सरकार ने ब्रोकन राइस के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया

सरकार ने ब्रोकन राइस यानी टूटे चावल के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया गया है। गुरुवार 8 सितंबर, 2022 को वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक यह प्रतिबंध आज यानी 9 सितंबर से लागू हो गया है। कल ही वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर 9 सितंबर से गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी का सीमा शुल्क लगा दिया था।

सरकार ने ब्रोकन राइस के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया

केंद्र सरकार चावल की कीमतों को लेकर चिंतित दिख रही है। यही वजह है कि  सरकार ने ब्रोकन राइस यानी टूटे चावल के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया गया है। गुरुवार 8 सितंबर, 2022 को वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक यह प्रतिबंध आज यानी 9 सितंबर से लागू हो गया है। कल ही वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर 9 सितंबर से गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी का सीमा शुल्क लगा दिया था।

हालांकि बासमती चावल और पारबॉयल्ड (सेला) चावल का निर्यात शुल्क मुक्त है और इसके निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं है। लेकिन टूटा सेला चावल निर्यात प्रतिबंध की श्रेणी में आ सकता है।

वाणिज्य मंत्रालय के डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फारेन ट्रेड (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक  ब्रोकन राइस के निर्यात की नीति के तहत इसके निर्यात को मुक्त से बदलकर प्रतिबंधित कर दिया गया है। यह फैसला 9 सितंबर से लागू हो गया है। अधिसूचना के मुताबिक 9 सितंबर से 15 सितंबर, 2022 के बीच ब्रोकन राइस के जो कंसाइनमेंट निर्यात करने की अनुमति होगी उनके बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इसके मुताबिक अधिसूचना के पहले जो ब्रोकन राइस शिप पर लोडिंग शुरू हो चुकी है उस निर्यात को अनुमति होगी। इसके साथ ही जिसका शिपिंग बिल फाइल को चुका है और वैसल यानी शिप बर्थ कर चुका है और उसके रोटेशन नंबर अधिसूचना के पहले अलॉट हो चुका है उस पर ब्रोकन राइस लोडिंग की अनुमति होगी लेकिन इसकी पहले पूरी जानकारी पोर्ट अथारिटी से ली जाएगी। वहीं जो कंसाइनमेंट इस अधिसूचना के पहले कस्टम को हैंडओवर की जा चुकी है और इसके सिस्टम में पंजीकृत हो चुकी है।

ब्रोकन राइस चीन और इंडोनेशिया को ज्यादा निर्यात किया जाता है जहां यह फीड के लिए इस्तेमाल किया जाता है और लेकिन  अफ्रीका में भोजन के लिए उपयोग होता है। 

पिछले वित्त वर्ष में देश के 212 लाख टन चावल का निर्यात हुआ था। जो विश्व के कुल चावल निर्यात के 40 फीसदी के बराबर है। 

इस साल देश के करीब दर्जन भर राज्यों में बारिश में कमी के चलते धान का रकबा घटा है और साथ ही इन राज्यों में धान की फसल पर कम बारिश का प्रतिकूल असर पड़ा है। यही वजह है कि सरकार चावल की घरेलू कीमतों को नियंत्रित रखने और उपलब्धता को बरकरार रखने के लिए निर्यात प्रतिबंध और निर्यात पर सीमा शुल्क लगाने जैसे फैसले ले रही है। हालांकि इस सब के बीच कृषि मंत्रालय ने पिछले साल के लिए रिकार्ड चावल उत्पादन के आंकड़े जारी किये थे। वहीं चालू कृषि उत्पादन सीजन 2022-23 सीजन में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन का 32.8 करोड़ टन का लक्ष्य रखा है। लेकिन निर्यात से संबंधित इन फैसलों से लगता है कि वाणिज्य और खाद्य मंत्रालय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों पर पूरा भरोसा नहीं कर पा रहे हैं।

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