कृषि विविधीकरण को बढ़ावा देने वाला बजट

यह बजट कृषि विविधिकरण के लिए बागवानी, डेयरी और मत्स्य पालन क्षेत्र को बढ़ावा देता है। ये न्यूनतम समर्थन मूल्य और सरकारी खरीद से अछूते रहे हैं।

कृषि विविधीकरण को बढ़ावा देने वाला बजट

जब देश कोविड-19 महामारी से उबरने का प्रयास कर रहा है, तब एक असाधारण परिस्थिति में यह बजट पेश किया गया है। इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था की स्थिति को सुधारना और जन कल्याण को बढ़ावा देना है। इस बजट का व्यापक उद्देश्य निवेश, बुनियादी ढांचे, संस्थानों और नवाचारों के माध्यम से भारत को बेहतर बनाना है। इसमें अर्थव्यवस्था को उबारने, आर्थिक विकास में तेजी लाने, रोजगार पैदा करने और पर्यावरण में सुधार की नीयत है। कोविड-19 ने अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया, निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव डाला और क्रय शक्ति को घटा दिया था। कृषि को छोड़कर सभी क्षेत्रों पर प्रतिकूल असर पड़ा है। वास्तव में, कृषि आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाला प्रमुख क्षेत्र बनकर उभरा है। 

सरकार ने नोटबंदी के दौरान और उसके बाद आत्मनिर्भर भारत पैकेज के माध्यम से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए कई उपायों की घोषणा की। किसानों की आय बढ़ाने, लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और आवश्यक खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति में सुधार के लिए कृषि क्षेत्र में कई कदम उठाये गये हैं। प्रस्तावित बजट के प्रावधान महामारी के दौरान की गई घोषणाओं की निरंतरता में हैं। यह बजट कृषि विविधिकरण के लिए बागवानी, डेयरी और मत्स्य पालन क्षेत्र को बढ़ावा देता है। ये न्यूनतम समर्थन मूल्य और सरकारी खरीद से अछूते रहे हैं।

बागवानी को बढ़ावा देने के लिए 'ऑपरेशन ग्रीन' योजना में TOP (टमाटर, प्याज और आलू) से बढ़ाकर 22 वस्तुओं को शामिल किया गया है। यह लॉकडाउन के दौरान पहले की गई घोषणा की निरंतरता में है, जब सभी फलों और सब्जियों को छह महीने के लिए इस योजना में शामिल किया गया था। योजना का मुख्य उद्देश्य फल और सब्जियों के उत्पादकों को लॉकडाउन के कारण मजबूरन बिक्री से बचाना और कीमतों को कम करना है।

बजट में फल और सब्जी उत्पादकों के मूल्य जोखिम को कम करने के लिए इस योजना का विस्तार किया गया है। इस योजना के तहत सरकार कुल लागत पर 50 फीसदी सब्सिडी अधिकता से अभाव वाले क्षेत्रों में ढुलाई और योग्य फसलों के लिए उचित भंडारण की सुविधा लेने के लिए प्रदान की जाती है। यह योजना ट्रांसपोर्ट सब्सिडी के जरिये फलों और सब्जियों की मूल्य श्रृंखलाओं को मजबूत करेगी और अत्यधिक आपूर्ति के कारण कीमतों में गिरावट की स्थिति में भंडारण सुविधा के माध्यम से कीमतों को स्थिरता प्रदान करेगी। बजट में 1000 एपीएमसी मंडियों को मजबूत करने और उन्हें e-NAM से जोड़ने का भी प्रावधान है। इससे ई-ट्रेडिंग का दायरा बढ़ेगा और कृषि वस्तुओं के बेहतर दाम मिल सकेंगे।

मछली पालन क्षेत्र को आधुनिक बंदरगाहों और फिश लैंडिंग केंद्रों के विकास के लिए निवेश प्राप्त होगा। इस तरह के निवेश से मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए आधुनिक बाजार विकसित होंगे। इसके अलावा सीवीड की खेती को बढ़ावा देने से भारतीय तटरेखा के किनारे आय और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। भारत की 8,100 किलोमीटर लंबी तटरेखा की लगभग 30% आबादी तटीय और समुद्री संसाधनों पर निर्भर है। भारतीय तटीय क्षेत्र में विभिन्न उद्देश्यों के लिए समुद्री शैवालों की खूब पैदावार की क्षमता है। इस बजट में बहुउद्देशीय सीवीड पार्क स्थापित करने के लिए प्रावधान किया गया है। सीवीड के उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा देने से तटीय इलाकों में रहने वाले निर्धन लोगों के लिए आय और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। 

मनुष्य, पशु और पौधों की बीमारियों के बीच अंतरसंबंधों को ध्यान में रखते हुए ‘वन हेल्थ’ हेतु एक राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना का भी प्रावधान भी बजट में किया गया है जो स्वागतयोग्य है। यह देखा गया है कि कई बीमारियां पौधों और जानवरों से लेकर मनुष्य में हस्तांतरित होती हैं। इसलिए, एक समन्वित स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली पौधों और पशुओं से फैलने वाली बीमारियों की रोकथाम में मददगार होगी। 

किसी भी तरह की आधारभूत संरचना (सड़क, बंदरगाह, शिपिंग, जलमार्ग और बिजली) का विकास निश्चित रूप से कृषि क्षेत्र खासकर जल्द खराब होने वाली वस्तुओं के लिए सहायक है। इससे उत्पादक क्षेत्र बेहतर तरीके से उपभोग केंद्रों से जुड़ते हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास बाजारों को बेहतर ढ़ग से एकीकृत करने और कृषि वस्तुओं की कीमतों को स्थिर रखने में भी योगदान करेगा। 

कुल मिलाकर, बजट प्रावधानों से कृषि में निवेश और विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा। किसानों की आय बढ़ेगी और पर्यावरण में सुधार होगा।

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लेखक अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक (दक्षिण एशिया) हैं

 

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