जोधपुर में ‘एजेंडा फॉर रूरल इंडिया’ का आयोजन, जलवायु परिवर्तन, बेरोजगारी, कृषि संकट और उसके समाधान पर हुआ मंथन 

ग्रामीण भारत के विकास के एजेंडा पर मंथन के लिए जोधपुर में एक और दो सितंबर को दो दिवसीय ‘एजेंडा फॉर रूरल इंडिया’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में राजस्थान के करीब डेढ़ दर्जन जिलों से आए 70 प्रतिभागी शामिल हुए। इनमें किसान, महिलाएं, किसान उत्पादक संगठनों के प्रतिनिधि, गैर-सरकारी संस्थाओं, माइग्रेंट्स, शिक्षक, दस्तकार, कृषि वैज्ञानिक और ग्रामीण विकास से जुड़े विशेषज्ञों ने भाग लिया।

जोधपुर में ‘एजेंडा फॉर रूरल इंडिया’ का आयोजन, जलवायु परिवर्तन, बेरोजगारी, कृषि संकट और उसके समाधान पर हुआ मंथन 
जोधपुर में एजेंडा फॉर रूरल इंडिया के दो दिवसीय कार्यक्रम में शामिल हुए प्रतिभागी।

 जोधपुर। ग्रामीण भारत के विकास के एजेंडा पर मंथन के लिए जोधपुर में एक और दो सितंबर को दो दिवसीय ‘एजेंडा फॉर रूरल इंडिया’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में राजस्थान के करीब डेढ़ दर्जन जिलों से आए 70 प्रतिभागी शामिल हुए। इनमें किसान, महिलाएं, किसान उत्पादक संगठनों के प्रतिनिधि, गैर-सरकारी संस्थाओं, माइग्रेंट्स, शिक्षक, दस्तकार, कृषि वैज्ञानिक और ग्रामीण विकास से जुड़े विशेषज्ञों ने भाग लिया। कार्यक्रम का आयोजन डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म रूरल वॉयस, गैर सरकारी संस्था सॉक्रेट्स और जोधपुर स्थित दक्षिण एशिया बॉयोटेक्नोलॉजी केंद्र ने संयुक्त रूप से किया।

जोधपुर में आयोजित कार्यक्रम रूरल वॉयस और सॉक्रेट्स द्वारा आयोजित की जा रही राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम श्रृंखला में तीसरा कार्यक्रम था। इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में जून में इस श्रृंखला का पहला कार्यक्रम आयोजित किया गया और उसके बाद अगस्त में ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में दूसरा कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस श्रृंखला का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों से उनकी समस्याओं, चुनौतियों और उनके समाधान के लिए सरकार द्वारा उठाए जाने वाले जरूरी नीतिगत कदमों के बारे में जानकारी हासिल करना है।

कार्यक्रम में शामिल प्रतिभागियों ने पहले सत्र में गांव में जीवन संबंधी मुश्किलों, परिस्थितियों, कृषि क्षेत्र की मुश्किलों, जलवायु परिवर्तन से पैदा हो रहे संकट और उसके किसानों व कृषि पर पड़ रहे प्रतिकूल असर समेत तमाम मुद्दों को समस्याओं के रूप में सामने रखा। इनमें प्रमुख समस्याएं इस प्रकार हैं-

