सोयाबीन का एमएसपी 6000 रुपये करने के लिए आंदोलित किसानों की भोपाल कूच की तैयारी
केंद्र सरकार ने भले ही मध्य प्रदेश में सोयाबीन की सरकारी खरीद को मंजूरी दे दी है, लेकिन किसान अभी भी मौजूदा एमएसपी से संतुष्ट नहीं है। किसान सोयाबीन के लिए 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल की मांग कर रहे हैं। किसान संगठनों का कहना है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वह जल्द ही प्रदेश की राजधानी भोपाल में बड़ा आंदोलन करेंगे
मध्य प्रदेश में सोयाबीन के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाकर 6000 रुपये प्रति क्विंटल करने के लिए राज्य में आंदोलन कर रहे किसान राजधानी भोपाल कूच की तैयारी कर रहे है। आगामी खरीफ मार्केटिंग सीजन (2024-25) के लिए केंद्र सरकार ने सोयाबीन का एमएसपी 4,892 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। किसानों का कहना है कि यह एमएसपी उनकी लागत से काफी कम है। वहीं प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन का दाम 4000 से 4500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है, जो मौजूदा एमएसपी से नीचे है। किसान संगठनों का कहना है कि जब तक सरकार सोयाबीन के लिए 6 हजार प्रति क्विंटल का दाम तय नहीं करती, प्रदेश में आंदोलन जारी रहेगा।
प्रदेश में सोयाबीन का भाव हाल ही के दिनों में 10 साल पुराने स्तर पर पहुंच गया था। एक माह पहले प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन की कीमतें 3500 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गईं थी। हालांकि किमतों में अब सुधार हुआ है और यह बढ़कर 4000 से 4500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच आ गई हैं लेकिन दाम अभी भी एमएसपी से कम हैं।
नेफेड और एनसीसीएफ करेगा खरीद
मध्य प्रदेश सरकार की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, सोयाबीन खरीद की तारीख जल्द ही तय की जाएगी। राज्य सरकार द्वारा निर्धारित तारीख से सोयाबीन का उपार्जन 90 दिनों तक किया जाएगा। पंजीकृत किसानों से ही समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीद होगी। खरीद भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) द्वारा की जाएगी। खरीद के तीन दिन में किसानों के खाते में भुगतान होगा।
तिलहन और दालों के लिए केंद्र सरकार की प्राइस सपोर्ट स्कीम (पीएसएस) के तहत केंद्रीय एजेंसियां खरीद करती हैं। सोयाबीन के लिए नेफेड और एनसीसीएफ को अधिकृत करने की जानकारी राज्य सरकार ने दी है।
अधिक बारिश से फसल को पहुंचा नुकसान
प्रदेश के किसान सोयाबीन के उत्पादन को लेकर भी चिंतित है क्योंकि मानसून में अधिक बारिश के चलते कई जिलों में सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचा है। वहीं प्रदेश में सोयाबीन का उत्पादन पिछले कुछ वर्षों में घटा है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में खरीफ सीजन 2023 में 524.70 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था, जो खरीफ सीजन 2022 में 541.38 लाख टन, खरीफ सीजन 2021 में 522.92 लाख टन और खरीफ सीजन 2020 में 417.74 लाख टन था।
किसानों का दावा एमएसपी है लागत से कम
संयुक्त किसान मोर्चा मध्य प्रदेश के सदस्य राम इनानिया ने रूरल वॉयस को बताया कि किसानों ने यह आंदोलन सोयाबीन की कम कीमतों को लेकर शुरू किया था क्योंकि मौजूदा कीमतों से किसान अभी लागत भी नहीं निकाल पा रहे है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने एमएसपी पर खरीद की बात तो कही, लेकिन यह किसानों की लागत से कम है। उन्होंने कहा कि सोयाबीन की प्रति एकड़ लागत करीब 22 से 23 हजार रुपये बैठती है जबकि प्रति एकड़ 4 से 5 क्विंटल किसानों को मिलती है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सोयाबीन पर 4892 रुपये प्रति क्विंटल का एमएसपी दे रही है। सभी खर्चों को अगर मिला लें तो यह किसानों अपनी प्रति एकड़ लगात भी नहीं निकाल पा रहे हैं। ऐसे में किसान सोयाबीन के लिए 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल की मांग कर रहे हैं, जो वाजिव है।