अक्टूबर के अंत में BIRC 2025 का आयोजन, 25,000 करोड़ रुपये का चावल निर्यात समझौता करने का लक्ष्य

भारत इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस (BIRC) 2025 इसी माह के अंत में भारत मंडपम में आयोजित होगा। इसका मकसद चावल निर्यात के लिए 25,000 करोड़ रुपये के MoU करना और दुनिया भर में चावल के व्यापार में भारत की जगह मजबूत करना है। APEDA और IREF द्वारा आयोजित इस इवेंट में AI आधारित टेक्नोलॉजी, महिलाओं के नेतृत्व वाले कृषि इनोवेशन और क्लाइमेट-स्मार्ट खेती की पहल भी दिखाई जाएगी।

अक्टूबर के अंत में BIRC 2025 का आयोजन, 25,000 करोड़ रुपये का चावल निर्यात समझौता करने का लक्ष्य

इस माह के अंत में, 30-31 अक्टूबर को नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में भारत इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस (BIRC) 2025 का आयोजन किया जा रहा है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार इस सम्मेलन का मकसद 25,000 करोड़ रुपये के चावल निर्यात के MoU साइन करना और लगभग 1.80 लाख करोड़ रुपये के नए चावल बाजार की संभावनाएं तलाश करना है। मंत्रालय का कहना है कि इससे वैश्विक चावल ट्रेड में भारत की स्थिति और मजबूत होगी।

BIRC 2025 चावल क्षेत्र में पारदर्शिता, मजबूती और सस्टेनेबिलिटी बढ़ाने के लिए किसानों, निर्यातकों, आयातकों, नीति निर्माताओं, फाइनेंसर, शोधकर्ताओं और लॉजिस्टिक उपलब्ध कराने वालों को साथ लाने के लिए एक ग्लोबल प्लेटफॉर्म के तौर पर काम करेगा। शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में APEDA के चेयरमैन अभिषेक देव ने बताया कि फिलीपींस, घाना, नामीबिया और गाम्बिया के विदेश मंत्री दो दिन की कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेंगे।

वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में करीब 172 देशों को चावल का निर्यात किया। यह दुनिया के सबसे बड़े चावल उत्पादकों और निर्यातकों में से एक है। बीते वर्ष भारत ने 12.95 अरब डॉलर का 201 लाख मीट्रिक टन चावल एक्सपोर्ट किया, जो दुनिया का लगभग 28% है। घरेलू उत्पादन 15 करोड़ टन तक पहुंच गया और पैदावार 2014–15 के 2.72 टन से बढ़कर 3.2 टन प्रति हेक्टेयर हो गई।

यह कार्यक्रम इंडियन राइस एक्सपोर्टर्स फेडरेशन (IREF) और APEDA द्वारा वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, उपभोक्ता मामले मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय, सहकारिता मंत्रालय और कृषि मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। इसमें भाग लेने वाली राज्य सरकारों में ओडिशा, तेलंगाना, मेघालय, असम और मणिपुर शामिल हैं, जबकि NCEL, NCOL, BBSSL और कृभको जैसे कोऑपरेटिव भी हिस्सा लेंगे। इसमें 3,000 से ज्यादा किसानों और एफपीओ, 80 से ज्यादा देशों के 1,000 विदेशी खरीदारों और 2,500 निर्यातकों तथा मिलर्स के आने की उम्मीद है।

आठ से ज्यादा टेक्निकल सेशन में पॉलिसी बनाने वालों, ट्रेड बॉडी, रिसर्च ऑर्गनाइजेशन और इंडस्ट्री के विशेषज्ञों के साथ चर्चा होगी। वाणिज्य विभाग, APEDA, IREF, ICAR और इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (IRRI) मिलकर अंतिम विजन डॉक्यूमेंट को अगले छह महीनों में अंतिम रूप देंगे।

