केंद्र ने आंध्र प्रदेश व राजस्थान में कई उपजों की खरीद को दी मंजूरी, 9700 करोड़ से अधिक की खरीद पर मुहर
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई बैठक में इन प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई।
केंद्र सरकार ने खरीफ 2025-26 के लिए आंध्र प्रदेश और राजस्थान से प्राप्त मूल्य समर्थन योजना (PSS) और बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई बैठक में इन प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई। स्वीकृत खरीद का कुल मूल्य 9,700 करोड़ रुपये से अधिक है।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई इस बैठक में दोनों राज्यों के मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
आंध्र प्रदेश के लिए केंद्र ने मूंगफली और प्याज की खरीद को मंजूरी दी है। राज्य में मूंगफली की स्वीकृत पात्र मात्रा 37,273 मीट्रिक टन तय की गई है, जबकि अनुमानित उत्पादन 1,49,090 मीट्रिक टन है। इस खरीद का MSP मूल्य 270.71 करोड़ रुपये है।
इसके अलावा, 97,887 मीट्रिक टन प्याज की खरीद को एमआईएस के तहत मंजूरी दी गई है, जिसका मूल्य 24.47 करोड़ रुपये है। बैठक में बताया गया कि राज्य ने रायतु सेवा केंद्रों पर L1 आधार-बायोमेट्रिक प्रणाली लागू कर दी है, जिससे किसानों को उपज बिक्री में पारदर्शिता और भरोसा मिलेगा।
राजस्थान के लिए केंद्र ने मूंग, उड़द, मूंगफली और सोयाबीन की रिकॉर्ड खरीद को स्वीकृति दी है। यह देश में सबसे बड़ी खरीद पहलों में से एक है। स्वीकृत पात्र मात्रा में मूंग 3,05,750 मीट्रिक टन, उड़द 1,68,000 मीट्रिक टन (100%), मूंगफली 5,54,750 मीट्रिक टन और सोयाबीन 2,65,750 मीट्रिक टन शामिल हैं। इनका कुल MSP मूल्य लगभग 9,436 करोड़ रुपये है। राज्य ने POS आधारित आधार प्रमाणीकरण व्यवस्था के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने राज्यों से खरीद व्यवस्था को मजबूत और पारदर्शी बनाने के निर्देश दिए, ताकि किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो और MSP का पूरा लाभ किसानों तक पहुंचे।
कृषि मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि खरीद केंद्रों पर आधार-सक्षम डिवाइस उपलब्ध हों, साथ ही किसान पंजीकरण एवं भुगतान DBT के माध्यम से हो, साथ ही FPO/FPC को अधिक भूमिका देकर किसानों को संगठित बाजार उपलब्ध कराएं।

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