महाराष्ट्र में स्वीकृत मात्रा के मुकाबले बहुत कम सोयाबीन खरीद, कांग्रेस ने उठाया मुद्दा
कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने सोयाबीन की खरीद का ब्योरा सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में सोयाबीन की खरीद 15 दिन में समाप्त हो जाएगी। अब तक महाराष्ट्र में लगभग 3,888 टन सोयाबीन खरीदा गया है, जबकि स्वीकृत मात्रा 13.08 लाख टन है। यानी सोयाबीन खरीद का 0.3 फीसदी लक्ष्य ही पूरा हुआ है।
सोयाबीन के भाव में गिरावट से किसानों को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए सरकारी कवायद नाकाफी साबित हो रही है। केंद्र सरकार ने सोयाबीन उत्पादक महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना राज्यों में एमएसपी पर सोयाबीन की खरीद शुरू करने का ऐलान किया था। लेकिन अब तक महाराष्ट्र में सोयाबीन की स्वीकृत मात्रा के मुकाबले एक फीसदी भी खरीद नहीं हुई है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर हल्ला बोला है।
कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने 11 नवंबर तक हुई सोयाबीन की खरीद का ब्योरा सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए कहा कि सोयाबीन के लिए महाराष्ट्र की खरीद अवधि दूसरे राज्यों के मुकाबले सबसे कम है। यह महज 15 दिन में समाप्त हो जाएगी। इस छोटी सी अवधि में, राज्य ने लगभग 3,888 मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदा है, जबकि स्वीकृत मात्रा 13,08,238 मीट्रिक टन है। यानी कि 0.3% लक्ष्य ही पूरा हुआ है। पड़ोसी राज्य तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है। उसने लगभग 25,000 टन सोयाबीन की खरीद की है, जो अपने लक्ष्य का 50 फीसदी है।
जयराम रमेश द्वारा शेयर किए गये आंकड़ों के अनुसार, 11 नवंबर तक देश में करीब 39 हजार टन सोयाबीन की खरीद हुई है जबकि खरीद की स्वीकृत मात्रा 32.24 लाख टन है। मध्य प्रदेश में 13.68 लाख टन सोयाबीन खरीद की मात्रा स्वीकृत थी लेकिन सिर्फ 9971 टन सोयाबीन की खरीद हुई। इसी तरह राजस्थान में 2.92 लाख टन की स्वीकृत मात्रा के मुकाबले 1096 टन सोयाबीन खरीदा गया है। कर्नाटक में 1.03 लाख टन की स्वीकृत मात्रा के मुकाबले मात्र 188 टन सोयाबीन एमएसपी पर खरीदा गया है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सोयाबीन किसानों को हुए नुकसान का मुद्दा तूल पकड़ रहा है। इस साल प्रदेश में सोयाबीन की बंपर पैदावार हुई लेकिन उपज के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी नीचे आ गये। इस साल सरकार ने सोयाबीन का एमएसपी 4892 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जबकि महाराष्ट्र के किसानों को 3800-4200 रुपये के आसपास सोयाबीन बेचनी पड़ रही है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी महाराष्ट्र के सोयाबीन और कपास किसानों की परेशानियों का मुद्दा उठाते हुए भाजपा पर निशाना साधा है। मंगलवार को राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के सोयाबीन किसानों के साथ ऑनलाइन बातचीत की थी। राहुल गांधी ने ट्विट किया कि महाराष्ट्र के सोयाबीन और कपास के किसान भाजपा की किसान विरोधी नीतियों के कारण हताश और निराश हैं। सोयाबीन की कीमतें 2021 में 10,000 रुपए प्रति क्विंटल तक थीं लेकिन अब किसान MSP से भी कम दाम में बेचने को मजबूर हैं। सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4,892 रुपए प्रति क्विंटल है लेकिन किसानों को 4,200 रुपए के आसपास बेचना पड़ रहा है। कई किसानों को तो और भी कम कीमत मिल रही है।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि आय दुगनी करना तो भूल जाइए, भाजपा ने किसानों को अपनी फसल लागत के तीन-चौथाई दर पर बेचने को मजबूर कर दिया है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और महा विकास अघाड़ी गठबंधन ने स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले के अनुसार MSP तय करने और इसे कानूनी दर्जा दिलाने का वादा किया है। कांग्रेस ने किसानों को तीन लाख रुपये तक की कर्जमाफी का वादा भी किया है।
पूर्व सांसद और स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी ने रूरल वॉयस को बताया कि महाराष्ट्र में सोयाबीन के किसानों को एमएसपी से बहुत कम भाव मिल रहे हैं। सरकारी खरीद के नाम पर सिर्फ नौटंकी हो रही है और किसानों को अपनी उपज 3800 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेचनी पड़ रही है। शेट्टी का दावा है कि सोयाबीन के अलावा कपास और प्याज के किसान भी सरकार से नाराज हैं।
सोयाबीन के लिए महाराष्ट्र की ख़रीद अवधि दूसरे राज्यों के मुक़ाबले सबसे कम है। यह महज़ 15 दिन में समाप्त हो जाएगी। इस छोटी सी अवधि में, राज्य ने लगभग 3,888 मीट्रिक टन सोयाबीन ख़रीदा है, जबकि स्वीकृत मात्रा 13,08,238 मीट्रिक टन है। यानी कि 0.3% लक्ष्य ही पूरा हुआ है।
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) November 14, 2024
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