चावल है खाद्य सुरक्षा का आधार
दुनिया भर में चावल खाद्य सरक्षा की रीढ़ बना हुआ है। चार अरब से अधिक लोग चावल खाते हैं। इससे  100 देशों में लगभग 15 करोड़ छोटे किसानों को गुजारा करने में मदद मिलती है। दुनिया भर में चावल का उत्पादन वर्ष 1961 के 21.6 करोड़ टन से बढ़कर 77.6 करोड़ टन हो गया है। इसकी मार्केट वैल्यू लगभग 330 अरब डॉलर है। चावल की खेती में दुनिया के 16.7 करोड़ हेक्टेयर में सिंचाई के पानी का 24–30% इस्तेमाल होता है। पर्यावरण की चुनौतियों को पहचानते हुए कॉन्फ्रेंस में चावल की खेती को सस्टेनेबल बनाने के लिए क्लाइमेट-स्मार्ट खेती, अच्छी सिंचाई, सर्टिफिकेशन और ट्रेसेबिलिटी पर फोकस किया जाएगा।

टेक्नोलॉजी और इनोवेशन की खास बातें
BIRC 2025 का एक बड़ा आकर्षण भारत की पहली AI-पावर्ड चावल सॉर्टिंग और ग्रेडिंग टेक्नोलॉजी होगी, जिसे एग्रीटेक पैवेलियन में लाइव लॉन्च किया जाएगा। बिग डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से चलने वाला यह सिस्टम अनाज के रंग, आकार और बनावट का एक साथ विश्लेषण करता है, जिससे ज्यादा प्रिसिजन के साथ लागत कम होती है।

एक और खास बात महिला आंत्रप्रेन्योर, स्टार्टअप और MSME पैवेलियन हैं, जिसमें जलवायु सहिष्णु कृषि, कटाई के बाद की टेक्नोलॉजी, ब्लॉकचेन का इस्तेमाल करके ट्रेसेबिलिटी सॉल्यूशन और डिजिटल मार्केटप्लेस टूल जैसे इनोवेशन दिखाए जाएंगे। 

राज्यों की सहभागिता
जम्मू-कश्मीर, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, ओडिशा, मेघालय, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के पवेलियन GI-टैग्ड चावल की किस्में, सस्टेनेबल खेती के मॉडल और निवेश के मौकों को दिखाएंगे। मेघालय पारंपरिक किस्मों जैसे पनाह इओंग, म्यनरी, मांगसांग, मिनिल और खॉ बिरिउन का प्रदर्शन करेगा। इनकी खेती बारिश के पानी से की जाती है। 

नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (NCOL) के तहत भारत ऑर्गेनिक्स इस कार्यक्रम में अपनी ऑर्गेनिक चावल रेंज और डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर प्लेटफॉर्म लॉन्च करेगा। पारंपरिक वैरायटी जैसे काला नमक, इंद्रायणी, गोबिंदभोग, ब्लैक राइस और रेड मट्टा को भी प्रमोट किया जाएगा ताकि सर्टिफाइड-ऑर्गेनिक चावल को बढ़ावा दिया जा सके।

DGFT के ट्रेड कनेक्ट पोर्टल को भी निर्यातकों के लिए एक यूनिफाइड डिजिटल गेटवे के तौर पर प्रमोट किया जाएगा। ICAR और IRRI द्वारा खेती के अच्छे तरीकों और पानी बचाने वाले तरीकों पर ट्रेनिंग सेशन में सस्टेनेबिलिटी पर फोकस रहेगा।

मंत्रालय के अनुसार आगे BIRC का आयोजन हर साल किया जाएगा। यह चावल के व्यापार, पॉलिसी पर चर्चा और टेक्नोलॉजिकल सहयोग के लिए एक फ्लैगशिप ग्लोबल प्लेटफॉर्म के तौर पर काम करेगा। वर्ष 2025 के आयोजन के पार्टनर देशों में फिलीपींस, म्यांमार, नाइजर, कोमोरोस, जॉर्डन, लाइबेरिया, गाम्बिया और सोमालिया शामिल हैं, जबकि IRRI-SARC, E&Y और S&P ग्लोबल नॉलेज पार्टनर के तौर पर काम करेंगे।

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