कोच्ची में आयोजित हुआ मत्स्य संपदा जागरूकता अभियान

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के मत्स्य पालन विभाग के तहत आने वाले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी एंड ट्रेनिंग (एनआईएफपीएचएटीटी) ने कोच्चि में मत्स्य संपदा जागृति अभियान पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। मत्स्य पालन विभाग ने 15 सितंबर, 2023 को “मत्स्य संपदा जागृति अभियान” शुरू किया है जो मछली पालक किसानों और 3,477 तटीय गांवों तक पहुंचने के लिए एक जनसम्पर्क कार्यक्रम है।

कोच्ची में आयोजित हुआ मत्स्य संपदा जागरूकता अभियान

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के मत्स्य पालन विभाग के तहत आने वाले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी एंड ट्रेनिंग (एनआईएफपीएचएटीटी) ने कोच्चि में मत्स्य संपदा जागृति अभियान पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। मत्स्य पालन विभाग ने 15 सितंबर, 2023 को “मत्स्य संपदा जागृति अभियानशुरू किया है जो मछली पालक किसानों और 3,477 तटीय गांवों तक पहुंचने के लिए एक जनसम्पर्क कार्यक्रम है। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य मत्स्य पालन योजनाओं को बढ़ावा देना, विभिन्न मत्स्य पालन गतिविधियों का प्रदर्शन करना, मछुआरों और तटीय गांवों तक पहुंचना, मत्स्य पालन में विविध गतिविधियों के बारे में जागरूकता पैदा करना और क्षेत्रीय उपलब्धियों और सफलता की कहानियों को प्रदर्शित करना है।

इस कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि आईसीएआर- केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) के निदेशक डॉ. ए. गोपालकृष्णन ने किया। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया और देश भर में योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पीएमएमएसवाई को मछली उत्पादन, उत्पादकता और गुणवत्ता से लेकर प्रौद्योगिकी, हार्वेस्टिंग के बाद के बुनियादी ढांचे और विपणन तक मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण कमियों को दूर करने के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के प्रभावी कार्यान्वयन से मूल्य श्रृंखला को आधुनिक और मजबूत किया जा सकता है, जानकारी प्राप्त करने की क्षमता में वृद्धि हो सकती है और मछुआरों और मछली किसानों के सामाजिक-आर्थिक कल्याण को सुनिश्चित करने के साथ-साथ एक मजबूत मत्स्य प्रबंधन ढांचा स्थापित किया जा सकता है।

कार्यशाला में केरल के मत्स्य पालन विभाग के संयुक्त निदेशक (मध्य क्षेत्र) एस. महेश ने केरल में पीएमएमएसवाई के माध्यम से मत्स्य पालन विकास योजनाओं के कार्यान्वयन पर एक प्रस्तुति दी। एनआईएफपीएचएटीटी के निदेशक डॉ. शाइन कुमार सी.एस. ने सभा का स्वागत करते हुए कहा कि 2019 में मंत्रालय के गठन और 20,050 करोड़ रुपये के व्यय के साथ पीएमएमएसवाई योजना शुरू होने से देश के मत्स्य पालन क्षेत्र में एक मजबूत आधार बना है। उन्होंने देश में मत्स्य पालन क्षेत्र के प्रगतिशील विकास में इंडो नॉर्वेजियन प्रोजेक्ट, इंटीग्रेटेड फिशरीज प्रोजेक्ट और एनआईएफपीएचएटीटी की भूमिका के बारे में भी बताया।

कार्यक्रम ने मछलीपालन और जलीय कृषि तकनीकों, आधुनिक और नवीन मछली पालन प्रौद्योगिकियों, मछली प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन में महत्वपूर्ण जानकारी, सर्वोत्तम प्रथाओं और नवीनतम प्रगति को मछली किसानों और अन्य मत्स्य पालन हितधारकों की बड़ी संख्या तक प्रसारित और प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया। कार्यशाला ने मछुआरों और अन्य हितधारकों को उन्नत प्रथाओं को अपनाने में मदद की, जिससे दक्षता और लाभप्रदता में वृद्धि हुई। कार्यशाला ने जिम्मेदार मत्स्य पालन प्रबंधन, टिकाऊ जलीय कृषि, मछली प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा देने और इस महत्वपूर्ण क्षेत्र पर निर्भर समुदायों के समग्र कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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