भारत में सहकारिता परिवर्तन का साधन रही है और दुनिया का नेतृत्व कर सकती है: डॉ एरियल ग्वारको

अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (आईसीए) के अध्यक्ष डॉ. एरियल ग्वारको ने कहा है कि कोविड-19 के दौरान दुनिया भर में  सहकारितायों द्वारा दिखाई गई सहजता ने यह प्रदर्शित किया है कि यह सहयोग है और प्रतिस्पर्धा नहीं है जिससे हम आर्थिक विकास, सामाजिक एकजुटता एवं स्थिरता की ओर अग्रसर हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में सहकारिता परिवर्तन का साधन रही है और दुनिया का नेतृत्व कर सकती है

भारत में सहकारिता परिवर्तन का साधन रही है और दुनिया का नेतृत्व कर सकती है: डॉ एरियल ग्वारको

अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (आईसीए) के अध्यक्ष डॉ. एरियल ग्वारको ने कहा है कि कोविड-19 के दौरान दुनिया भर में  सहकारितायों द्वारा दिखाई गई सहजता ने यह प्रदर्शित किया है कि यह सहयोग है और प्रतिस्पर्धा नहीं है जिससे हम आर्थिक विकास, सामाजिक एकजुटता एवं स्थिरता की ओर अग्रसर हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में सहकारिता परिवर्तन का साधन रही है और दुनिया का नेतृत्व कर सकती है। सोमवार 27 सितंबर को नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी), मुख्यालय के अपने दूसरे दौरे के दौरान उन्होंने यह बातें कहीं।

उन्होंने कहा कि कोविड -19 के इस संकट ने समझाया है कि हमें आपसी सहयोग तथा नई दुनिया बनाने की दिशा में काम करने की आवश्यकता है जहां लैंगिक समानता, शांति एवं विकास हो। उन्होंने भारत में सहकारिता के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में यह देश में परिवर्तन का साधन रहा है ।

आईसीए अध्यक्ष, जिन्होंने अपनी भारत दौरे के दौरान नए सहकारिता मंत्री अमित शाह से भी भेंट की कहा,  "भविष्य में दुनिया का नेतृत्व करने के लिए उनके पास बहुत कुछ है ।"

ग्वारको जी ने कहा कि विशेष रूप से सहकारिताओं के लिए मंत्रालय स्थापित करने से इस क्षेत्र विशेष में नए अवसर और संभावनाएं भी खुलती हैं, जिसमें कोविड -19 वैश्विक महामारी जैसे संकट के दौरान समाज को सुरक्षित करने की अद्भुत क्षमता है।

यह कहते हुए कि सरकारों को सहकारिताओं को बढ़ावा देना चाहिए, ग्वारको जो खुद अर्जेंटीना से एक कोरपोरेटर है, ने वैश्विक गठबंधन के माध्यम से भारत में सहकारी क्षेत्र को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया । यह सहकारी आंदोलन तीस लाख से अधिक सहकारिताओं से बना है, जिसमें सभी क्षेत्रों एवं अंचलों से दुनिया भर में लगभग एक अरब  लोग शामिल हैं ।

एनसीडीसी के प्रबंध निदेशक  संदीप कुमार नायक ने आईसीए अध्यक्ष का स्वागत करते हुए कहा कि मंत्रालय तीन क्षेत्रों में आईसीए के समर्थन की इच्छा रखता है, जिसमें भारत में सहकारिताओं में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं पर एक केंद्र स्थापित करने में सहायता, सहकारी से सहकारी (सी2सी) के बीच निर्यात को बढ़ावा देना तथा विश्व सहकारी बैठक में नई सहकारिताओं के लिए कुछ महीने बाद सियोल में एक विशेष सत्र आयोजित करना शामिल है ।

इस अवसर पर कृषक भारती सहकारी लिमिटेड (कृभको) के अध्यक्ष डॉ. चंद्रपाल सिंह ने कहा, नए मंत्रालय के गठन के साथ सरकार "सहकार से समृद्धि की ओर" पर काम करने की इच्छुक है तथा एनसीडीसी गरीब लोगों एवं किसानों को ऋण प्रदान करके सहकारिताओं के विकास में सहायता कर रही है । उन्हें आशा है कि नए मंत्रालय की स्थापना से सहकारिताएं नई ऊंचाइयां प्राप्त करेगी ।

इस मौके पर अपना विचार व्यक्त करते हुए, भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने कहा कि मंत्रालय के गठन से देश भर में सहकारिताओं को सुदृढ़ करने में न सिर्फ सहायता मिलेगी। एक कोरपोरेटर के रूप में उन्होंने सहकारिताओं को बढ़ावा देने में एनसीडीसी के प्रबंध निदेशक के प्रयासों की बहुत सराहना की । संघानी ने कहा कि देश के युवाओं को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है ताकि वह सहकारिता को विकास एवं समृद्धि के भविष्य के मॉडल के रूप में देखें ।

उन्होंने कहा, "सहकारिता को एक आंदोलन के रूप में लिया जाना चाहिए ताकि स्थानीय लोगों को आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने हेतु आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सके ।"

कार्यक्रम में राष्ट्रीय शहरी सहकारी बैंक तथा ऋण समिति महासंघ मर्यादित (NAFCUB) के अध्यक्ष ज्योतिंद्र एम मेहता ने भारत में इस क्षेत्र में कर(टैक्स) संबंधी मुद्दों एवं कर लगाने के कारण उन्हें होने वाले लाभ एवं नुकसान को जानने की भी उत्सुकता दिखाई ।

बाद में एनसीडीसी के प्रबंध निदेशक संदीप नायक ने आईसीए अध्यक्ष के साथ निगम के कामकाज के बारे में विवरण साझा किया और कहा कि पिछले कुछ वर्षों में एनडीए सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजनाओं का उद्देश्य भारत को 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में सहकारिताओं को केंद्र में रखना है । एनसीडीसी ने हाल ही में कई अन्य पहल जैसे कि युवा सहकार, सहकार मित्र, आयुष्मान सहकार, सहकार प्रज्ञा आदि, विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय सहकारिताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए किए हैं । उन्होंने यह भी साझा किया कि आज देश के लगभग 91 प्रतिशत गांवों में सहकारी संगठन काम कर रहे हैं । साढ़े आठ लाख से अधिक ऋण सहकारिताएँ हैं जबकि गैर ऋण वाली सहकारिताओं की संख्या 60 लाख से अधिक है । साथ ही 17 से अधिक राष्ट्रीय स्तर की सहकारी संस्थाएं , 33 राज्य स्तरीय सहकारी बैंक हैं  जबकि जिला स्तरीय सहकारी बैंकों की संख्या 363 है।

 

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