भारत और मालदीव के बीच मछली पालन और एक्वाकल्चर क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता
भारत और मालदीव ने मछली पालन और एक्वाकल्चर के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए एक समझौते (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता ट्यूना मछली पकड़ने, वैल्यू चेन के विकास और वैज्ञानिक इनोवेशन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
समुद्री क्षेत्र में सहयोग को मजबूती देने की दिशा में भारत और मालदीव ने एक अहम समझौता किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालदीव यात्रा के दौरान दोनों देशों ने मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर में सहयोग बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग और नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है। यह समझौता 25 जुलाई 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालदीव यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच हुए 6 महत्वपूर्ण समझौतों में से एक है।
इस साझेदारी का मकसद ट्यूना और गहरे समुद्र में मत्स्य पालन को बढ़ावा देना, एक्वाकल्चर और सतत संसाधन प्रबंधन को मजबूत करना, मत्स्य पालन पर आधारित ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देना और दोनों देशों के बीच नवाचार और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना है।
इस समझौते में सहयोग के जिन प्रमुख क्षेत्रों का ज़िक्र किया गया है, उनमें वैल्यू चेन का विकास, समुद्री कृषि की उन्नति, व्यापार में सुगमता और मत्स्यपालन क्षेत्र में क्षमता निर्माण शामिल हैं। इस पहल के तहत मालदीव कोल्ड स्टोरेज से जुड़ी ढांचागत व्यवस्था में निवेश करके और हैचरी विकास, बेहतर उत्पादन क्षमता और संवर्धित प्रजातियों के विविधीकरण के ज़रिए, एक्वाकल्चर क्षेत्र को मज़बूत करते हुए अपनी क्षमताओं का विस्तार करेगा।
यह समझौता ज्ञापन प्रशिक्षण और ज्ञान आदान-प्रदान कार्यक्रमों को भी आसान बनाएगा, जिसमें जलीय पशु स्वास्थ्य, जैव सुरक्षा जांच, जलीय कृषि फार्म प्रबंधन और रेफ्रीजरेशन, मेकैनिकल इंजीनियरिंग और मरीन इंजीनियरिंग जैसे खास तकनीकी क्षेत्रों में क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, ताकि इस क्षेत्र में दीर्घकालिक कौशल विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

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