मछली उत्पादन पर पर्यावरणीय अनिश्चितताओं और नियामकीय जोखिम का अगले दस साल में पड़ सकता है असर

अगले दस साल में दुनिया भर में मछली पालन और जलीय कृषि क्षेत्र (एक्वाकल्चर) को पर्यावरण संबंधी चिंताओं, नीतियों में बदलाव और प्रभावशाली शासन प्रणालियों की चुनौतियों सहित महत्वपूर्ण अनिश्चितताओं की वजह से खामियाजा भुगतना पड़ेगा। ओईसीडी-एफएओ कृषि आउटलुक 2023-32 में यह आशंका जताई गई है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी उम्मीद जताई गई है कि इस दौरान उत्पादन में ज्यादातर वृद्धि जलीय कृषि क्षेत्र में ही होगी।

मछली उत्पादन पर पर्यावरणीय अनिश्चितताओं और नियामकीय जोखिम का अगले दस साल में पड़ सकता है असर
ओईसीडी-एफएओ एग्रीकल्चरल आउटलुक 2023-32 रिपोर्ट में कहा गया है कि जलीय कृषि और मछली पालन दोनों क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक चीन में किसी भी नीतिगत बदलाव का वैश्विक उत्पादन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।

अगले दस साल में दुनिया भर में मछली पालन और जलीय कृषि क्षेत्र (एक्वाकल्चर) को पर्यावरण संबंधी चिंताओं, नीतियों में बदलाव और प्रभावशाली शासन प्रणालियों की चुनौतियों सहित महत्वपूर्ण अनिश्चितताओं की वजह से खामियाजा भुगतना पड़ेगा। ओईसीडी-एफएओ कृषि आउटलुक 2023-32 में यह आशंका जताई गई है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी उम्मीद जताई गई है कि इस दौरान उत्पादन में ज्यादातर वृद्धि जलीय कृषि क्षेत्र में ही होगी। सरकारी नीतियों में बदलाव, खासकर पर्यावरणीय प्रभावों से संबंधित बदलाव के चलते वितरण और वृद्धि दर बढ़ सकती है।

आर्गनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक कोआपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) और संयुक्त राष्ट्र के कृषि एवं खाद्य संगठन (एफएओ) द्वारा तैयार ओईसीडी-एफएओ एग्रीकल्चरल आउटलुक 2023-32 रिपोर्ट में कहा गया है कि जलीय कृषि और मछली पालन दोनों क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक चीन में किसी भी नीतिगत बदलाव का वैश्विक उत्पादन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। 15वीं पंचवर्षीय योजना 2026-30 की अवधि के दूसरे भाग में अनिश्चितता ज्यादा रहेगी। जलवायु परिवर्तन का मछली पालन और जलीय कृषि दोनों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा। शायद यह अगले दशक में मछली उत्पादन के लिए अनिश्चितता के सबसे बड़े कारणों में से एक है जिसका अनुमान लगाना मुश्किल है।

रिपोर्ट के मुताबिक, मछली पालन पर जलवायु परिवर्तन के प्रत्यक्ष प्रभावों में स्टॉक के बदलते भौगोलिक वितरण और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में प्रजातियों की संरचना, टर्नओवर, बहुतायत और विविधता में परिवर्तन शामिल हैं। जलवायु परिवर्तन न केवल मछुआरों के लिए उपलब्ध संसाधनों को प्रभावित करेगा, बल्कि मछली पालन प्रबंधकों का काम भी जटिल बना देगा और साझा स्टॉक की संख्या में वृद्धि होगी। इससे सहकारी प्रबंधन व्यवस्थाओं की आवश्यकता बढ़ जाएगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जलीय कृषि पर जलवायु प्रेरित तापमान, वर्षा, समुद्र के अम्लीकरण, हाइपोक्सिया की घटना और समुद्र के स्तर में वृद्धि, जंगली बीजों की उपलब्धता के साथ-साथ वर्षा में कमी के कारण मीठे पानी के लिए बढ़ती प्रतिस्पर्धा आदि के कारण लंबे समय तक असर पड़ने की संभावना है। जलवायु परिवर्तन का असर हर जगह एक समान नहीं होगा, समशीतोष्ण क्षेत्रों की तुलना में उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बड़े बदलाव की उम्मीद है।

