बासमती का उत्पादन कम होने से कीमतों में तेजी, 4500 रुपये तक पहुंचे भाव

केंद्र सरकार द्वारा बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) घटाए जाने के बाद निर्यातकों ने बासमती धान की खरीद बढ़ा दी है। इससे देश की कई कृषि उपज मंडियों में बासमती धान के भाव 4200-4500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। हालांकि, दाम बढ़ने के पीछे एक कारण यह भी है कि मानसून की अनियमितता के चलते इस बार बासमती धान के उत्पादन में कमी आई है।

बासमती का उत्पादन कम होने से कीमतों में तेजी, 4500 रुपये तक पहुंचे भाव

सरकार द्वारा बासमती चावल के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) तय करने के बाद किसानों के सामने बासमती धान का दाम घटने  संकट पैदा हो गया था। लेकिन इसमें कटौती के बाद बासमती धान के भाव में तेजी से किसानों के चेहरे खिल गए हैं। केंद्र सरकार द्वारा बासमती चावल का एमईपी घटाए जाने के बाद निर्यातकों ने बासमती धान की खरीद बढ़ा दी है। इसके चलते बासमती उत्पादक राज्यों की कई कृषि उपज मंडियों में बासमती धान के भाव 4200-4500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। दाम बढ़ने की एक बड़ी वजह कमजोर मानसून के चलते इस बार बासमती धान के उत्पादन में कमी आना भी है। 

पंजाब की खन्ना मंडी के बासमती धान व्यापारी सतवंत सिंह ने रूरल वॉयस को बताया कि 1121 और 1509 किस्म के बासमती धान का औसत भाव 4200-4500 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। सबसे अच्छी किस्म का बासमती इससे भी ऊपर के भाव पर बिक रहा है। वैसे, सामान्य किस्म के बासमती का औसत भाव 3200-3500 रुपये प्रति क्विंटल है। मध्य प्रदेश के विदिशा और सीहोर जिले की मंडियों में भी 1121 किस्म के धान का औसत भाव 3800-4200 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है।        

खन्ना जिले के किसान हरप्रीत सिंह ने बताया कि बासमती धान के बेहतर भाव मिलने से इलाके के किसान काफी खुश हैं। हालांकि, उत्पादन में पिछले साल की तुलना में कमी आई है। अगर पंजाब में बाढ़ नहीं आई होती तो उत्पादन पिछले साल के स्तर पर ही रहता।

मानसून की देरी और अनियमितता के चलते इस बार देश के ज्यादातर बासमती उत्पादक क्षेत्रों में बुवाई में कमी आई थी। हालांकि, धान का कुल रकबा इस साल पिछले साल के मुकाबले ज्यादा रहा लेकिन जुलाई में पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आई बाढ़ और अगस्त में देशभर में सूखे जैसे हालात की वजह से धान उत्पादन घटने की संभावना जताई जा रही है।

उत्पादन घटने की आशंका और चावल की घरेलू कीमतों में तेजी को देखते हुए सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, जबकि गैर-बासमती पार बॉयल्ड चावल (सेला चावल) के निर्यात पर 20 फीसदी शुल्क लगा दिया है। यही नहीं बासमती चावल का एमईपी भी 1200 डॉलर प्रति टन कर दिया गया था जिसके बाद निर्यातकों द्वारा इसका विरोध किया जाने लगा। अपनी मांगों के समर्थन में निर्यातकों ने बासमती धान की खरीद भी बंद कर दी थी जिससे किसानों को नुकसान हो रहा था।

निर्यातकों और किसानों के बढ़ते विरोध को देखते हुए सरकार ने बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य घटाकर 950 डॉलर प्रति टन कर दिया।  

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