बड़ी संख्या में डिफंक्ट हो रही हैं फार्मर प्रोड्यूसर कंपनियां, एसएफएसी कर रहा है इनकी ग्रेडिंग
बड़ी तादाद में FP0 को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें एक बड़ी संख्या उन एफपीओ की है जिनका गठन कंपनी कानून के तहत हुआ है। इन्हें फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीसी) कहा जाता है। कृषि मंत्रालय के तहत स्माल फार्मर्स एग्रीबिजनेस कंसोर्सियम (एसएफएसी) के जरिये एफपीसी का गठन होता है। सूत्रों के मुताबिक, बड़ी संख्या में एफपीसी डिफंक्ट कंपनियों में तब्दील हो गये हैं।

सरकार ने किसानों को कृषि उत्पादों के कारोबार के जरिये अधिक कमाई और लागत कम करने के मकसद से देश में दस हजार कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन का निर्णय लिया था। सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने के करीब पहुंच चुकी है। लेकिन किसानों के कलेक्टिव्स की धारणा के तहत गठित किये गये इन संगठनों में से बड़ी तादाद को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें एक बड़ी संख्या उन एफपीओ की है जिनका गठन कंपनी कानून के तहत हुआ है। इन्हें फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीसी) कहा जाता है। कृषि मंत्रालय के तहत स्माल फार्मर्स एग्रीबिजनेस कंसोर्सियम (एसएफएसी) के जरिये एफपीसी का गठन होता है। सूत्रों के मुताबिक, बड़ी संख्या में एफपीसी डिफंक्ट कंपनियों में तब्दील हो गये हैं।
एसएफएसी सूत्रों ने बताया कि उसके तहत आने वाले 3700 एफपीसी को तय मानकों के आधार पर ग्रेडिंग दी जा रही है। इसके लिए तय अंकों के आधार पर ए, बी, सी, डी और ई ग्रेडिंग की जा रही है। अभी तक की रिपोर्ट के अनुसार ए श्रेणी के तहत करीब 500 एफपीसी हैं। जबकि बी श्रेणी के तहत 450 एफपीसी और सी श्रेणी के तरत 550 एफपीसी हैं। एसएफएसी ने तय मानकों के आधार पर श्रेणीबद्ध किये गये एफपीसी और उनसे संबंधित बाकी जानकारी कृषि मंत्रालय को भेजी है। इस रिपोर्ट पर कृषि सचिव को फैसला लेना है।
बड़ी संख्या में ऐसे एफपीसी हैं जिन्होंने कंपनी मामले मंत्रालय की बेबसाइट पर रिटर्न भी नहीं भरी है। श्रेणी तय करने के लिए जो मानक हैं उनमें इनकी वित्तीय स्थिति, जमीनी स्तर पर कामकाज, इनपुट लाइसेंस, प्रोसेसिंग और एक्सपेंशन जैसे मानकों के अंक तय हैं। उदाहरण के तौर पर इनमें इनपुट लाइसेंस के पांच अंक हैं, वहीं प्रोसेसिंग के लिए 10 अंक रखे गये हैं। 60 या उससे अधिक अंक पाने वाले एफपीसी को ए श्रेणी में रखा गया है जबकि 50 से 60 अंक वाले एफपीसी को बी श्रेणी में रखा गया है। इससे कम अंक वाले एफपीसी को अंकों के आधार पर सी, डी और ई श्रेणी में रखा गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, कुछ राज्य एफपीसी को दस लाख रुपये तक की वित्तीय मदद देना चाहते हैं। इसके लिए उन्हें एफपीसी की श्रेणी आधारित रिपोर्ट की जरूरत है। पूर्वोत्तर के एक राज्य के मुख्यमंत्री इसके लिए अधिक उत्सुक हैं। उक्त सूत्र का कहना है कि ए और बी श्रेणी के एफपीसी इस मदद के पात्र हो सकते हैं।