'विकसित कृषि संकल्प अभियान' का पुरी से शुभारंभ, विज्ञान को किसान से जोड़ने की पहल

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी किसानों से इस ऐतिहासिक अभियान से जुड़ने की अपील की है। 12 जून तक चलने वाले इस 15 दिवसीय अभियान में वैज्ञानिकों की टीमें गांव-गांव जाकर किसानों से सीधा संवाद करेंगी और उन्हें उन्नत कृषि सलाह देंगी।

'विकसित कृषि संकल्प अभियान' का पुरी से शुभारंभ, विज्ञान को किसान से जोड़ने की पहल

केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को कृषि विज्ञान केंद्र, पुरी (ओडिशा) में मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और उपमुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंह देव के साथ 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' (VKSA) का शुभारंभ किया। यह 15 दिवसीय अभियान 29 मई से 12 जून तक चलेगा, जिसके तहत वैज्ञानिकों की 2,170 टीमें गांव-गांव जाकर किसानों से सीधा संवाद करेंगी।

केंद्रीय कृषि मंत्री भुवनेश्वर स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद–केंद्रीय मीठाजल मत्स्य पालन संस्थान (ICAR-CIFA), काउसल्यागंगा में 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' के कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने बताया कि यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों को किसानों तक पहुंचाकर उत्पादन और आय बढ़ाना है। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे वैज्ञानिकों से संवाद कर नई तकनीकों को अपनाएं।

1.5 करोड़ किसानों तक पहुंचेंगे वैज्ञानिक

केंद्रीय कृषि मंत्री ने ओडिशा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (OUAT) में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने सेंटर हॉर्टिकल्चर एक्सपेरिमेंट स्टेशन में आयोजित क्षेत्रीय आम विविधता प्रदर्शनी में शामिल होकर किसानों से संवाद भी किया। 

अभियान के तहत देश के 1.5 करोड़ से अधिक किसानों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि यह केवल तकनीकी जानकारी देने का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि किसानों से सीधे जुड़ने और उन्हें नई तकनीकों से सशक्त बनाने की पहल है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें इस मिशन को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

वैज्ञानिक जाएंगे खेतों तक

लगभग 16 हजार वैज्ञानिकों की 2,170 टीमें प्रतिदिन दो-दो गांवों का दौरा करेंगी।क्षेत्र की जलवायु, मिट्टी, पानी आदि को ध्यान में रखते हुए किसानों को उन्नत कृषि सलाह दी जाएगी। किसानों को यह बताया जाएगा कि कौन-सी फसलें उगानी चाहिए, किस प्रकार की किस्मों का चयन करें और उर्वरकों का उपयोग कैसे करना है। साथ ही प्राकृतिक खेती, दलहन एवं तिलहन की खेती से संबंधित जानकारियां भी दी जाएंगी। किसानों की खेती से जुड़ी समस्याओं का समाधान भी किया जाएगा।

दुनिया का 'फूड बास्केट' बनेगा भारत: शिवराज सिंह

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि वर्ष 2024-25 में देश का खाद्यान्न उत्पादन 3,539.59 लाख टन तक पहुंच है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 216.61 लाख टन अधिक है। उन्होंने कहा, “हमें भारत को दुनिया का ‘फूड बास्केट’ बनाना है और इसके लिए सबसे आवश्यक हैं—अच्छे बीज।”

उन्होंने ICAR के वैज्ञानिकों को बधाई दी कि वे प्रयोगशालाओं में लगातार अनुसंधान कर नई बीज किस्में विकसित कर रहे हैं। 

शोध को किसानों से जोड़ने की पहल

'विकसित कृषि संकल्प अभियान' के शुभारंभ के अवसर पर सचिव (DARE) एवं महानिदेशक (ICAR) डॉ. एम. एल. जाट, उपमहानिदेशक (मत्स्य विज्ञान) डॉ. जे. के. जेना, उपमहानिदेशक (कृषि विस्तार) डॉ. राजबीर सिंह और ICAR-ATARI कोलकाता के निदेशक डॉ. प्रदीप डे उपस्थित थे।

डॉ. एम. एल. जाट ने विकसित कृषि संकल्प अभियान को एक “परिवर्तनकारी अभियान” करार देते हुए कहा कि यह पहल वैज्ञानिक शोध को किसानों की जमीनी जरूरतों से जोड़ने का प्रभावी माध्यम है। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत अनुसंधान को किसानों से जोड़कर कृषि क्षेत्र को अधिक उन्नत, सतत और लाभकारी बनाने की दिशा में ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।

पुरी में तिरंगा यात्रा

मुख्यमंत्री मोहन माझी ने कहा कि 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' किसानों में आधुनिक तकनीकों और नई बीज किस्मों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए भारत सरकार की एक अभूतपूर्व पहल है। इस अवसर पर पुरी में तिरंगा यात्रा आयोजित की गई और केवीके, पुरी में पौधारोपण कर हरित संकल्प को बल दिया गया।

मछली टीका का लोकार्पण

कार्यक्रम के दौरान ICAR-CIFA द्वारा विकसित मछली रोग से बचाव के लिए टीका “CIFA Argu VAX–I” का भी लोकार्पण किया गया। यह नवाचार परजीवी संक्रमण को रोकने में सहायक होगा और मत्स्यपालकों को आर्थिक हानि से बचाएगा।

किसान संवाद और प्रदर्शनी 

ICAR-CIFA  काउसल्यागंगा में आयोजित कार्यक्रम में 600 से अधिक किसानों और स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने भाग लिया। उन्होंने वैज्ञानिकों से प्रत्यक्ष संवाद कर कृषि और मत्स्य पालन की उन्नत तकनीकों, प्राकृतिक खेती, तिलहन–दलहन उत्पादन, जलवायु-अनुकूल खेती और उर्वरक प्रबंधन पर जानकारी प्राप्त की।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय और आईसीएआर इस अभियान को राज्य सरकारों के सहयोग से संचालित कर रहे हैं, जिसमें देशभर के सभी 731 कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) और कृषि विश्वविद्यालय सम्मिलित हैं।  

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