जलवायु परिवर्तन मछली पालन और जलीय कृषि दोनों के लिए कई नियामक जोखिम भी पैदा करता है। जैसे-जैसे सरकारों पर खाद्य प्रणाली से जीएचजी उत्सर्जन को कम करने और इसे शून्य करने का दबाव बढ़ रहा है, मछली पालन (जैसे डीजल ईंधन) और जलीय कृषि (जैसे बिजली) के प्रमुख ऊर्जा स्रोत की कीमतें बढ़ सकती हैं। इससे उत्पादन के प्रकार और बेड़े की संरचना जैसी कुछ गतिविधियों के मुनाफे पर असर पड़ सकता है। इन नीतियों का कृषि बाजारों पर पड़ने वाला प्रभाव अनिश्चितता का एक अन्य कारण है।

सरकारों को इन चुनौतियों को समझने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में मदद करने के लिए ओईसीडी की दो नई पहलें हैं- पहला, मछली पालन के लिए नीति निर्माण पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से संबंधित है और दूसरा, वैश्विक स्तर पर खाद्य प्रणालियों के सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने में जलीय कृषि की भूमिका से संबंधित हैं।  एफएओ का ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों को कम करने में कमजोर देशों को मदद करने के लिए पर्यावरणीय स्थिरता, खाद्य सुरक्षा और आजीविका प्राथमिकताओं में सामंजस्य स्थापित करके भूख में कमी और महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों के स्थायी प्रबंधन के लिए एक मार्ग प्रदान कर सकता है।

ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन मछली पालन और जलीय कृषि दोनों से अधिक कुशल, समावेशी, लचीला और टिकाऊ ब्लू फूड सिस्टम पर ध्यान केंद्रित करता है जिसे एकीकृत विज्ञान आधारित प्रबंधन, तकनीकी नवाचार और निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए बेहतर नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से बढ़ावा दिया जाता है। इसके तीन मुख्य उद्देश्य हैं: टिकाऊ जलीय कृषि का विस्तार और गहनता, मछली पालन का प्रभावी प्रबंधन और उन्नत मूल्य श्रृंखलाएं। ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए समग्र और अनुकूल दृष्टिकोण की आवश्यकता है। खाद्य प्रणालियों के वैश्विक और स्थानीय घटकों के बीच जटिल बातचीत पर विचार कर और बहु-हितधारक हस्तक्षेप से आजीविका को सुरक्षित और बढ़ाने, लाभों के समान वितरण को बढ़ावा देने और पर्याप्त उपयोग और संरक्षण प्रदान करने तथा जैव विविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने की जरूरत है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने वर्ष 2022 में डब्ल्यूटीओ में मछली पालन सब्सिडी पर बाध्यकारी अनुशासन पर सहमति जताई है जो मछली उत्पादन की अनिश्चितताओं का एक अन्य कारण है। यह समझौता अन्य बातों के साथ-साथ मछली के ज्यादा स्टॉक वाले क्षेत्र में मछली पकड़ने की गतिविधि, अवैध रूप से असूचित और अनियमित मछली पकड़ने और आरएफएमओ की क्षमता क्षेत्र के बाहर गहरे समुद्र में मछली पकड़ने पर सब्सिडी को प्रतिबंधित करता है। इस समझौते में प्रारंभिक समझौते के लागू होने के चार वर्षों के भीतर अधिक व्यापक विषयों को अपनाने के प्रावधान भी शामिल हैं। इसकी वजह से संभावित रूप से इस अवधि में अधिक कठोर अनुशासन लागू किया जा सकता है जिससे आगे अनिश्चितताएं पैदा हो सकती हैं।

व्यापार के नजरिये से देखें तो भविष्य के नीतिगत निर्णय अनुमानों को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर प्रतिबंध लागू हैं, ऐसे में किसी भी बदलाव की भविष्यवाणी करना मुश्किल है और इसका अपेक्षित व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ सकता है।

अमेरिका और चीन के बीच चल रहे तनाव से मत्स्य उत्पादों के व्यापार पर असर बढ़ सकता है, खासकर यदि प्रशांत क्षेत्र में व्यापार और मछली पकड़ने की गतिविधियां प्रभावित होती हैं। लंबी अवधि में प्रतिबंध, टैरिफ और व्यापार प्रतिबंध लगने से स्थापित बाजारों में बदलाव आ सकता है जिससे व्यापार में कमी आ सकती है और कुछ क्षेत्रों में उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ सकती हैं।

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