ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते के भारतीय अर्थव्यवस्था और कृषि के लिए क्या मायने?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महत्वाकांक्षी और आपसी लाभकारी व्यापार समझौते को 'ऐतिहासिक मील का पत्थर' बताया है।

ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते के भारतीय अर्थव्यवस्था और कृषि के लिए क्या मायने?

विश्व व्यापार में अनिश्चितता के बीच भारत और ब्रिटेन मंगलवार को एक व्यापक और ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर सहमत हुए। करीब तीन साल चली बातचीत के बाद दोनों देशों ने इस समझौते को अंतिम रूप दिया। 2020 में ब्रेक्सिट के बाद इसे ब्रिटेन का सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक कदम माना जा रहा है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्मार्टर द्वारा 6 मई को घोषित मुक्त व्यापार समझौते से विश्व की दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार, निवेश और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। भारत और ब्रिटेन के बीच करीब 60 अरब डॉलर का व्यापार होता है। इस समझौते से वर्ष 2040 तक इसमें 34 अरब डॉलर का इजाफा होने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महत्वाकांक्षी और आपसी लाभकारी व्यापार समझौते को 'ऐतिहासिक मील का पत्थर' बताया है।

समझौते के मुताबिक, भारत ब्रिटेन के 90% उत्पादों पर टैरिफ कम करेगा। इनमें व्हिस्की, मेडिकल उपकरण और ऑटोमोबाइल प्रमुख हैं। ब्रिटेन के 85% उत्पाद एक दशक के भीतर टैरिफ-मुक्त हो जाएंगे। ब्रिटेन में बनी व्हिस्की और जिन पर टैरिफ 150% से आधा होकर 75% होगा और 10 साल में घटकर 40% रह जाएगा। कारों पर टैरिफ 100% से घटकर 10% होगा। ब्रिटेन के जिन अन्य सामानों पर टैरिफ घटेगा, उनमें सौंदर्य प्रसाधन, एयरोस्पेस, इलेक्ट्रिकल्स, भेड़ का मांस, शीतल पेय, चॉकलेट और बिस्कुट शामिल हैं। इस प्रकार ब्रिटेन के विभिन्न उत्पादों के लिए भारतीय बाजार में अवसर बढ़ने जा रहे हैं, जिसका लाभ ब्रिटेन की कंपनियों और निर्यातकों को मिलेगा।  

ब्रिटेन के व्यापार सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स ने कहा कि भारत के साथ यह समझौता यू.के. द्वारा किया गया अब तक का सबसे बड़ा व्यापार सौदा है। इससे हमारी अर्थव्यवस्था व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

सवाल है कि इसके बदले में भारत को क्या मिलेगा? समझौते के तहत ब्रिटेन भी भारतीय उत्पादों पर टैरिफ कम करेगा। भारत 99% उत्पाद ब्रिटेन में टैरिफ मुक्त यानी ड्यूटी-फ्री होंगे। इससे सबसे ज्यादा फायदा भारत के टेक्सटाइल और अपैरल सेक्टर को मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

इसके अलावा भारत के मरीन प्रोडक्ट्स, लेदर, फुटवियर, खेल के सामान, खिलौने, रत्न एवं आभूषण, इंजीनियरिंग वस्तुएं और ऑटो पार्ट्स जैसे क्षेत्रों के लिए भी ब्रिटेन में निर्यात के अवसर बढ़ेंगे। टैरिफ मुक्त होने का फायदा भारत के अंगूर, आम और प्रोसेस्ड फूड सहित कृषि निर्यात को मिल सकता है। बशर्ते भारतीय उत्पाद गुणवत्ता मानकों पर खरा उतरें और गैर-टैरिफ बाधाओं को पार कर ड्यूटी-फ्री पहुंच का लाभ उठा सकें।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह दूरदर्शी समझौता हमारे किसानों, मछुआरों, एमएसएमई, स्टार्टअप्स, निर्यातकों को लाभान्वित करता है और भारत के विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

मुक्त व्यापार समझौते के साथ ही भारत और ब्रिटेन के बीच डबल कंट्रीब्यूशन कॉन्वेंशन को लेकर भी सहमति बनी गई है। इससे ब्रिटेन में अस्थायी रूप से रह रहे भारतीय कामगारों और उनके नियोक्ताओं को सामाजिक सुरक्षा अंशदान का भुगतान करने से तीन साल की छूट मिलेगी। इसका फायदा ब्रिटेन में कार्यरत भारतीयों को मिलेगा। साथ ही भारतीय पेशेवरों की आवाजाही को भी आसान बनाया जाएगा। भारत सरकार का कहना है इस समझौते से योग्य और कुशल भारतीय युवाओं के लिए ब्रिटेन में तमाम अवसर खुलेंगे।

भारत ने अपने डेयरी क्षेत्र को अभी तक यूरोप के डेयरी उत्पादों की प्रतिस्पर्धा से बचाकर रखा है। माना जा रहा है कि भारत डेयरी किसानों के हितों को इस व्यापार समझौते में भी सुरक्षित रखेगा। हालांकि, अभी इस बारे में बहुत स्पष्टता नहीं है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के अध्यक्ष एससी रल्हन ने भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते का स्वागत करते हुए कहा कि इससे भारत के बहुत-से उत्पादों पर टैरिफ खत्म होंगे या काफी कम हो जाएंगे। हमारे निर्यातकों को दुनिया के एक प्रमुख बाजार में तरजीह मिलेगी।

रल्हन के मुताबिक, टैरिफ हटाने से बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों के मुकाबले टेक्सटाइल और अपैरल एक्सपोर्ट में भारत की प्रतिस्पर्धा की क्षमता बढ़ेगी। भारत के लेदर और फुटवियर उत्पादों की पहुंचे ब्रिटेन के खुदरा बाजारों तक बढ़ेगी और रत्न व आभूषण निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य वस्तुएं जैसे चाय, मसाले, और रेडी-टू-ईट सेगमेंट सहित मूल्यवर्धित उत्पादों को बाजार मिलेगा। फियो के अध्यक्ष का मानना ​​है कि भारत-यूके एफटीए गेम चेंजर है। इससे भारतीय निर्यातकों के लिए नए दरवाजे खुलेंगे और वैश्विक अर्थव्यवस्था में हमारी भूमिका बढ़ेगी।

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