भारत ने मॉरीशस को 14,000 टन गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति दी

मॉरीशस को 14,000 टन गैर-बासमती चावल का निर्यात राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) के माध्यम से किया जाएगा।

भारत ने मॉरीशस को 14,000 टन गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति दी

गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध के बीच केंद्र सरकार ने मॉरीशस के लिए 14,000 टन गैर-बासमती चावल के निर्यात की मंजूरी दे दी। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने की ओर से अधिसूचना के अनुसार, मॉरीशस को 14,000 टन गैर-बासमती व्हाइट राइस का निर्यात राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) के माध्यम से किया जाएगा।

चावल की घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने और महंगाई रोकने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले साल 20 जुलाई को गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन मित्र देशों की खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर सरकार निर्यात की अनुमति देती है। प्याज के मामले में भी ऐसा हुआ था, जिसमें कुछ निर्यातकों ने बेहद सस्ते दाम पर प्याज खरीदकर खाड़ी देशों को ऊंची कीमतों पर निर्यात किया था।

निर्यात प्रतिबंध के बावजूद भारत ने तंजानिया, जिबूती और गिनी-बिसाऊ सहित कुछ अफ्रीकी देशों को चावल निर्यात की अनुमति दी। इसके अलावा नेपाल, कैमरून, गिनी, मलेशिया, फिलिपीन और सेशेल्स जैसे देशों को भी गैर-बासमती चावल के निर्यात की मंजूरी दी गई थी। इस प्रकार का निर्यात एनसीईएल के माध्यम से किया जा रहा है। जो एक सहकारी संस्था है। इसे देश की प्रमुख सहकारी संस्थाओं जीसीएमएमएफ, इफको, कृभको, नेफेड और सरकारी संस्थान एनसीडीसी ने संयुक्त रूप से स्थापित किया है।

कृषि मंत्रालय ने वर्ष 2022-23 में देश में 1357.55 लाख टन चावल के रिकॉर्ड उत्पादन का दावा किया था। लेकिन दूसरी तरफ, बढ़ती खाद्य महंगाई पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार ने जुलाई में गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। कृषि मंत्रालय की ओर से जारी वर्ष 2023-24 के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, इस साल देश में 1238.15 लाख टन चावल उत्पादन का अनुमान है। पिछले मानसून में कम बारिश के चलते देश के चावल उत्पादन में कमी आ सकती है, जिसके मद्देनजर निर्यात प्रतिबंध जैसे कदम उठाए गये हैं। 

भारत अक्टूबर तक चावल पर निर्यात प्रतिबंध जारी रख सकता है। साल 2022-23 में भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक बन गया था। लेकिन इस साल चुनाव, अनाज उत्पादन और खाद्य महंगाई की स्थिति को देखते हुए निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। 

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