गेहूं के बाजार भाव एमएसपी से ज्यादा, रिकार्ड 444 लाख टन के सरकारी खरीद लक्ष्य का हासिल होना मुश्किल

दुनिया के दो सबड़े बड़े निर्यातकों रूस और यूक्रेन में युद्ध के चलते अंतरराष्ट्रीय बजाार में गेहूं की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है। इसके चलते भारत से 70 लाख टन गेहूं निर्यात हो चुका है। इसका सीधा असर घरेलू बाजार में कीमतों पर पड़ा है। किसानों के देश के कई हिस्सों में चालू मार्केटिंग सीजन के लिए तय 2015 रुपये प्रति क्विटंल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक कीमत मिल रही है। मंडी में आने से पहले ही गेहूं का भाव एमएसपी से ऊपर, 2100 से 2300 रूपये क्विंटल का दाम मिल रहा है ऐसे में 444 लाख टन के अभी तक के रिकार्ड सरकारी खऱीद लक्ष्य का पूरा होना संभव नहीं लग रहा है

गेहूं के बाजार भाव एमएसपी से ज्यादा,  रिकार्ड 444 लाख टन के  सरकारी खरीद लक्ष्य का हासिल होना मुश्किल

दुनिया के दो सबड़े बड़े निर्यातकों रूस और यूक्रेन में युद्ध के चलते अंतरराष्ट्रीय बजाार में गेहूं की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है। इसके चलते भारत से 70 लाख टन गेहूं निर्यात हो चुका है। इसका सीधा असर घरेलू बाजार में कीमतों पर पड़ा है। किसानों के देश के कई हिस्सों में चालू मार्केटिंग सीजन के लिए तय 2015 रुपये प्रति क्विटंल के  न्यूनतम समर्थन मूल्य  (एमएसपी) से अधिक कीमत मिल रही है। मंडी में आने से पहले ही गेहूं  का भाव एमएसपी से ऊपर, 2100 से 2300 रूपये क्विंटल का दाम मिल रहा है ऐसे में 444 लाख टन के अभी तक के रिकार्ड सरकारी खऱीद लक्ष्य का पूरा होना संभव नहीं लग रहा है

एक अप्रैल से ज्यादातर राज्यों में गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड और दिल्ली समेत ज्यादातर राज्यों में गेहूं की खरीद आज से शुरू होकर 15 जून 2022 तक चलेगी। बिहार और हिमाचल प्रदेश में खरीद 15 अप्रैल से शुरू होगी और मध्य प्रदेश के कई जिलों में 20 मार्च से गेहूं की खरीद शुरू हो गई थी। इस बार गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य  (एमएसपी) 2,015 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। लेकिन मंडी में आने से पहले ही गेहूं  का भाव एमएसपी से ऊपर 2,100 से 2,300 रुपए क्विंटल चल रहा है।

भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई ने गेहूं की सरकारी खरीद के लिए कार्ययोजना जारी की है। इसमें कहा गया है कि रबी सीजन 2022-23 में 444 लाख टन गेहूं की खरीद की जाएगी। इतना बड़ा लक्ष्य पहले कभी निर्धारित नहीं किया गया था। पिछले साल 433.44 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। लेकिन क्या सरकारी क्रय केंद्रों पर इतनी खरीद संभव हो पाएगी? क्योंकि बाजार में एमएसपी से ज्यादा रेट चल रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के आंबेडकर नगर जिले के खजूर डीह गांव के किसान अश्विनी कुमार वर्मा और सर्वजीत वर्मा ने बताया, “बाजार में हम लगभग 2,150 रुपए के भाव पर गेहूं बेच रहे हैं, जबकि सरकारी क्रय केंद्रों पर एमएसपी 2,015 रुपए प्रति क्विंटल है। वहीं, सरकारी क्रय केंद्रों पर कई नियम व कटौतियां हैं। इसलिए ज्यादातर किसानों को बाजार में गेहूं बेचने में फायदा दिख रहा है।” उत्तर प्रदेश के आगरा में 2,150 रुपए, अजुहा में 2,100 रुपए, अकबरपुर में 2,050 रुपए, अलीगढ़ में 2,120 रुपए, आनंदनगर में 2,045 रुपए, बाराबंकी में 2,025 रुपए, बरेली में 2,050 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से व्यापारी गेहूं की खरीदारी कर रहे हैं। 

मध्य प्रदेश में बैतूल में 2,155 रुपए, भीकनगांव में 2,350 रुपए, भिंड में 2,100 रुपए, खरगोन में 2,300 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से व्यापारी गेहूं की खरीदारी कर रहे हैं। इसी तरह  पंजाब औऱ हरियाणा  में तो बाजार मूल्य 2,250 रुपए से 2,300 रुपए प्रति क्विंटल के बीच है। अब सवाल उठता है कि जब मंडियों मे एमएसपी से ज्यादा दाम मिल रहा है तो क्या किसान मंडियों में एमएसपी पर अपनी उपज बेचेगा?

एक और तथ्य यह है कि सरकारी क्रय केन्द्रों की तुलना में किसान का गेहूं बाजार में आसानी से बिक जाता है। व्यापारी उसे तुरंत पैसा भी दे देते हैं। इस तरह किसानों को हर तरफ से लाभ मिल रहा है। मध्य प्रदेश के इंदौर, खरगोन जिलों में सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं की खरीद जारी है। लेकिन वहां के किसान पंजीकरण के बावजूद समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। कई केंद्रों पर एक भी किसान नहीं पहुंचा है। हालांकि, यह किसानों के लिए अच्छी बात है क्योंकि बढ़ी हुई कीमत से किसानों को फायदा होगा।

बाजार सूत्रों के मुताबिक गेहूं की कीमतें एमएसपी से ऊपर ही रहने की संभावना है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण गेहूं की कीमतों में कमी की कोई संभावना नहीं है। रूस-यूक्रेन से गेहूं निर्यात ना होने के  कारण गेहूं की कीमतें ऊंची बनी रहेंगी। रूस और यूक्रेन गेहूं के सबसे बड़े उत्पादकों में हैं। इन परिस्थितियों में किसान अपनी भंडारण क्षमता के अनुसार गेहूं के ऊंचे दाम पाने के लिए स्टॉक करेंगे। इससे भी खुले बाजार में गेहूं के दाम ऊंचे रहेंगे।

इसलिए उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में गेहूं की सरकारी खरीद में गिरावट की आशंका जताई जा रही है। इस साल गेहूं के रकबे में 4.26 लाख हेक्टेयर की कमी आई है। रबी सीजन 2020-21 में 340.74 हेक्टेयर में गेहूं बोया गया था, जबकि 2021-22 में 336.48 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया गया है। फिर भी चालू वर्ष में देश में गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड 11.13 करोड़ टन रहने का अनुमान है। फसल वर्ष 2020-21 में रबी की मुख्य फसल गेहूं का उत्पादन 10.95 करोड़ टन हुआ था।

इस साल गेहूं की निर्यात मांग काफी है। वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने संसद में बताया कि इस वर्ष 21 मार्च तक 70.35 लाख टन गेहूं का निर्यात किया जा चुका है। मूल्य के लिहाज से देखें तो 203 करोड़ डॉलर के गेहूं का निर्यात अब तक हुआ। तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो 2020-21 में सिर्फ 21.55 लाख टन गेहूं का निर्यात भारत ने किया था। मूल्य के लिहाज से करीब 57 करोड़ डॉलर के गेहूं का निर्यात हुआ था

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