मिशन पाम ऑयल के जरिए खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता पर जोर

भारत वर्तमान में खाद्य तेल का शुद्ध आयातक है। देश में कुल खाद्य तेल का 57% विभिन्न देशों से आयात किया जाता है।

मिशन पाम ऑयल के जरिए खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता पर जोर

भारत सरकार खाद्य तेलों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए उत्तर-पूर्व क्षेत्र में ताड़ (पाम) की खेती पर जोर दे रही है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के लिए उत्तर-पूर्व क्षेत्र में पाम तेल की खेती के महत्व पर जोर दिया है। 

कृषि मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, "भारत वर्तमान में खाद्य तेल का शुद्ध आयातक है। देश में कुल खाद्य तेल का 57% विभिन्न देशों से आयात किया जाता है। खाद्य तेलों का आयात हमारे विदेशी मुद्रा पर 20.56 बिलियन डॉलर का नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। इसलिए देश के लिए तिलहन और पाम तेल को बढ़ावा देकर खाद्य तेल के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।" 

अरुणाचल प्रदेश की यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन पाम ऑयल के तहत पहली तेल मिल का उद्घाटन किया था। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "मिशन पाम ऑयल भारत को खाद्य तेल क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा और किसानों की आय में बढ़ोतरी करेगा।" उन्होंने ताड़ (पाम) की खेती करने के लिए किसानों का आभार व्यक्त किया था।

केंद्र सरकार ने अगस्त 2021 में राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन - ऑयल पाम (एनएमईओ-ओपी) शुरू किया था, जिसके तहत 2025-26 तक कच्चे पाम तेल का उत्पादन 11.20 लाख टन तक बढ़ाने का लक्ष्य है। यह योजना 15 राज्यों में चालू है, जिसमें 21.75 लाख हेक्टेयर का संभावित क्षेत्र शामिल है। एनएमईओ-ओपी के तहत पाम ऑयल को बढ़ावा देने के लिए 11,040 रुपये के कुल राष्ट्रीय बजट में से विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए 5,870 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसमें केंद्र सरकार 90 फीसदी योगदान करेगी।

अब तक, मिशन के तहत 1 करोड़ रोपण सामग्री की क्षमता वाली 111 नर्सरी स्थापित की गई हैं और 1.2 करोड़ रोपण सामग्री की क्षमता वाले 12 बीज उद्यान स्थापित किए गए हैं। पूर्वोत्तर के छह राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा में पाम ऑयल का उत्पादन का होता है। इन राज्यों में पाम ऑयल उत्पादन के लिए 8.4 लाख हेक्टेयर का एक विशाल संभावित क्षेत्र है।  

एनएमईओ-ओपी के तहत किसानों को रोपण सामग्री, प्रबंधन और एनईआर के किसानों के सामने आने वाली भूमि से संबंधित चुनौतियों (भूमि निकासी, हाफ-मून छत निर्माण, जैव-बाड़ लगाना) के समाधान के लिए प्रति हेक्टेयर 1 लाख रुपये की विशेष सहायता दी जाती है। इसके अलावा किसानों को कटाई उपकरणों की खरीद के लिए 2.90 लाख रुपये की सहायता दे रहा है। कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) की स्थापना के लिए 25 लाख रुपये की सहायता दी गई है।

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