शामली चीनी मिल चलाने पर हुआ समझौता, गन्ना किसानों को 14 दिन में नया भुगतान और पुराना बकाया 6 किस्तों में चुकाने पर राजी हुआ प्रबंधन

गन्ना बकाये के भुगतान की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश के शामली स्थित अपर दोआब चीनी मिल पर पिछले 94 दिन से धरना दे रहे किसानों और मिल प्रबंधन के बीच समझौता हो गया है। धरना दे रहे किसान मिल को चालू करने पर राजी हो गए हैं, जबकि मिल प्रबंधन ने बकाये का भुगतान एक तय सीमा के भीतर करने पर अपनी सहमति दे दी है। मिल पर गन्ना किसानों का 221 करोड़ रुपये बकाया है।

शामली चीनी मिल चलाने पर हुआ समझौता, गन्ना किसानों को 14 दिन में नया भुगतान और पुराना बकाया 6 किस्तों में चुकाने पर राजी हुआ प्रबंधन
शुगर मिल, शामली (फाईल फोटो)

गन्ना बकाये के भुगतान की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश के शामली स्थित अपर दोआब चीनी मिल पर पिछले 94 दिन से धरना दे रहे किसानों और मिल प्रबंधन के बीच समझौता हो गया है। धरना दे रहे किसान मिल को चालू करने पर राजी हो गए हैं, जबकि मिल प्रबंधन ने बकाये का भुगतान एक तय सीमा के भीतर करने पर अपनी सहमति दे दी है। मिल पर गन्ना किसानों का 221 करोड़ रुपये बकाया है।

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रदेश महामंत्री कपिल खाटियान ने रूरल वॉयस को बताया, “शामली के डीएम रविंद्र सिंह की अध्यक्षता में बुधवार देर शाम मिल प्रबंधन और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच हुई वार्ता में इस बात पर सहमति बनी कि चालू पेराई सत्र (2023-24) का नया भुगतान 14 दिन में किया जाएगा और पिछले पेराई सत्र (2022-23) के बकाये का भुगतान अप्रैल 2024 तक 6 किस्तों में किया जाएगा। गुरुवार को किसान नेताओं ने इस सहमति को धरना दे रहे किसानों के समक्ष रखा जिस पर उन्होंने अपनी मंजूरी दे दी। इसके बाद इस पर लिखित समझौता हुआ।”

उत्तर प्रदेश के चीनी मिलों में चालू सीजन के लिए 1 नवंबर से ही गन्ने की पेराई शुरू हो चुकी है, लेकिन इस मिल में धरने की वजह से पेराई बंद है। अब जल्दी ही यहां भी पेराई शुरू हो जाएगी। कपिल खाटियान ने बताया कि गन्ना खरीद 10 दिन बाद शुरू होगी क्योंकि मिल के मेंटेनेंस का काम बाकी है।

रूरल वॉयस के पास मौजूद समझौता-पत्र में निम्नलिखित बातों पर सहमति बनी है-

  • नए पेराई सत्र का भुगतान नियमानुसार चीनी एवं सह उत्पादों की बिक्री से 14 दिन के अंदर सुनिश्चित कराया जाएगा।
  • पिछले पेराई सत्र का भुगतान चालू पेराई सत्र के दौरान ही कराया जाएगा। चीनी मिल प्रबंधन स्वयं के संसाधनों के भुगतान कराये या मिल बेचकर कराये, यह जिला प्रशासन द्वारा सुनिश्चित कराया जाएगा।
  • चीनी मिल को नए सत्र में अर्जित लाभ से खर्च तथा वर्तमान सत्र का भुगतान निकाल कर प्रतिमाह अवशेष धनराशि से पिछले पेराई सत्र का बकाया भुगतान भी कराया जाएगा।
  • इस समझौते की निगरानी के लिए शामली के उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया जाएगा जो प्रतिमाह उपरोक्त समझौते की समीक्षा कर किसानों द्वारा गठित कमेटी के समक्ष प्रस्तुत करेगी।

हालांकि, धरना दे रहे किसानों का एक वर्ग इस समझौते से नाराज है। उनका कहना है कि जब यही समझौता होना था, तो मिल प्रबंधन पहले ही 30 करोड़ रुपये का भुगतान करने पर राजी था, तब क्यों नहीं समझौता किया गया। साथ ही, समझौते में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया गया है कि हर महीने की किस तारीख तक भुगतान किया जाएगा।   

बकाया भुगतान की मांग को लेकर धरना दे रहे किसान इस बात पर अड़े थे कि जब तक पूरा बकाया नहीं मिलेगा तब तक मिल को चालू करने नहीं दिया जाएगा। उनकी इस मांग पर मिल के मालिक रजत लाल ने किसानों से अपील की थी कि मिल के चलने पर ही भुगतान हो पाएगा क्योंकि उनके पास रुपया नहीं है। उन्होंने कहा था कि मिल को बेचकर किसानों की पाई-पाई चुकाएंगे। इसके लिए वे खरीदार तलाश रहे हैं।

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