अमेरिकी टैरिफ छूट से भारत को बड़ा लाभ नहीं, छूट प्राप्त कृषि उत्पादों में भारत की सीमित हिस्सेदारी

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के अनुसार, जिन उत्पादों पर अमेरिका ने रैसिप्रोकल टैरिफ हटाने का ऐलान किया है, उनके निर्यात में भारत की हिस्सेदारी बहुत कम है। भारतीय कृषि निर्यात को इस कदम का सीमित लाभ मिलेगा।

अमेरिकी टैरिफ छूट से भारत को बड़ा लाभ नहीं, छूट प्राप्त कृषि उत्पादों में भारत की सीमित हिस्सेदारी

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा चुनिंदा कृषि उत्पादों को पारस्परिक (reciprocal) टैरिफ से बाहर करने के हालिया फैसले से भारत को बहुत अधिक लाभ मिलने की संभावना नहीं है। 12 नवंबर को जारी एक आदेश के तहत कॉफी, चाय, फल, फलों का रस, कोको, मसाले, केले, संतरे, टमाटर, बीफ और कुछ उर्वरकों को 2 अप्रैल से लागू टैरिफ से मुक्त कर दिया गया। यह छूट 13 नवंबर से प्रभावी हो गई है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के अनुसार, जिन उत्पादों पर अमेरिका ने टैरिफ छूट दी है, उनके निर्यात में भारत की हिस्सेदारी बहुत कम है। टैरिफ-मुक्त उत्पादों का अमेरिका सालाना 50.6 अरब डॉलर का आयात करता है जिसमें से भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 54.8 करोड़ डॉलर की है। इनमें अधिकांश उत्पाद ऐसे हैं जिनका अमेरिका में पर्याप्त घरेलू उत्पादन नहीं होता या जिनके लिए आवश्यक जलवायु परिस्थितियां वहां उपलब्ध नहीं हैं।

अमेरिका के हालिया निर्णय का भारत को बड़ा लाभ न मिलने की वजह यह भी है कि टैरिफ छूट के आदेश में भारत के प्रमुख कृषि निर्यात उत्पाद जैसे झींगा व अन्य समुद्री उत्पाद, बासमती और नॉन-बासमती चावल शामिल नहीं हैं। वहीं, जिन उत्पादों पर छूट दी गई है, जैसे टमाटर, साइट्रस फल, खरबूजे, केले, ताजे फल और फलों का रस, इनमें भारत की हिस्सेदारी लगभग नगण्य है।

विशेषज्ञों का कहना है कि टैरिफ छूट से मसालों और कुछ बागवानी उत्पादों में भारत की प्रतिस्पर्धा में मामूली सुधार संभव है। लेकिन इसका लाभ तभी मिलेगा, जब भारत अपनी उत्पादन क्षमता और कोल्ड-चेन ढांचे को मजबूत करे तथा कृषि निर्यात में विविधता लाए।

भारत–अमेरिका के बीच लगभग 6.6 अरब डॉलर का कृषि व्यापार होता है। इनमें समुद्री उत्पाद विशेष रूप से फ्रोज़न झींगा भारत का सबसे बड़ा निर्यात है, जिसकी 2024-25 में अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी 2.8 अरब डॉलर रही। अन्य प्रमुख निर्यातों में बासमती चावल, मसाले, कॉफी और तंबाकू शामिल हैं।

कुल मिलाकर, अमेरिकी शुल्क नीति में बदलाव से मसालों और निचे बागवानी उत्पादों में भारत की स्थिति कुछ बेहतर हो सकती है, लेकिन व्यापक लाभ की संभावना फिलहाल लैटिन अमेरिकी, अफ्रीकी और आसियान देशों के पक्ष में ही अधिक दिखाई देती है।

 

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