चीनी उत्पादन में 20 लाख टन की गिरावट, शुगर रिकवरी भी घटी
15 जनवरी तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत का चीनी उत्पादन 130.55 लाख टन रहा है जो पिछले साल इस अवधि तक 151.20 लाख टन था। चालू सीजन में कुल चीनी उत्पादन 270 लाख टन टन होने का अनुमान है जबकि पिछले सीजन में 319 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
गन्ने की फसल पर रोगों और मौसम की मार के चलते इस साल चीनी उत्पादन को झटका लगा है। चालू पेराई सीजन में 15 जनवरी तक देश के चीनी उत्पादन में 20.65 लाख टन यानी 14% की गिरावट दर्ज की गई है। सीजन के आखिर तक चीनी उत्पादन में करीब 50 लाख टन की गिरावट आ सकती है।
सहकारी चीनी मिलों के संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के आंकड़ों के अनुसार, 15 जनवरी तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक देश में चीनी उत्पादन 130.55 लाख टन रहा है जो पिछले साल इस अवधि तक 151.20 लाख टन था। चालू सीजन में कुल चीनी उत्पादन 270 लाख टन टन होने का अनुमान है जबकि पिछले सीजन में 319 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। यह एथेनॉल उत्पादन के लिए शुगर डायवर्जन के अलावा है।
इस सीजन में अब तक 507 चीनी मिलें चालू हैं, जबकि पिछले साल 524 मिलें चल रही थीं। इस बार गन्ने की फसल पर रेड रॉट व अन्य रोगों का प्रकोप रहा है। पहले भीषण गर्मी और फिर सर्दियां देर से शुरू होने के कारण चीनी मिलों का संचालन देर से शुरू हुआ। चीनी उत्पादन में गिरावट के पीछे ये कारण रहे हैं।
देश के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में 15 जनवरी तक चीनी उत्पादन पिछले साल के 46.10 लाख टन से घटकर 42.85 लाख टन रह गया है। महाराष्ट्र में 43.05 लाख टन चीनी उत्पादन हुआ है जबकि पिछले सीजन में इस अवधि तक महाराष्ट्र का चीनी उत्पादन 52.80 लाख टन था। कर्नाटक में पिछले साल के 31 लाख टन की तुलना में अब तक 27.10 लाख टन चीनी उत्पादन हुआ है।
चीनी उत्पादन के साथ-साथ गन्ने से चीनी की रिकवरी में कमी आई है। 15 जनवरी तक देश में औसत चीनी रिकवरी 8.81 फीसदी रही जबकि पिछले साल इस अवधि तक रिकवरी 9.37 फीसदी थी। यूपी में चीनी रिकवरी 9.90 फीसदी से घटकर 9.05 फीसदी रह गई है जबकि महाराष्ट्र में यह 8.95 फीसदी से घटकर 8.80 फीसदी रही है।
चीनी रिकवरी को सबसे बड़ा झटका कर्नाटक में लगा है जहां पिछले साल इस अवधि तक 9.60 फीसदी रिकवरी थी जो इस बार 8.50 फीसदी है। कर्नाटक में अधिक बारिश के कारण भी गन्ने की फसल प्रभावित हुई। चीनी उत्पादन और रिकवरी में गिरावट शुगर इंडस्ट्री के लिए चिंता का सबब है। उद्योग की ओर से चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) और एथेनॉल का दाम बढ़ाने की मांग की जा रही है।


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