 1 अप्रैल, 2021 से शुरू हो चुका है और यह 15 जून, 2021 तक चलेगा। राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार का कहना है का सभी 75 जिलों में गेहूं की सरकारी खरीद की व्यवस्था की गई है और जब तक किसान खरीद केंद्रों पर गेहूं लाते रहेंगे, खरीद जारी रहेगी।

चालू रबी सीजन के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1975 रुपये प्रति क्विटंल तय किया गया है। इसके तहत अभी तक  26 हजार किसानों से 287 करोड़ रुपये मूल्य का 1.45 लाख टन गेहूं एमएसपी पर खरीदा जा चुका है। इस साल राज्य में गेहूं खरीद के लिए 5332 केंद्र बनाये गये हैं जिसमें से 104 खरीद केंद्र भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) चला रहा है। राज्य सरकार का दावा है कि आने वाले दिनों में गेहूं की खरीद तेजी पकड़ेगी और उस समय करीब 6000 सरकारी खरीद केंद्र सक्रिय रहेंगे।

राज्य सरकार का कहना है कि कोविड-19 के केस बढ़ने के बावजूद गेहूं की सरकारी खरीद सामान्य। कोविड-19 से सुरक्षा लिए निर्धारित सभी नियमों और मानदंडों का पालन करने की व्यवस्था की गई है। किसानों को पहले खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति (एफसीएस) विभाग के पोर्टल पर खुद को पंजीकृत करना है और उसके बाद ही वह गेंहूं की बिक्री कर सकेंगे। सरकार का यह कदम किसानों को बिचौलियों से दूर रखने के लिए है। गेहूं की खरीद के बाद इसका भुगतान सीधे किसानों के खातों में किया जा रहा है। इससे साथ ही राज्य सरकार ने पहली बार इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ईपोएस) मशीन पर इस्तेमाल शुरू किया है ताकि खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे और किसान के नाम पर आने वाले बिचौलिया को दूर रखा जा सके। उदाहरण के लिए अगर कोई किसान 100 क्विंटल गेहूं बेचना चाहता है तो राज्य के राजस्व विभाग द्वारा उसके खाते का प्रमाणीकरण किया जा जाता है, जो पारदर्शिता के लिए जरूरी है। इसके साथ ही सभी खरीद केंद्रों और वेयरहाउस की जियो टैगिंग की गई है।

राज्य सरकार के प्रवक्ता का कहना है कि बायोमिट्रिक ऑथेंटिकेशन और ईपोएस मशीन उपयोग करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य है। यह व्यवस्था चरणबद्ध तरीके से सभी खरीद केंद्रों पर लागू कर दी जाएगी।

केंद्र सरकार ने गेहूं के एमएसपी को पिछले साल (2020-21) के 1925 रुपये से बढ़ाकर चालू सीजन (2021-22) के लिए 1975 रुपेय प्रति क्विटंल कर दिया है। राज्य सरकार का कहना है कि उसने 2017 से अभी तक के चार सीजन में गेहूं किसानों को 29 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया है। चालू साल  लिए राज्य सरकार ने गेहूं की खऱीद का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है। इसके पीछे चुनावों के पहले किसानों के गेहूं की अधिक से अधिक खरीद कर उनको खुश रखने की रणनीति हो सकती है। इस साल राज्य सरकार ने खरीफ विपणन साल (2020-21) में 66 लाख टन धान की रिकार्ड खरीद की है। जबकि लक्ष्य 55 लाख टन का रखा गया था।

 

 

उत्तर प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद

Year

खरीद का लक्ष्य

(मिलियन टन)

खरीद

(मिलियन टन)

एमएसपी

(रुपये प्रति क्विंटल)

2013

6.0

0.7

1,350

2014

4.5

0.6

 1,400

2015

3.0

2.2

 1,450

2016

4.5

0.8

      1,525

2017

8.0

3.7

1,625

2018

5.0

5.3

1,735

2019

5.5

3.8

1,840

2020

5.5

3.5

1,925

2021

कोई लक्ष्य नहीं

0.145 (13 अप्रैल तक)

      1,975

*टेबल – वीरेंद्र सिंह रावत

 

पिछले साल राज्य सरकार की एजेंसियों और एफसीआई ने मिलकर 35 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद की थी जबकि लक्ष्य 55 लाख टन का रखा गया था।

 

(वीरेंद्र सिंह रावत लखनऊ स्थित पत्रकार हैं। वह उद्योग, इकोनॉमी, कृषि, इंफ्रास्ट्रक्चर और बजट से जुड़े मामलों पर लिखते हैं)

 

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