बारिश से धान के साथ तिल और सब्जी की फसलों को भी नुकसान, रबी की बुवाई में भी होगी देरी

इस बारिश के कारण मुख्य रूप से अरहर, मूंग और तिल की फसलों को नुकसान हुआ है। दलहनी फसलों में ज्यादा पानी लगने से नुकसान होगा क्योंकि अधिक पानी खेतों लगने से पौधे मुरझा जाएंगे। इसलिए किसान खेतों से पानी निकालने की व्यवस्था करें। किसानों को सब्जी के खेतों में नालियां बनाकर पानी निकालना चाहिए और मिट्टी को जड़ों के पास रखना चाहिए

बारिश से धान के साथ तिल और सब्जी की फसलों को भी नुकसान, रबी की बुवाई में भी होगी देरी

उत्तर प्रदेश में चार दिनों से हो रही बारिश ज्यादातर किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। बारिश से किसानों की खड़ी फसल बर्बाद हो गई है। अगेती धान की फसल, तिल और सब्जी की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि सूखा पड़ने के कारण खेत खाली थे। उन खेतों में  किसानों ने आलू, सब्जियां, तिलहन, तोरिया, लाई की फसल बोई थी लेकिन लगातार हो रही बारिश के कारण खेतों में पानी भरने से फसल खराब हो गई। अचानक हुई बारिश के कारण धान की कटाई में देरी हुई। इस कारण सरसों, चना और मटर जैसी रबी फसलों की बुवाई में भी देरी होगी जिसका पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इस तरह अक्टूबर की बारिश ने खरीफ और रबी दोनों के नुकसान के आसार बन गए हैं। 

गोरखपुर जिले के सहजनवा के किसान और ब्रह्म कृषि जैव ऊर्जा किसान उत्पादक संगठन के निदेशक अजय कुमार सिंह ने रूरल वॉयस को बताया कि उनके एफपीओ समूह ने 60 एकड़ में लौकी, खीरा, करेला और बैंगन लगाया था। बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है। पौधे सड़ रहे हैं और गिर रहे हैं। अजय सिंह ने कहा कि उन्होंने लगभग 25 एकड़ में धान लगाया था, जिसमें लगभग 10 एकड़ में धान की किस्म सरजू-52 लगाई थी। वह पांच से 10 दिनों में कटाई के लिए तैयार होने वाली थी। धान की कटाई बाद सरसों की बुवाई करनी थी। लेकिन इस बारिश से धान की फसल की कटाई में देरी होगी। खेतों में पानी भर गया है। इसलिए कंबाइन मशीन से कटाई करना संभव नहीं है। कटाई मजदूरों से कराने पर लागत बढ़ जाएगी।

महराजगंज जिले के किसान वीरेंद्र कुमार चौरसिया ने रूरल वॉयस को बताया कि उन्होंने साढ़े तीन एकड़ में लौकी और टमाटर की फसल लगाई थी, जिसकी लगात खर्च डेढ़ लाख रुपये आई थी। लेकिन अचानक हुई इस बारिश से सब्जी की फसल जलमग्न हो गई और खराब हो रही है।

गांव खरिहानी, जिला आजमगढ़ के किसान प्रवीण कुमार राव ने कहा कि इस वर्ष सूखे के कारण धान के खेतों में इंजन से पानी देना पड़ा। लेकिन इस बारिश के धान की कटाई में देरी होगी। प्रवीण ने कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि अक्टूबर में इतनी बारिश होगी।

कानपुर के गांव केंडा कल्याणपुर के किसान रघुनाथ सिंह ने बताया कि उन्होंने डेढ़ एकड़ में सुनहरी बासमती की फसल लगाई थी, जिसे काटकर खेतों में रखा था। बारिश के काऱण पानी खेत में भर गया जिसके कारण फसल खराब होने का डर है। उन्होंने कहा कि उनके एरिया के अधिकतर किसानों को धान की फसल 10-15 दिन में तैयार हो जाती, लेकिन बारिश के कारण कटाई में देऱी होगी। उन्होंने बताया कि बारिश के कारण तिल, मूंगफली और लहसुन की फसल को भी नुकसान हुआ है। कई किसानों ने तोरिया-आलू की बुआई की है। जलभराव होने से इन फसलों को नुकसान पहुंचा है। कुछ खेतों में आलू की बुवाई की तैयारी चल रही थी, लेकिन भारी बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

जिला बुलंदशहर के ग्राम नेकपुर के बायो एनर्जी फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के निदेशक किसान प्रीतम सिंह ने रूरल वॉयस को बताया कि हमारे एफपीओ के सदस्य किसान मुख्य रूप से बासमती की खेती करते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे क्षेत्र में क्रमश: 7, 8 और 9 अक्टूबर को 15, 40 और 70 मिमी बारिश हुई है.उन्होंने बताया कि उनके एरिया में स्थापित वर्षा मापी यंत्र  से  आंकडा लिया गया है। इस बारिश से धान के खेतों में अगेती काटी गई बासमती फसल पूरी तरह भीग गई है। देर से पकने वाली बासमती किस्मों की 60 प्रतिशत तक फसल खेतों में गिर चुकी है। जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है।

सहारनपुर जिले के जंधेड़ी गांव  के किसान अमरनाथ खटाना ने रूरल वॉयस को बताया कि हमारे क्षेत्र में धान की अगेती फसल कट गई है, लेकिन इस बारिश के कारण खेतों में ज्यादा नमी के काऱण अब सरसों की बुवाई में देरी होगी। धान की सामान्य फसल खड़ी है। खेतों में नमी के कारण उनकी कटाई में देरी हो रही है जिससे रबी फसलों की बुवाई में देरी होगी।

विशेषज्ञों की सलाह
इस संबंध में मऊ के कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ. एल सी वर्मा ने रूरल वॉयस  को बताया कि अचानक हुई बारिश से किसानों की धान की फसल की कटाई में देरी होगी, जिससे रबी फसलों, मुख्य रूप से तोरिया, सरसों और आलू की बुवाई में देरी होगी। खेतों में जलभराव के कारण कंबाइन से धान कटाई करना मुश्किल होगा। नमी के कारण चावल के दाने अधिक टूटते हैं। उन्होंने बताया कि इस बारिश के कारण मुख्य रूप से अरहर, मूंग और तिल की फसलों को नुकसान हुआ है। दलहनी फसलों में ज्यादा पानी लगने से नुकसान होगा, क्योंकि अधिक पानी खेतों लगने से पौधे मुरझा जाएगे। इसलिए किसान खेतों से पानी निकालने की व्यवस्था करें। 

आजमगढ़ कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. आर. पी. सिंह ने कहा कि इस बारिश से सब्जियों की फसलों का नुकसान बढ़ गया है। किसानों को सब्जी के खेतों में नालियां बनाकर पानी निकालना चाहिए। और मिट्टी को जड़ों के पास रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि धान की कटाई और बारिश के कारण गेहूं की बुवाई में देरी होने पर किसान पिछले साल के हीट वेब को देखते हुए गेहूं अनुसंधान केंद्र करनाल द्वारा विकसित कम अवधि की गेहूं की किस्मों की बुवाई करें।

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