खुले बाजार बिक्री योजना के लिए सरकार ने गेहूं की कीमत घटाकर 2,150 रुपए प्रति क्विंटल की

ओएमएसएस के तहत पर बल्क खरीदारों के लिए उचित एवं औसत क्वालिटी (एफएक्यू) के गेहूं की कीमत 2,150 रुपए प्रति क्विंटल तय की गई है। कमतर क्वालिटी (अंडर रिलैक्स्ड स्पेसिफिकेशन- यूआरएस) वाले गेहूं की कीमत 2,125 रुपए प्रति क्विंटल रखी गई है। यह दरें 31 मार्च 2023 तक के लिए लागू होंगी

खुले बाजार बिक्री योजना के लिए सरकार ने गेहूं की कीमत घटाकर 2,150 रुपए प्रति क्विंटल की

सरकार ने एफसीआई की तरफ से जारी होने वाले गेहूं की रिजर्व कीमत में कटौती कर दी है। खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत पर बल्क खरीदारों के लिए उचित एवं औसत क्वालिटी (एफएक्यू)  के गेहूं की कीमत 2,150 रुपए प्रति क्विंटल तय की गई है। कमतर क्वालिटी (अंडर रिलैक्स्ड स्पेसिफिकेशन- यूआरएस) वाले गेहूं की कीमत 2,125 रुपए प्रति क्विंटल रखी गई है। खाद्य मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि यह दरें 31 मार्च 2023 तक के लिए लागू होंगी।

खुले बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत भारतीय खाद्य निगम (FCI) बड़े खरीदारों के लिए 25 लाख टन गेहूं की बिक्री कर रहा है। मंत्रालय ने कहा है कि रिजर्व प्राइस में कटौती से बाजार में गेहूं और उसके उत्पादों की कीमतों को नीचे लाने में मदद मिलेगी।

राज्यों को इस रिजर्व प्राइस पर अपनी योजनाओं के लिए एफसीआई से गेहूं खरीदने की अनुमति है। इसके लिए उन्हें ई-नीलामी में भाग नहीं लेना पड़ेगा। मंत्रालय ने 10 फरवरी को फ्रेट चार्ज (भाड़ा) खत्म करते हुए एफसीआई की तरफ से ई-नीलामी के जरिए बेचे जाने वाले गेहूं की रिजर्व कीमत पूरे भारत में एक समान 2,350 रुपए प्रति क्विंटल तय की थी।

मंत्रालय ने नाफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार जैसे संस्थानों के लिए भी गेहूं की कीमत 23.50 रुपए प्रति किलो से घटाकर 21.50 रुपए प्रति किलो कर दी थी। ये संस्थान इस गेहूं का आटा 27.50 रुपए प्रति किलो की अधिकतम कीमत पर बेच सकते हैं। पहले उन्हें 29.50 रुपए प्रति किलो की अधिकतम कीमत पर आटा बेचने की अनुमति थी।

एफसीआई अभी तक दो बार की ई-नीलामी में 13.05 लाख टन गेहूं की बिक्री कर चुका है। पहली नीलामी 1-2 फरवरी और दूसरी 15 फरवरी को हुई थी। पिछले महीने सरकार ने खुले बाजार में गेहूं की कीमत कम करने के मकसद से 30 लाख टन गेहूं बिक्री करने का फैसला किया था। यह गेहूं बफर स्टॉक से ओएमएसएस के तहत बेचा जाना है।

30 लाख टन में से एफसीआई 25 लाख टन आटा मिलों जैसे बड़े खरीदारों को ई-नीलामी के जरिए बेचेगा। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 2 लाख टन गेहूं की बिक्री की जाएगी। बाकी 3 लाख टन गेहूं की बिक्री सरकारी कंपनियों और संस्थानों को रियायती दर पर की जानी है ताकि वे उस गेहूं की पिसाई कर आटा बेच सकें।

अनाज की खरीद और उसके वितरण के लिए केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी एफसीआई ने 26 जनवरी को बफर स्टॉक में 156.96 लाख टन गेहूं होने की जानकारी दी थी। 1 अप्रैल को बफर स्टॉक में 96 लाख टन गेहूं रहने की उम्मीद है, जो 75 लाख टन के बफर मानक से थोड़ा ही अधिक होगा।

खुले बाजार व्यक्ति योजना के तहत सरकार एफसीआई को अनाज, खास करके गेहूं और चावल बेचने की अनुमति देती है। इसकी कीमत पूर्व निर्धारित होती है। यह अनाज मुख्य रूप से बड़े खरीदारों और निजी ट्रेडर्स को बेचा जाता है। इसका उद्देश्य लीन सीजन में सप्लाई बढ़ाना और खुले बाजार में अनाज के दाम को ज्यादा बढ़ने से रोकना है।

केंद्र सरकार ने गेहूं के दाम को नियंत्रित करने के लिए पिछले साल मई में इसके निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी। पिछले साल गेहूं के घरेलू उत्पादन में मामूली गिरावट आई थी लेकिन केंद्रीय पूल के लिए एफसीआई की खरीद काफी घट गई थी। 2021-22 के फसल वर्ष (जुलाई-जून) में उससे पिछले वर्ष के 1095.9 लाख टन की तुलना में 1068.4 लाख गेहूं का उत्पादन हुआ था। कई राज्यों में समय से पहले गर्मी बढ़ने के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ था।

एफसीआई की खरीद घटकर सिर्फ 190 लाख टन रह गई जबकि उसे पिछले वर्ष 430 लाख टन गेहूं की खरीद निगम ने की थी। मौजूदा वर्ष में गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड 1121.8 लाख टन होने के आसार हैं। नई फसल की खरीद 15 मार्च से शुरू होगी।

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