खरीफ सीजन से पहले ग्रामीण महंगाई में गिरावट, नीति निर्धारकों पर कम हो सकता है दबाव
मई 2025 में वर्ष-दर-वर्ष महंगाई दर कृषि श्रमिकों के लिए 2.84% और ग्रामीण श्रमिकों के लिए 2.97% रही। यह मई 2024 की तुलना में बड़ी गिरावट है, जब यह दरें क्रमशः 7.00% और 7.02% थीं। अप्रैल 2025 में CPI-AL 3.48% और CPI-RL 3.53% था, जिससे स्पष्ट है कि ग्रामीण महंगाई में गिरावट का रुझान बना हुआ है।

मई 2025 के दौरान ग्रामीण भारत में महंगाई के दबाव में नरमी देखी गई। कृषि श्रमिकों (CPI-AL) और ग्रामीण श्रमिकों (CPI-RL) के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में मामूली गिरावट दर्ज की गई है। आंकड़ों के अनुसार, मई में कृषि श्रमिकों की महंगाई का सूचकांक दो अंक गिरकर 1305 पर आ गया, ग्रामीण श्रमिकों की महंगाई एक अंक की गिरावट के साथ 1319 पर आ गई। दोनों सूचकांक 1986-87 (=100) के आधार वर्ष पर आधारित हैं।
मई 2025 में वर्ष-दर-वर्ष महंगाई दर कृषि श्रमिकों के लिए 2.84% और ग्रामीण श्रमिकों के लिए 2.97% रही। यह मई 2024 की तुलना में बड़ी गिरावट है, जब यह दरें क्रमशः 7.00% और 7.02% थीं। अप्रैल 2025 में CPI-AL 3.48% और CPI-RL 3.53% था, जिससे स्पष्ट है कि ग्रामीण महंगाई में गिरावट का रुझान बना हुआ है।
वस्तुओं के समूह के हिसाब से सूचकांकों पर नजर डालें तो कुछ महत्वपूर्ण बदलाव सामने आते हैं:
खाद्य वस्तुएं: खाद्य सूचकांक कृषि श्रमिक और ग्रामीण श्रमिक महंगाई दोनों का एक प्रमुख घटक है। इसमें गिरावट आई है। कृषि श्रमिकों के लिए यह अप्रैल के 1233 से घटकर मई में 1228 हो गया, जबकि ग्रामीण श्रमिकों के लिए यह 1240 से घटकर 1234 हो गया। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य पदार्थों के दामों में कुछ राहत मिलने के संकेत मिलते हैं।
पान, सुपारी आदि: इस श्रेणी में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। कृषि श्रमिकों के लिए सूचकांक अप्रैल के 2143 से बढ़कर 2146 हो गया और ग्रामीण श्रमिकों के लिए यह 2152 से बढ़कर 2156 हुआ है।
ईंधन और लाइट: दोनों श्रेणियों में हल्की वृद्धि देखी गई। कृषि श्रमिकों के लिए सूचकांक 1404 से बढ़कर 1408 हुआ, जबकि ग्रामीण श्रमिकों के लिए यह 1393 से बढ़कर 1397 हो गया।
कपड़े, बिस्तर और जूते: इस समूह में भी हल्की बढ़त दर्ज की गई। कृषि श्रमिकों के लिए सूचकांक 1344 से बढ़कर 1351 हो गया। ग्रामीण श्रमिकों के लिए यह 1412 से बढ़कर 1418 हुआ है।
विविध: इस श्रेणी में भी दोनों समूहों के लिए वृद्धि दर्ज की गई। इसका इंडेक्स 1405 से बढ़कर 1415 हो गया। इससे यह संकेत मिलता है कि अन्य विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की लागत में भी वृद्धि हुई है।
मई 2025 के आंकड़े ग्रामीण भारत में नियंत्रित महंगाई का संकेत देते हैं, जो कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए एक सकारात्मक है। वे आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। वर्ष-दर-वर्ष महंगाई दर में भारी गिरावट एक बेहतर आर्थिक माहौल की ओर इशारा करती है।