मानसून अपडेट: सामान्य से अधिक बारिश की संभावना, जून में मिलेगी गर्मी से राहत
मौसम विभाग के अनुसार, जून से सितंबर के बीच देश में कुल वर्षा दीर्घकालिक औसत (LPA) के 106% तक रहने की संभावना है, जिसमें ±4% की त्रुटि सीमा है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 2025 मानसून के लिए ताजा पूर्वानुमान जारी किया है, जिसमें देशभर में सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना जताई गई है। मानसून सीजन (जून-सितंबर) के दौरान देश में कुल वर्षा दीर्घकालिक औसत (LPA) के 106% तक रहने की संभावना है, जिसमें ±4% की त्रुटि सीमा है। ताजा आंकड़ा अप्रैल में जारी किए गए पहले पूर्वानुमान (105%) से अधिक है। भारत में मानसून की बारिश का दीर्घ अवधि औसत (LPA) 870 मिमी है।
आईएमडी के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि मानसून के लिए अनुकूल जलवायु परिस्थितियाँ मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में, प्रशांत महासागर में न तो अल नीनो और न ही ला नीना की स्थिति है। इसके अलावा, हिंद महासागर डायपोल (IOD) भी तटस्थ अवस्था में है, जो मानसून के लिए सकारात्मक संकेत है। जनवरी-मार्च 2025 के दौरान उत्तरी गोलार्ध और यूरेशिया में कम हिमपात भी मानसून की अच्छी वर्षा का संकेत देता है।
मुख्य बिंदु:
- क्षेत्रीय वर्षा का अनुमान: मध्य भारत और दक्षिणी प्रायद्वीप क्षेत्रों में सामान्य से अधिक बारिश (>106% LPA) की संभावना है। उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य बारिश (92-108% LPA) की उम्मीद है। हालांकि, उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों, लद्दाख, पूर्वोत्तर राज्यों और तमिलनाडु में सामान्य से कम वर्षा हो सकती है।
- मानसून कोर जोन (एमसीजेड), जिसमें भारत की वर्षा आधारित कृषि भूमि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा शामिल है, में सामान्य से अधिक वर्षा होने की उम्मीद है। यह खरीफ सीजन के लिए अनुकूल है।
- जून में अच्छी बारिश, लू से राहत: मौसम विभाग ने विशेष रूप से जून महीने के लिए सामान्य से अधिक वर्षा की भविष्यवाणी की है। अनुमान है कि जून में भीषण गर्मी और लू (हीटवेव) वाले दिनों की संख्या सामान्य से कम रहेगी, जिससे लोगों को गर्मी से बड़ी राहत मिलेगी। जून 2025 के लिए औसत से 8% अधिक बारिश का अनुमान है। जून में देश के अधिकांश भागों में अधिकतम तापमान सामान्य से कम रहने की संभावना है।
- केरल में तय समय से पहले दस्तक: दक्षिण-पश्चिम मानसून ने पहले ही 24 मई 2025 को केरल में दस्तक दे दी है, जो सामान्य आगमन की तारीख (1 जून) से लगभग 8 दिन पहले है। यह पिछले 16 वर्षों में मानसून का सबसे जल्द आगमन है।
- कोई अल नीनो प्रभाव नहीं: आईएमडी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि इस वर्ष अल नीनो की स्थिति विकसित होने की संभावना नहीं है, जो आमतौर पर भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा से जुड़ी होती है। यह भी एक सकारात्मक कारक है जो बेहतर मानसून की उम्मीदों को बल देता है।
- सतर्कता और तैयारी: हालांकि अच्छे मानसून का पूर्वानुमान है, लेकिन मौसम विभाग ने वर्षा के साथ आने वाले संभावित जोखिमों जैसे बाढ़, भूस्खलन और यातायात बाधाओं से निपटने के लिए आवश्यक सावधानी बरतने की सलाह भी दी है। नागरिकों को मौसम अपडेट पर नजर बनाए रखने के लिए कहा गया है।
डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि जून माह की शुरुआत तेज बारिश के साथ होने की संभावना है। यह पूर्वानुमान देशभर में कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देने और सूखे की चिंताओं को कम करने में सहायक होगा।
अच्छा मानसून भारतीय अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश की लगभग 50% खेती वर्षा पर निर्भर है। हालांकि, IMD ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा का वितरण असमान हो सकता है, जिससे कुछ क्षेत्रों में बाढ़ और अन्य में सूखे की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। मानसून का सामान्य से बेहतर रहना जल प्रबंधन, ऊर्जा उत्पादन और आम जनजीवन के लिए भी सकारात्मक संकेत है।