केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक तीन साल के न्यूनतम स्तर पर, मध्य प्रदेश में दाम एमएसपी से अधिक

केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक तीन साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। पिछले साल की बेहतर सरकारी खरीद के बावजूद 1 अप्रैल, 2022 को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 189.90 लाख टन पर आ गया जो एक साल पहले इसी समय 273 लाख टन पर था। हालांकि 1 अप्रैल के लिए केंद्रीय पूल के बफर मानक 74.60 लाख टन के मुकाबले यह करीब ढाई गुना है। केंद्रीय पूल में साल की विभिन्न अवधि में बफर मानक की मात्रा निर्धारित है जो देश में खाद्यान्न उपलब्धता और सार्वजनिक वितरण प्रणाली और दूसरी योजनाओं को सुचारू रखने के लिए जरूरी है। वहीं चालू मार्केटिंग सीजन में मध्य प्रदेश समेत कुछ राज्योंं में गेहूं की कीमत एमएसपी से ज्यादा होने के चलते सरकारी खऱीद घटने की संभावना है

केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक तीन साल के न्यूनतम स्तर पर, मध्य प्रदेश में दाम एमएसपी से अधिक

केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक तीन साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। पिछले साल की बेहतर सरकारी खरीद के बावजूद 1 अप्रैल, 2022 को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 189.90 लाख टन पर आ गया जो एक साल पहले इसी समय 273 लाख टन पर था। हालांकि 1 अप्रैल के लिए केंद्रीय पूल के बफर मानक 74.60 लाख टन के मुकाबले यह करीब ढाई गुना है। केंद्रीय पूल में साल की विभिन्न अवधि में बफर मानक की मात्रा निर्धारित है जो देश में खाद्यान्न उपलब्धता और सार्वजनिक वितरण प्रणाली और दूसरी योजनाओं को सुचारू रखने के लिए जरूरी है। 

चालू रबी मार्केटिंग सीजन (अप्रैल से जून)  में सरकार ने 444 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया है। लेकिन पिछले करीब एक माह में जिस तरह से तापमान तेजी से बढ़ा है उसके चलते देश के कुछ हिस्सों में गेहूं का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है जिसके चलते उत्पादन के सरकार द्वारा जारी पहले अनुमान 11.13 करोड़ टन पर पहुंचने की संभावना कमजोर हो रही है। इसके साथ ही यूक्रेन और रूस के युद्ध के चलते वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमतें बहुत तेजी से बढ़ी हैं। यही वजह है कि पिछले साल में 70 लाख टन गेहूं के निर्यात के बाद चालू साल में भी अप्रैल के जुलाई के बीच के लिए 35 से 40 लाख टन गेहूं निर्यात के सौदे होने की खबरें आ रही हैं। इसके चलते निर्यातक बाजार में गेहूं की खऱीद कर रहे हैं जिसके चलते कई राज्यों में गेहूं का दाम 2015 रुपये प्रति क्विटंल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक चल रहा है। ऐसे में सरकारी खऱीद का लक्ष्य पूरा होना मुश्किल लग रहा है।

केंद्रीय पूल में 1 अप्रैल को खाद्यान्न का स्टॉक (लाख टन)                     

 

गेहूं

चावल

कुल 

2019

169.92

398.16

568.08

2020

247.00

491.49

738.49

2021

273.04

499.29

772.33

2022

189.90

550.37

740.27

स्रोतः भारतीय खाद्य निगम

मध्य भारत कंसोर्सिएम ऑफ एफपीओ के सीईओ योगेश द्विवेदी ने रूरल वॉयस को बताया कि उनका एफपीओ दमोह, देवास, रायसेन और टीकमगढ़ में गेहूं की खरीद कर रहा है और इन सब जगहों पर गेहूं की कीमत एमएसपी से अधिक है। उन्होंने बताया कि दमोह में 12 अप्रैल को 2030 रुपये प्रति क्विटंल, देवास में 2100 और 2140 रुपये प्रति क्विटंल पर गेहूं की खरीदारी हुई है। जबकि चालू सीजन के लिए गेहूं का एमएसपी 2015 रुपये प्रति क्विटंल है। उनका एफपीओ घरेलू उद्योग और निर्यातकों दोनों के लिए गेहूं की खरीद कर रहा है। द्विवेदी का कहना है कि चालू सीजन में मध्य प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद पिछले साल से कम रहेगी। 

केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक कम होने की मुख्य वजह प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत पांच किलो फ्री खाद्यान्न देना रहा है। साथ ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत भी खाद्यान्न का आवंटन काफी बेहतर रहा है। वित्त वर्ष 2019-20 में केंद्रीय पूल से गेहूं का उठाव 271.90 लाख टन रहा था। जो 2020-21 में बढ़कर 363.90 लाख टन पर पहुंच गया और पिछले वित्त वर्ष (2021-22) के 11 माह में  अप्रैल से फरवरी के  बीच यह 464.60 लाख टन पर पहुंच गया था। पिछले साल पीएमजीकेएवाई के तहत ही फरवरी तक 184.90 लाख टन गेहूं का उठाव हुआ। 

हालांकि गेहूं के उलट केंद्रीय पूल में चावल का स्टॉक एक अप्रैल, 2022 को 550.40 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर रहा। इसकी बड़ी वजह चावल की सरकारी खरीद में भारी बढ़ोतरी रही है। पिछले वित्त वर्ष (2021-22) में अप्रैल से फरवरी 610 लाख टन चावल की सरकारी खरीद हुई। जबकि इस दौरान चावल का उठाव 501.50 लाख टन रहा। 

वहीं पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में समय से पहले अधिक तापमान बढ़ने का गेहूं के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ने उत्पादन कम होने की आशंका है। साथ ही  निर्यात में बढ़ोतरी की संभावनाओं के चलते गेहूं की सरकारी खरीद कम रह सकती है। इसलिए केंद्रीय पूल में गेहूं का भंडार पिछले साल से कम बना रह सकता है।

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