महंगाई घटकर 15 महीने के निचले स्तर 5.66% पर आई, उपभोक्ता खुश किसान परेशान, रिजर्व बैंक पर ब्याज बढ़ाने का घटा दबाव  

महंगाई की दर 15 महीने बाद सबसे निचले स्तर 5.66 फीसदी पर आ गई है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी की वजह से खुदरा महंगाई घटी है। अब यह रिजर्व बैंक की तय सीमा 2-6 फीसदी के दायरे में आ गई है। इससे अब यह संभावना बढ़ गई है कि भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में फिलहाल बढ़ोतरी नहीं करेगा।

महंगाई घटकर 15 महीने के निचले स्तर 5.66% पर आई, उपभोक्ता खुश किसान परेशान, रिजर्व बैंक पर ब्याज बढ़ाने का घटा दबाव   
खुदरा महंगाई घटने से आरबीआई पर ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव घट गया है। (फाइल फोटो)

महंगाई की दर 15 महीने बाद सबसे निचले स्तर 5.66 फीसदी पर आ गई है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी की वजह से खुदरा महंगाई घटी है। अब यह रिजर्व बैंक की तय सीमा 2-6 फीसदी के दायरे में आ गई है। इससे अब यह संभावना बढ़ गई है कि भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में फिलहाल बढ़ोतरी नहीं करेगा।

महंगाई का यह स्तर उपभोक्ताओं के लिए तो राहत की बात है लेकिन खाद्य वस्तुओं की कीमतों में लगातार कमी से किसान परेशान हैं क्योंकि उन्हें उनकी उपज की सही कीमत नहीं मिल पा रही है। इस साल आलू एवं प्याज की बंपर पैदावार से कीमतें धरातल पर आ गई जिससे किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ा। उसके बाद सरकार ने घरेलू बाजार में गेहूं और आटा की कीमतें घटाने के लिए केंद्रीय पूल से 50 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचने का फैसला किया।

सरकार के इस कदम से गेहूं की थोक कीमतें तो घट गईं लेकिन खुदरा में आटा, ब्रेड और अन्य गेहूं उत्पादों की कीमतों में बहुत ज्यादा कमी नहीं आई। आटा की कीमतें तो सिर्फ 2-3 रुपये प्रति किलो ही घटी, जबकि थोक में दाम 10 रुपये प्रति किलो तक कम हुए थे। सरकार के इस फैसले का सारा फायदा आटा मिलों और बड़े व्यापारियों ने उठा लिया। उन्होंने अपने उत्पादों के दाम थोक कीमतों के मुकाबले में नहीं घटाए जिससे उपभोक्ताओं को बहुत ज्यादा राहत नहीं मिली। लेकिन किसानों को नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि गेहूं की नई फसल की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,125 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे आ गई। रही सही कसर बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने पूरी कर दी।

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इस समय सरसों और चना के भाव भी एमएसपी से करीब 1,000 रुपये नीचे चल रहे हैं। सरसों के भाव में कमी की एक बड़ी वजह खाद्य तेलों का बड़ी मात्रा में आयात किया जाना है।     

सरकार की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति की दर 5.66 फीसदी रही। सब्जियों और प्रोटीन युक्त वस्तुओं की कीमतें घटने से यह कमी आई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में 6.44 फीसदी और एक साल पहले की इसी अवधि में 6.95 फीसदी थी। इससे पहले दिसंबर 2021 में खुदरा महंगाई 5.66 फीसदी थी।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च में सालाना आधार पर सब्जियों की महंगाई दर घटकर 8.51 फीसदी, तेल और वसा की 7.86 फीसदी और मांस और मछली की 1.42 फीसदी रही। जबकि कीमतों में बढ़ोतरी वाले उत्पादों में मसालों की वृद्धि दर 18.2 फीसदी थी। इसके बाद 'अनाज और उत्पादों' की वृद्धि दर 15.27 फीसदी रही। फल भी महंगे हुए हैं।

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मार्च में खाद्य महंगाई की दर 4.79 फीसदी रही जो फरवरी में 5.95 फीसदी और एक साल पहले की अवधि में 7.68 फीसदी थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य महंगाई की हिस्सेदारी 54.18 फीसदी है। आरबीआई ने 2023-24 के लिए अपने मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.3 फीसदी से घटाकर 5.2 फीसदी कर दिया है।

एनएसओ देश भर के चयनित 1,114 शहरी और 1,181 ग्रामीण बाजारों से कीमतों का आंकड़ा इकट्ठा करता है। मार्च 2023 के दौरान इसने 100 फीसदी गांवों और 98.5 प्रतिशत शहरी बाजारों से कीमतें इकट्ठा की है। 

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