पांच साल में दो लाख पैक्स एवं सहकारी समितियां बनाने की कैबिनेट ने दी मंजूरी

सरकार का लक्ष्य हर उस पंचायत में पैक्स और डेयरी सहकारी समितियां बनाना है जो अभी तक इससे वंचित हैं। साथ ही प्रत्येक तटीय पंचायतों एवं बड़े जलाशयों वाले पंचायतों में मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना करने की योजना सरकार ने बनाई है। इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए नाबार्ड, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) द्वारा कार्य योजना तैयार की जाएगी।

पांच साल में दो लाख पैक्स एवं सहकारी समितियां बनाने की कैबिनेट ने दी मंजूरी

सहकारिता आंदोलन को मजबूती देने और इसकी पहुंच को जमीनी स्तर तक व्‍यापक बनाने को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। इसके तहत अगले पांच साल में दो लाख प्राथमिक कृषि सहकारी साख समिति (पैक्स) एवं डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियां बनाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया गया।

सरकार का लक्ष्य हर उस पंचायत में पैक्स और डेयरी सहकारी समितियां बनाना है जो अभी तक इससे वंचित हैं। साथ ही प्रत्येक तटीय पंचायतों एवं बड़े जलाशयों वाले पंचायतों में मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना करने की योजना सरकार ने बनाई है। इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए नाबार्ड, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) द्वारा कार्य योजना तैयार की जाएगी। इसमें सरकार की पहले से चल रही योजनाओं को शामिल किया जाएगा। डेयरी सहकारी समितियों के लिए पशुपालन और डेयरी विभाग की योजना राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) और डेयरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास कोष (डीआईडीएफ) का इस्तेमाल किया जाएगा। इसी तरह मत्स्य सहकारी समितियों के लिए मत्स्य पालन विभाग की योजना प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ) का इस्तेमाल होगा।

पैक्स और सहकारी समिति बनाने की यह योजना देश भर में सदस्य किसानों को उनकी उपज का मार्केटिंग करने, उनकी आय बढ़ाने, गांव के स्‍तर पर ही कर्ज सुविधाएं और अन्य सेवाएं प्राप्‍त करने के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करेगी। इनसे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा। यह योजना किसानों को उनके उत्पादों की बेहतर कीमत दिलाने, अपने बाजारों के आकार का विस्तार करने और उन्हें आपूर्ति श्रृंखला में सुचारु रूप से शामिल करने में भी सक्षम बनाएगी। खस्ताहाल पैक्स जिन्हें पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता है उसकी पहचान कर उनके परिचालन क्षेत्र में नए पैक्स की स्थापना की जाएगी।

केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में कृषि और किसान कल्याण मंत्री और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री के साथ एक उच्च स्तरीय अंतर मंत्रालयी समिति का भी गठन किया गया है। इसमें संबंधित विभाग के सचिव, नाबार्ड के अध्यक्ष, एनडीडीबी और एनएफडीबी के मुख्य कार्यकारी को भी सदस्यों के रूप में शामिल किया गया है। सहकारिता मंत्रालय द्वारा सभी हितधारकों से परामर्श के बाद पैक्स के उपनियम तैयार किए गए हैं ताकि उसकी व्यवहार्यता बढ़ाने और पंचायत स्तर पर उन्हें जीवंत आर्थिक संस्था बनाने के लिए उनकी व्यावसायिक गतिविधियों में विविधता लाई जा सके। पैक्स के ये उपनियम उन्हें 25 से अधिक व्यावसायिक गतिविधियां करने में सक्षम बनाएंगे। इनमें डेयरी, मत्स्य पालन, गोदामों की स्थापना, खाद्यान्नों, उर्वरकों, बीजों को खरीदने, एलपीजी/सीएनजी/पेट्रोल/डीजल वितरक, कर्ज देना, कस्टम हायरिंग सेंटर, कॉमन सर्विस सेंटर, उचित मूल्य की दुकानें, सामुदायिक सिंचाई, बिजनेस कॉरेस्पोंडें जैसी गतिविधियां शामिल हैं।

सहकारिता मंत्रालय द्वारा एक राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस भी तैयार किया जा रहा है। इसकी बदौलत ऐसे पंचायतों और गांवों की सूची तैयार की जा सकेगी जहां पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की सेवाएं उपलब्‍ध नहीं हैं। फिलहाल देशभर में लगभग 98,995 पैक्स हैं और इनके सदस्‍यों की संख्‍या 13 करोड़ है। 1.6 लाख पंचायत में अभी तक पैक्स से वंचित हैं। प्राथमिक डेयरी सहकारी समितियों की संख्‍या लगभग 1,99,182 है और इनके सदस्‍यों की संख्‍या लगभग 1.5 करोड़ हैं। लगभग 2 लाख पंचायतों में डेयरी सहकारी समिति नहीं है। प्राथमिक मत्स्य सहकारी समितियों की संख्‍या लगभग 25,297 है और इनके सदस्‍यों की संख्‍या लगभग 38 लाख है। 

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