  • फसलों में उर्वरकों और कीटनाशकों जैसे रसायनों के बढ़ते उपयोग से कैंसर, डायबटीज जैसी गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं। ऐसे में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना जरूरी हो गया है।
  • पीने के स्वच्छ पानी और सिंचाई के लिए पानी की समस्या बढ़ रही है और भूमि का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है।
  • गावों में चिकित्सा सुविधाओं की खराब हालत और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में जरूरी स्टाफ की भारी कमी।
  • सरकारी योजनाओं और कृषि से जुड़ी योजनाओं के बारे में जानकारी का भारी अभाव। जानकारी के अभाव में लाभार्थियों का योजनाओं के लाभ से वंचित रहना।
  • ग्रामीण क्षेत्र से युवाओं का शहरों में पलायन और बेरोजगारी।
  • कृषि उत्पादों के लिए मार्केटिंग ढांचे की कमी और किसानों को उपज का वाजिब दाम नहीं मिलना।
  • पंचायती राज व्यवस्था में पंचायत स्तर पर भारी भ्रष्टाचार और क्रियान्वयन संबंधी खामियां।
  • आदिवासी समुदाय के हितों का संरक्षण न होना।
  • किसानों को फसल बीमा सुविधा का पूरा लाभ नहीं मिलना।
  • ग्रामीण युवाओं में नशाखोरी का बढ़ता चलन।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में प्रतिभागियों ने ऊपर बताई गई समस्याओं को हल करने के लिए उठाए जाने वाले जरूरी कदमों के बारे में बताया। इसके साथ ही गांव में जीवन और जीवनयापन को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है, इस पर अपनी राय रखी। समाधान वाले इस हिस्से में एक चौंकाने वाली बात यह रही कि प्रतिभागियों ने सरकार द्वारा मुफ्त में दी जाने वाली सुविधाओं को समाप्त करने की वकालत की। उन्होंने कहा कि प्रभावी और नीतिगत बदलावों के जरिये किसानों और ग्रमीण भारत को स्वावलंबी बनाया जाना चाहिए। इसके लिए जरूरी कदमों के रूप में जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए तुरंत प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। साथ ही खेती पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

प्रतिभागियों ने कहा कि खेती में रसायनों के उपयोग में कमी लाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए ताकि मिट्टी और वायु में प्रदूषण को कम किया जा सके। हर गांव में पीने के शुद्ध पानी की व्यवस्था के साथ सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता बढ़ाई जानी चाहिए। इसके लिए तकनीक के साथ जल स्रोतों के संरक्षण में तेजी लाई जानी चाहिए। ग्रामीण स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए गांव में दस्तकारी के जरिये रोजगार बढ़ाने के साथ ही औद्योगिक इकाइयों को गांवों के नजदीक लगाया जाना चाहिए ताकि वहां रोजगार मिलने से युवाओं का शहरों में पलायन कम किया जा सके। कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण की इकाइयों को गांवों के कलस्टर में लगाया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि गांव में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता में गुणात्मक सुधार की तुरंत जरूरत है। इसके लिए अगर जरूरी हो तो शिक्षकों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए नियम व शर्तों में बदलाव किया जाना चाहिए। इसके केंद्र में महिलाओं को रखा जाए। पंचायतों में भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए ग्राम सभा की बैठकें अनिवार्य करने के साथ ही गांव के विकास की योजनाओं को पंचायत स्तर पर ही मंजूरी दी जानी चाहिए। साथ ही गावों में बढ़ती नशाखोरी पर रोक के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है।

प्रतिभागियों के मुताबिक, सरकारी योजनाओं का लाभार्थियों तक सही फायदा पहुंचाने के लिए जागरूकता अभियान तेज किया जाना चाहिए। महिलाओं की सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए उन्हें अधिक सक्षम और अधिकार संपन्न बनाने के कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए।

एजेंडा फॉर रूरल इंडिया के आयोजन का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण नागरिकों के बीच सामाजिक और आर्थिक स्तर पर बढ़ रहे अंतर को कम करने के लिए किस तरह के कदमों की जरूरत है, उनको सामने लाना है। इसके साथ ही ऊपर से थोपी गई योजनाओं और फैसलों की बजाय ग्रामीण आबादी की सोच और जरूरत के आधार पर ही उनके विकास के एजेंडा को तय करने की दिशा में चर्चा करना है।

आयोजनों की इस श्रृंखला में देश के विभिन्न राज्यों में हितधारकों के साथ छह कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे ताकि एक राष्ट्रव्यापी एजेंडा तैयार किया जा सके। इसे राष्ट्रीय स्तर पर एक कार्यक्रम के माध्यम से नीति निर्धारकों, थिंक टैंक, विशेषज्ञों और राजनेताओं के सामने रखा जाएगा।

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