सीएससी कॉन्क्लेव में टेक्नोलॉजी और सीएसआर के सहयोग से ग्रामीण परिवर्तन का आह्वान
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सचिव अतुल कुमार तिवारी ने कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के माध्यम से भारत के शहरी-ग्रामीण विभाजन को पाटने का आह्वान किया है। तिवारी सीएससी सीएसआर कॉन्क्लेव 2025 के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे।

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सचिव अतुल कुमार तिवारी ने कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के माध्यम से भारत के शहरी-ग्रामीण विभाजन को पाटने का आह्वान किया है। तिवारी सीएससी सीएसआर कॉन्क्लेव 2025 के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे। उन्होंने ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने में तकनीक और कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) की भूमिका को रेखांकित किया। इस कॉन्क्लेव का आयोजन सीएससी अकाडमी और इंडियन ईएसजी नेटवर्क द्वारा संयुक्त रूप से किया गया, जिसका उद्देश्य था सीएसआर को डिजिटल समावेशन, पर्यावरणीय स्थिरता और समावेशी विकास के एक रणनीतिक साधन के रूप में सामने लाना।
सीएससी को एक क्रांतिकारी विचार बताते हुए तिवारी ने इनकी भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि ये भारत की सामाजिक पूंजी को मजबूत करने में योगदान दे रहे हैं, और यह प्रधानमंत्री के डिजिटल ग्रामीण सशक्तीकरण के दृष्टिकोण के अनुरूप है। उन्होंने विशेष रूप से सीएससी अकादमी की भूमिका की सराहना की जो व्यावसायिक प्रशिक्षण और डिजिटल साक्षरता के जरिए ग्रामीण भारत में सीएसआर पहल को आगे बढ़ा रही है।
इस कॉन्क्लेव में सरकार, कॉर्पोरेट और अन्य क्षेत्रों से आए लोगों ने सीएसआर को ग्रामीण भारत में पर्यावरणीय स्थिरता, सामुदायिक विकास और परिवर्तनकारी बदलाव का एक सशक्त उपकरण बनाने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया।
अपने मुख्य भाषण में सीएससी अकाडमी के अध्यक्ष और सचिव संजय कुमार राकेश ने देशभर में सीएससी के प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सीएससी केवल डिजिटल पहुंच केंद्र नहीं हैं, बल्कि वे परिवर्तन के उत्प्रेरक हैं, जिन्हें ग्राम स्तरीय उद्यमियों द्वारा संचालित किया जाता है। उन्होंने कहा, "सीएसआर केवल एक कानूनी अनिवार्यता नहीं, बल्कि समावेशी प्रगति का रणनीतिक साधन है।"
सीबीएसई के प्रशिक्षण और कौशल शिक्षा निदेशक डॉ. बिस्वजीत साहा ने भी सीएससी अकादमी की भूमिका को रेखांकित किया जो अगली पीढ़ी को विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), साइबर सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों के लिए तैयार कर रही है। कार्यक्रम में CSR, पर्यावरणीय स्थिरता और सामुदायिक विकास के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा भी हुई। चर्चा के मुख्य विषयों में शिक्षा, कौशल विकास, डिजिटल साक्षरता, वित्तीय समावेशन, महिला सशक्तीकरण और स्वास्थ्य सेवा शामिल रहे।
कॉन्क्लेव के प्रमुख वक्ताओं में शामिल थे- UNICEF के प्रोग्राम स्पेशलिस्ट अभिषेक गुप्ता जिन्होंने "पासपोर्ट टू अर्निंग" पहल पर प्रकाश डाला, VISA में गवर्मेंट एंगेजमेंट मैनेजर पर्नाल वत्स जिन्होंने डिजिटल विलेज कार्यक्रम पर बात की, Kyndryl की सीएसआर मैनेजर गीतांजली गौर और Graposs Connect के सीईओ राजीव मलिक जिन्होंने सीएससी ओलंपियाड पहल पर चर्चा की।
कॉन्क्लेव में विषयगत पैनल चर्चा भी आयोजित की गई। शिक्षा, कौशल और रोजगार पर आधारित पैनल की अध्यक्षता वाधवानी फाउंडेशन के सुनील दहिया ने की, जिसमें राजकुमार श्रीवास्तव (IFS, कर्नाटक) और पल्लव तिवारी (UNICEF) ने भाग लिया। महिला और बाल स्वास्थ्य पर आधारित पैनल की अध्यक्षता डॉ. वशीमा सुभा (Ernst & Young) ने की, जिसमें वेलकम क्योर के पुनीत देसाई और बायोसेंस के डॉ. योगेश पाटिल जैसे विशेषज्ञ शामिल थे।
कॉन्क्लेव का समापन सीएसआर के माध्यम से ग्रामीण परिवर्तन को गति देने की प्रतिबद्धता के साथ हुआ। सीएससी अकाडमी ने डिजिटल समावेशन, कौशल-आधारित शिक्षा और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने के अपने मिशन को दोहराया। इस आयोजन ने सभी क्षेत्रों के सहयोग से एक सतत और समावेशी भविष्य के निर्माण की आवश्यकता को रेखांकित किया।