आग से धधक रहे उत्तराखंड के वन, 5 लोगों की मौत, खेतों में फसल अवशेष जलाने पर रोक

वनों में आग की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने खेतों में फसल कटाई के बाद अवशेषों को जलाने पर रोक लगा दी है।

आग से धधक रहे उत्तराखंड के वन, 5 लोगों की मौत, खेतों में फसल अवशेष जलाने पर रोक

उत्तराखंड के जंगलों में भीषण आग लगी है। जंगलों की आग रोकने की पुख्ता प्लानिंग और उपायों के अभाव में हर साल गर्मियों में ये घटनाएं होती हैं। उत्तराखंड में इस साल जंगलों की आग में पांच लोगों की मौत हो चुकी है जबकि वनाग्नि की 910 से अधिक घटनाओं में 1145 हेक्टअर वन प्रभावित हुए हैं।  

वनों में आग की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने खेतों में फसल कटाई के बाद अवशेषों को जलाने पर रोक लगा दी है। शहरी निकाय भी अपने ठोस कूड़े को वन या वनों के आसपास नहीं जला सकेंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को मुख्य सचिव को सभी जिलाधिकारियों को एक सप्ताह तक प्रतिदिन वनाग्नि की निरंतर मॉनिटरिंग करने के निर्देश तत्काल जारी करने को कहा है।मुख्यमंत्री द्वारा जिलाधिकारियों को सभी प्रकार के फसल अवशेष जलाने पर तत्काल प्रभाव से एक सप्ताह के लिए पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही शहरी निकायों को भी अपने ठोस कूड़े को वन या वनों के आसपास जलने पर रोक लगाने को कहा गया है। 

आग में झुलसने से बुजुर्ग महिला की मौत

जंगल की आग की चपेट में आने से एक बुजुर्ग महिला की रविवार को एम्स ऋषिकेश में मौत हो गई। पौड़ी तहसील के थापली गांव की रहनी वाली 65 वर्षीय सावित्री देवी घास की गठरी को आग से बचाने के प्रयास में बुरी तरह झुलस गई। उन्हें इलाज के लिए एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था, जहां रविवार को उनकी मौत हो गई है।

दूनागिरी मंदिर तक पहुंची वनाग्नि

अल्मोड़ा में जंगल की आग दूनागिरी मंदिर तक पहुंच गई। इससे श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई और जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। वन विभाग की टीम ने स्थानीय लोगों और पीआरडी जवानों की मदद से आग पर काबू पाया जिस कारण कोई जनहानि नहीं हुई। 

वनाग्नि की 910 घटनाएं, 1145 हेक्टेअर क्षेत्र प्रभावित

वन विभाग द्वारा रविवार शाम चार बजे जारी बुलेटिन के अनुसार, पिछले 24 घंटों में राज्य में जंगल में आग लगने की 24 घटनाएं सामने आईं, जिससे 23.75 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ। बीते साल एक नवंबर से अब तक उत्तराखंड में वनाग्नि की 910 घटनाएं हुईं हैं जिनसे करीब 1145 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। इनमें सबसे ज्यादा 482 घटनाएं कुमाऊं क्षेत्र और 355 घटनाएं गढ़वाल क्षेत्र में हुई। वन्यजीव क्षेत्र में आग की 73 घटनाएं हुई हैं जबकि सरकारी बुलेटिन के अनुसार, किसी पशु को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।   

351 केस दर्ज, वीडियो बनाने वाले तीन युवक गिरफ्तार

जंगलों में आग लगाने को लेकर उत्तराखंड में अब तक 351 केस दर्ज हुए हैं। इसमें 61 लोगों को नामजद किया गया है, जबकि 290 मामले अज्ञात के खिलाफ दर्ज किए गए हैं। कुछ युवकों ने अपने इंस्टाग्राम पर जंगल में आग लगाने संबंधी वीडियो शेयर किया था। जांच में वीडियो चमोली जिले के गैरसैंण मेहलचौरी का निकला। इस मामले में पुलिस ने बिहार के रहने वाले तीन युवकों ब्रजेश कुमार, सलमान और सुखलाल को गिरफ्तार किया है। पिथौरागढ़ की गंगोलीहाट रेंज में जंगल में आग लगाने के आरोप में चार लोगों पीयूष सिंह, आयुष सिंह, राहुल सिंह और अंकित के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। अराजक तत्वों द्वारा वनों में आग लगाये जाने के मामलों में पुलिस और वन विभाग द्वारा कड़ी कार्रवाई की जा रही है। 

क्यों लगती है जंगलों में आग

उत्तराखंड के जंगलों में फरवरी से जून के बीच हर साल आग भीषण आग है। गर्म हवा में सूखी पत्तियां तेजी से आग पकड़ती हैं। कई बार पर्यटकों की लापरवाही से भी आग लगती है जबकि कई बार स्थानीय लोग नई घास उगाने, पेड़ों की अवैध कटान को छुपाने, अवैध शिकार आदि के लिए भी जंगलों में आग लगा देते हैं। उत्तराखंड के जंगलो में सबसे ज्यादा आग चीड़ के पेड़ की वजह से लगती है क्योंकि इसकी सूखी पत्तियां यानी पिरूल तेजी से आग पकड़ती हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में तापमान बढ़ने से भी वनाग्नि की घटनाएं बढ़ रही हैं। जंगलों की आग की रोकथाम के लिए व्यापक प्लानिंग और ठोस उपायों की कमी हर साल भीषण आग के रूप में दिखाई पड़ती है।  

7-8 मई तक बारिश की संभावना

देहरादून में मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने कहा कि राज्य में 7-8 मई तक बारिश होने की संभावना है, जो 11 मई से तेज हो जाएगी। इससे जंगल की आग बुझाने में मदद मिल सकती है। कुमाऊं क्षेत्र में 7 मई से और गढ़वाल क्षेत्र में 8 मई से बारिश शुरू हो जाएगी।

 

Subscribe here to get interesting stuff and updates!