आईआईटी कानपुर में बनी स्टार्टअप फूल.को ने जुटाए 80 लाख डॉलर, होम फ्रेगरेंस बाजार में पैठ बढ़ाएगी
इस राउंड की फंडिंग के जरिए कंपनी 23 अरब डॉलर के होम फ्रेगरेंस मार्केट में अपनी पकड़ बनाना चाहती है। इसके अलावा वह अरोमाथेरेपी आधारित पर्सनल केयर कैटेगरी में भी प्रवेश करना चाहती है
आईआईटी कानपुर की मदद से बनी ऑर्गेनिक वेलनेस स्टार्टअप फूल.को ने 80 लाख डॉलर की फंडिंग जुटाई है। यह सीरीज ए राउंड की फंडिंग है जिसमें मुख्य रूप से सिक्स्थ सेंस वेंचर्स ने हिस्सा लिया। इसके अलावा बॉलीवुड अभिनेत्री आलिया भट्ट और आईएएन फंड जैसे मौजूदा निवेशकों ने भी इस फंडिंग में हिस्सा लिया।
फूल को भारत का पहला बायोमैटेरियल स्टार्टअप माना जाता है। यह भारत का पहला वैलनेस ब्रांड है जिसे प्रतिष्ठित फेयर फॉर लाइफ- फेयर ट्रेड और ईकोसर्ट ऑर्गेनिक एंड नेचुरल सर्टिफिकेशन प्राप्त हुए हैं। आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (एसआईआईसी) में बनी फूल.को तब चर्चा में आई थी जब इसने फूलों के अवशिष्ट से खुशबू तैयार की थी।
इस राउंड की फंडिंग के जरिए कंपनी 23 अरब डॉलर के होम फ्रेगरेंस मार्केट में अपनी पकड़ बनाना चाहती है। इसके अलावा वह अरोमाथेरेपी आधारित पर्सनल केयर कैटेगरी में भी प्रवेश करना चाहती है।
फूल.को ने इससे पहले फ्लेदर नाम का एक मैटेरियल लांच किया था जो देखने और काम में बिल्कुल लेदर जैसा है। लेकिन यह न तो प्लास्टिक से बना है और ना ही किसी जानवर की त्वचा से। इस घरेलू विकल्प के जरिए इस स्टार्टअप का इरादा 550 अरब डॉलर की ग्लोबल लेदर गुड्स इंडस्ट्री में पैठ बनाने का है।
अभी तक फूल.को ने दुनिया के कुछ प्रतिष्ठित फैशन ब्रांड के साथ समझौता किया है। पेटा ने फ्लेदर को वेगन फैशन के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ इनोवेशन का अवार्ड दिया है। इसे दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाली लेदर इंडस्ट्री का विकल्प भी माना जा रहा है।
आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर प्रो. अभय करंदीकर ने कहा, “फूल.को की रीसाइक्लिंग टेक्नोलॉजी वास्तव में क्रांतिकारी है। मैं उनकी टेक्नोलॉजी से काफी प्रभावित हूं जो टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के साथ सैकड़ों महिलाओं को आजीविका के अवसर भी प्रदान करती है।”
फूल.को के संस्थापक अंकित अग्रवाल ने कहा, “बहुत कम समय में हम अपने प्रयासों से भारत की फ्रेगरेंस इंडस्ट्री में जगह बनाने में कामयाब हुए हैं। फूल.को लग्जरी फ्रेगरेंस के समकक्ष ब्रांड है। हम दुनिया के होम फ्रेगरेंस मार्केट को बदलना चाहते हैं।”

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