भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर, साथ ही दुनिया के एक बड़े हिस्से की खाद्य जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हैः नरेंद्र सिंह तोमर

भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता के साथ-साथ दुनिया के एक बड़े हिस्से की खाद्य जरूरतों को पूरा करने की क्षमता रखता है। देश भविष्य की जरूरतों और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए रणनीतिक योजनाओं के साथ आगे बढ़ रहा है। खेती में तकनीक का समावेश करते हुए किसानों तक पहुंच बढ़ाने व सिंचाई व्यवस्था से कृषि की लागत कम की जा सकेगी और उत्पादन और उत्पादकता को भी हम बढ़ा सकेंगे

भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर, साथ ही दुनिया के एक बड़े हिस्से की खाद्य जरूरतों को पूरा करने  में सक्षम हैः नरेंद्र सिंह तोमर

भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता के साथ-साथ दुनिया के एक बड़े हिस्से की खाद्य जरूरतों को पूरा करने की क्षमता रखता है. देश भविष्य की जरूरतों और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए रणनीतिक योजनाओं के साथ आगे बढ़ रहा है। यह बात केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) द्वारा आयोजित लीड्स-2022 कांफ्रेंस में कहीं।  कृषि मंत्री ने कहा कि उच्च खाद्यान्न उत्पादन को बनाए रखने के लिए उत्पादकता बढ़ाना आवश्यक है और देश भी इससे अवगत है। उन्होंने कहा कि खेती में तकनीक का समावेश करते हुए किसानों तक पहुंच बढ़ाने व सिंचाई व्यवस्था से कृषि की लागत कम की जा सकेगी औरउत्पादन और उत्पादकता को भी हम बढ़ा सकेंगे

कृषि मंत्री ने कहा इस दिशा में कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू की जा रही हैं जिससे खेती की चुनौतियों को कम किया जा सके और किसानों की आय बढ़ाई जा सके। इसके साथ ही भारत कृषि क्षेत्र में दुनिया का नंबर एक बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। सिंचाई प्रणाली, भंडारण और शीत भंडारण सहित कृषि बुनियादी ढांचे में निवेश में वृद्धि के कारण आने वाले वर्षों में भारत में कृषि उद्योग को और गति मिलने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों के बढ़ते उपयोग से भी भारतीय किसानों की पैदावार में वृद्धि होने की उम्मीद है।

कृषि मंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद देश में कृषि क्षेत्र ने 3.9 प्रतिशत विकास दर की महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। कृषि निर्यात का आंकड़ा भी चार लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। तोमर ने कहा कि विश्व की जनसंख्या 2050 तक नौ अरब  से अधिक होने से भोजन की मांग तेजी से बढ़ेगी, कृषि उद्देश्यों के लिए भूमि छोड़कर, पशुओं के लिए चराई भूमि और आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों की जरूरत होगी। ऐसे में कृषि पर काफी ध्यान देना होगा।  उन्होने कहा कि हाल के वर्षों में कृषि को प्राथमिकता देने के साथ देश में कृषि का काफी विस्तार हुआ है। हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े खाद्य उत्पादक देश के रूप में उभरे हैं।

भारत का भूगोल, जलवायु और मिट्टी बहुत विविधता वाला है। इसलिए यह स्वाभाविक रूप से कृषि उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला के उत्पादन में उत्कृष्टता प्राप्त करता है। तोमर ने कहा कि हम किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक फसलें उगाते हैं। भारत में विश्व में सर्वाधिक फसल घनत्व है। चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2021-22 में भारत का खाद्यान्न उत्पादन 31.57 करोड़  टन है। भारत को आत्मनिर्भर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सरकार देश के छोटे किसानों को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है।

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