सरकार ने पार-बॉयल्ड राइस पर 20% निर्यात शुल्क मार्च 2024 तक के लिए बढ़ाया

घरेलू बाजार में चावल की कीमतों में तेजी को देखते हुए सरकार ने पार बॉयल्ड राइस पर एक्सपोर्ट ड्यूटी 31 मार्च 2024 तक के लिए बढ़ा दी है। सरकार ने अगस्त में इस चावल के निर्यात पर 20% का शुल्क लगाया था। उस समय यह आदेश तत्काल प्रभावी हो गया था। अगस्त का आदेश 15 अक्टूबर को खत्म हो रहा था। उससे पहले ही सरकार ने इसकी अवधि बढ़ा दी है। वित्त मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार देर शाम जारी अधिसूचना के अनुसार यह निर्यात शुल्क 31 मार्च 2024 तक जारी रहेगा। इसका मकसद देश में इसका पर्याप्त भंडार बनाए रखना और घरेलू बाजार में कीमतों को नियंत्रित रखना है। इस समय भारत से हर किस्म के गैर बासमती चावल के निर्यात पर अंकुश या पाबंदी है। 

सरकार ने पार-बॉयल्ड राइस पर 20% निर्यात शुल्क मार्च 2024 तक के लिए बढ़ाया

घरेलू बाजार में चावल की कीमतों में तेजी को देखते हुए सरकार ने पार बॉयल्ड राइस पर एक्सपोर्ट ड्यूटी 31 मार्च 2024 तक के लिए बढ़ा दी है। सरकार ने अगस्त में इस चावल के निर्यात पर 20% का शुल्क लगाया था। उस समय यह आदेश तत्काल प्रभावी हो गया था। अगस्त का आदेश 15 अक्टूबर को खत्म हो रहा था। उससे पहले ही सरकार ने इसकी अवधि बढ़ा दी है। वित्त मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार देर शाम जारी अधिसूचना के अनुसार यह निर्यात शुल्क 31 मार्च 2024 तक जारी रहेगा। इसका मकसद देश में इसका पर्याप्त भंडार बनाए रखना और घरेलू बाजार में कीमतों को नियंत्रित रखना है। इस समय भारत से हर किस्म के गैर बासमती चावल के निर्यात पर अंकुश या पाबंदी है। 

इससे पहले सरकार ने घरेलू बाजार में सप्लाई बढ़ाने के उद्देश्य से जुलाई में गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगाई गई थी। भारत से चावल के कुल निर्यात में गैर बासमती सफेद चावल का हिस्सा लगभग 25% रहता है। उससे पहले पिछले साल सितंबर में टूटे चावल के निर्यात पर पाबंदी लगाई गई थी। 

इस वर्ष अप्रैल से जून के दौरान 15.5 लाख टन गैर बासमती चावल का निर्यात किया गया था। अप्रैल-जून 2022 में 11.5 लाख टन गैर बासमती सफेद चावल का निर्यात हुआ था। इस चावल के निर्यात में करीब 35% की बढ़ोतरी होने और घरेलू बाजार में बढ़ती कीमतों को ध्यान में रखते हुए इसके निर्यात पर रोक लगाई गई थी। 

आमतौर पर खरीफ फसलों के उत्पादन का अनुमान सितंबर के तीसरे या चौथे हफ्ते में जारी किया जाता है। लेकिन इस बार सरकार ने अभी तक यह आंकड़े जारी नहीं किए हैं। इस साल धान की बुवाई पिछले साल की तुलना में अधिक क्षेत्र में हुई है। लेकिन हरियाणा, पंजाब में बाढ़ और अगस्त में कई इलाकों में कम बारिश के चलते उत्पादन कम रहने का अंदेशा है। पिछले साल खरीफ सीजन में 11 करोड़ टन चावल का उत्पादन हुआ था। इस साल 11.1 करोड़ टन के लक्ष्य से कम उत्पादन के आसार हैं।

Subscribe here to get interesting stuff and updates!