सरसों की कीमतें एमएसपी से नीचे आने पर केंद्र हुआ सक्रिय, राज्यों को सरकारी खरीद शुरू करने का दिया निर्देश

सरसों की कीमतों को एमएसपी पर बरकार रखने के लिए नेफेड और कृषि मंत्रालय ने राज्यों के साथ एक वर्चुअल बैठक की है। बैठक में गुजरात ने कहा कि वहां सरकारी खरीद शुरू करने के लिए 10 मार्च की तिथि निर्धारित है। इस पर केंद्रीय एजेंसी नेफेड और केंद्र सरकार का कहना था कि कीमतों में गिरावट की स्थिति को देखते हुए 10 मार्च का इंतजार नहीं करना चाहिए।

सरसों की कीमतें एमएसपी से नीचे आने पर केंद्र हुआ सक्रिय, राज्यों को सरकारी खरीद शुरू करने का दिया निर्देश
प्रतीकात्मक फोटो

प्याज की कीमतों में भारी गिरावट के बाद सरसों की कीमतों में आ रही कमी सरकार के लिए नई चिंता का कारण बनती दिख रही है। गुजरात की कई मंडियों में सरसों की कीमत 4,800 रुपये प्रति क्विटंल तक गिर गई। जबकि चालू रबी मार्केटिंग सीजन (2023-24) के लिए सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,450 रुपये प्रति क्विटंल है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी कीमतें एमएसपी के करीब ही हैं। हालांकि, यह कीमतें बड़ी मंडियों की हैं जबकि दूर-दराज के बाजार में कीमत इससे भी कम रहने की जानकारियां आ रही हैं। रूरल वॉयस को उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि  सरसों की कीमतों को एमएसपी पर बरकार रखने के लिए दो दिन पहले नेफेड और कृषि मंत्रालय ने राज्यों के साथ एक वर्चुअल बैठक की है।

सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में गुजरात ने कहा कि वहां सरकारी खरीद शुरू करने के लिए 10 मार्च की तिथि निर्धारित है। इस पर केंद्रीय एजेंसी नेफेड और केंद्र सरकार का कहना था कि कीमतों में गिरावट की स्थिति को देखते हुए 10 मार्च का इंतजार नहीं करना चाहिए। सरसों की कीमतों को एमएसपी से नीचे गिरने से रोकने के लिए केंद्र सरकार के लिए नेफेड खरीद करती है। यह खरीद प्राइस सपोर्ट स्कीम (पीएसएस) के तहत होती है जिसके लिए नेफेड के पास एक क्रेडिट गारंटी फंड है। इसी फंड का उपयोग करते हुए राज्यों की फेडरेशनों के जरिये सरसों की खरीद की जाती है।

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इस बैठक में राज्यों के फेडरेशनों को कहा गया है कि वह सरसों की खरीद करने के लिए खरीद केंद्र खोलने की तैयारी शुरू करें ताकि जरूरत पड़ने पर बाजार में बिना किसी देरी के तुरंत हस्तक्षेप किया जा सके। नवंबर से लेकर जनवरी तक देश में खाद्य तेलों के आयात में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है जिसके चलते खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट आ रही है। जनवरी में खाद्य तेलों का आयात 16.61 लाख टन हुआ है जो नया रिकॉर्ड है।  सितंबर 2021 के बाद यह सबसे ज्यादा आयाज है। जनवरी 2022 की तुलना में आयात में 31 फीसदी की तेजी आई है। वहीं इस साल सरसों की रिकॉर्ड क्षेत्रफल में बुआई हुई है और फसल की बाजार में आवक तेज हो गई है। पिछले दो साल में किसानों को सरसों का बेहतर दाम मिला था। इसकी वजह खाद्य तेलों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी और एफएसएसआई द्वारा सरसों के तेल में ब्लैंडिंग को बंद करने का फैसला भी शामिल रहा है। मगर इस साल किसानों को एमएसपी भी मिलना मुश्किल लग रहा है। इसके चलते ही नेफेड के जरिये सरकारी खरीद कर कीमतों को एमएसपी से नीचे गिरने से रोकने की तैयारी तेज हुई है।

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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा रबी सीजन में रिकॉर्ड 98.02 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई हुई है जो 2021-22 के मुकाबले 6.77 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। पिछले सीजन में भी बुवाई का रिकॉर्ड बना था जिसकी वजह से 117.46 लाख टन की र‍िकॉर्ड पैदावार हुई थी। फसलों के दूसरे अग्रिम अनुमान में सरकार ने सरसों एवं रेपसीड का उत्पादन 128 लाख टन रहने का अनुमान लगाया है।  

महाराष्ट्र में खरीफ सीजन की पिछैती प्याज की फसल की बाजार में तेज आवक होने के बाद किसानों को कीमतों में भारी गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले के राजनीतिक रूप लेने के बाद और केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले और वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से महाराष्ट्र के भाजपा सांसदों द्वारा इस बारे में कदम उठाने के लिए कहने के बाद केंद्र सरकार सक्रिय हुई। मंत्रालय के निर्देश के बाद 26 फरवरी से नेफेड ने नासिक में प्याज के खरीद केंद्र शुरू किए और उसके बाद कीमतों में कुछ सुधार हुआ है। सरकार सरसों के मामले में प्याज जैसी स्थिति पैदा होने से पहले ही कदम उठाने की तैयारी कर रही है।    

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