एमएसपी गारंटी कानून की मांग को लेकर दिल्ली के पंजाब खोड़ गांव में जुटे 200 किसान संगठन

देश भर के किसान संगठन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) गारंटी कानून बनवाने के लिए  अब आर-पार की लड़ाई लड़ना चाहता है। इसके लिए किसान दिल्ली के पंजाब खोड़ गांव जुटे हैं। तीन दिन के 6 से 8 अक्टूबर तक चलने वाले एमएसपी गारंटी कानून अधिवेशन में राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन और स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अलावा देशभर के 200 किसान संघों के करीब 3,000 किसान अगले दो दिनों तक इस पर मंथन करेंगे।

एमएसपी गारंटी कानून की मांग को लेकर दिल्ली के पंजाब खोड़ गांव में जुटे 200  किसान संगठन
देश भर के किसान संगठन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) गारंटी कानून बनवाने के लिए  अब आर-पार की लड़ाई लड़ना चाहता है। इसके लिए किसान दिल्ली के पंजाब खोड़ गांव जुटे हैं। तीन दिन के 6 से 8 अक्टूबर तक चलने वाले एमएसपी गारंटी कानून अधिवेशन में राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन और स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अलावा देशभर के 200 किसान संघों के करीब 3,000 किसान अगले दो दिनों तक इस पर मंथन करेंगे।
केंद्र सरकार खरीफ एवं रबी सीजन को मिलाकर कुल 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करती है, लेकिन कुल उत्पादन के मुकाबले एमएसपी पर खरीद सीमित मात्रा में होने के कारण अधिकांश किसानों को अपनी जिंस एमएसपी से नीचे दाम पर बेचनी पड़ती है। इसीलिए किसान संगठन लंबे समय से फसलों की एमएसपी गारंटी को कानून बनाने की मांग केंद्र सरकार से कर रहे हैं। 
अधिवेशन की शुरूआत करते हुए राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी का कानून बनवा कर ही दम लेंगे। उन्होंने कहा कि पिछले सत्तर सालों से देश का किसान राजनैतिक दलों का मोहरा बनता रहा है तथा राजनीतिक दलों ने चुनाव के समय ही किसानों की चिंता की है और वह भी केवल उनके घोषणापत्रों में ही सीमित रही है। अब किसान अपनी लड़ाई खुद लड़ेगा और वह भी कानूनी हक के साथ। इसीलिए देशभर के 200 किसान संगठन खेत की बात खेत से करने के लिए दिल्ली के पंजाब खोड़ गांव में जुटे हैं।
एमएसपी गारंटी किसान मोर्चा का गठन 22 मार्च 2022 को हुआ था। इस मोर्च में देशभर के लगभग 200 किसान संगठन शामिल हैं, जोकि लंबे समय से किसानों के हक के लिए आवाज उठा रहे हैं। इस मोर्चे में सरदार वीएम सिंह, राजू शेट्टी, जलपुरुष राजेंद्र सिंह, पीवी राजगोपाल, रामपाल जाट, बलराज भाटी, राजाराम त्रिपाठी, के चंद्रशेखर, जसकरन सिंह, अय्यकन्नू जैसे किसान नेता प्रमुख भूमिका में हैं।

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