रिफाइंड खाद्य तेल के आयात को अधिकतम सीमा शुल्क के जरिये हतोत्साहित करना जरूरीः बीकेएस

रिफाइंड खाद्य तेल के आयात  को अधिकतम सीमा शुल्क  के जरिये हतोत्साहित करना जरूरीः  बीकेएस

भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने कहा है कि खाद्य तेलों में सस्ते खाद्य तेस को मिलाने से इसकी कीमत कम हो जाती है। नतीजतन, भारत में उत्पादित तिलहन लाभहीन हो जाते हैं। इसका देश में तिलहन क्षेत्रफल पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है और देश में आयातित तेल पर निर्भरता बढ़ी है। किसान संघ द्वारा जारी एक बयान में यह बातें कही गई हैं।

बीकेएस के अनुसार, खाद्य तेल पर आयात शुल्क को 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत करने का भारत सरकार का हालिया निर्णय विनाशकारी है। क्रूड ऑयल खाद्य तेल की जगह रिफाइंड तेल का आयात देश के किसानों और देश की आत्मनिर्भरता दोनों को नुकसान पहुंचाएगा जो अंततः भारत को नुकसान पहुंचाएगा।भारत में खाद्य तेल आयात मुख्य रूप से मलेशिया और इंडोनेशिया से सस्ते पाम तेल हैं। यहां की अनुकूल जलवायु उत्पादन को बढ़ाती है और लागत को कम करती है। यह देश दूसरे देशों को बहुत सस्ते दामों पर निर्यात करते हैं और भारत इसका मुख्य खरीदार है क्योंकि देश के कुल खपत का करीब 70 फीसदी खाद्य तेल विदेशों से आयात किया जाता है। यह आयातित तेल अपने सस्ते होने के कारण देश में सस्ते में बिक जाते हैं। परिणामस्वरूप किसानों को देश में उत्पादित तेल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।

इसके लिए भारतीय किसान संघ ने सुझाव दिया है कि सबसे जरूरी स्थिति  में क्रूड खाद्य तेल का ही आयात किया जाना चाहिए, न कि रिफाइंड आरबीडी पॉमोलीन का। इस पर आयात शुल्क को कम नहीं किया जाना चाहिए। किसी भी स्थिति में न्यूनतम समर्थन मूल्य का आयात नहीं किया जाना चाहिए। इसके बजाय, आयात शुल्क को अधिकतम सीमा तक बढ़ाया जाना चाहिए ताकि भविष्य में आयात बंद हो जाए।

तिलहन किसानों को बाजार में खाद्य तेल की कीमत बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन के रूप में सब्सिडी की राशि क्षेत्र के अनुपात में उनके खाते में जमा की जानी चाहिए जिससे लागत कम हो जाएगी। गरीबी रेखा से नीचे की आबादी को औसत उपभोग की राशि पर नकद अनुदान उपलब्ध होना चाहिए। सभी खाद्य तेलों में ब्लैंडिंग को मिलावट माना जाना चाहिए। हाल ही में सरसों तेल में ब्लैंडिंग करने के अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। लोगों को शुद्ध सरसों का तेल मिला और सरसों किसानों को अच्छे दाम मिले जिसके चलते इस साल सरसों का रकबा बढ़ा है।

देश भर में तिलहन फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सुनिश्चित की जानी चाहिए। तिलहन और दालों का एमएसपी सी-2 प्लस 50 फीसदी के आधार पर तय होना चाहिए। तिलहन फसलों का उत्पादन बढ़ने से बॉयोडायवर्सिटी भी बनी रहेगी। तिलहन और दालों की एमएसपी पर खरीद होनो से धान की सरकारी खरीद भी घटेगी। इसके साथ ही बीकेएस ने कहा है कि दिलन और दालों में दोबारा वायदा कारोबार शुरू किया जाना चाहिए लेकिन इसके लिए डिलीवरी की शर्त होनी चाहिए। यह कदम देश को खाद्य तेलों और दालों में तीन साल में आत्मनिर्भर कर सकते हैं। 

Subscribe here to get interesting stuff and updates!