इस वर्ष अभी तक 57 लाख टन चीनी का निर्यात हुआ, 44 फ़ीसदी निर्यात इंडोनेशिया और बांग्लादेश को

इस्मा ने कहा है कि इस वर्ष अभी तक 80 लाख टन चीनी निर्यात के सौदे हुए हैं। इसमें से 57 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया है। यह निर्यात अक्टूबर 2021 से मार्च 2022 तक हुआ है। एक साल पहले इसी अवधि में सिर्फ 32 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया था

इस वर्ष अभी तक 57 लाख टन चीनी का निर्यात हुआ, 44 फ़ीसदी निर्यात इंडोनेशिया और बांग्लादेश को

मौजूदा सीजन में इंडोनेशिया और बांग्लादेश भारतीय चीनी निर्यात के बड़े ठिकाने के रूप में उभरे हैं। चीनी मिलों के संगठन इस्मा के अनुसार भारत से जो चीनी निर्यात मौजूदा सीजन में हुआ है उसका 44 फ़ीसदी इंडोनेशिया और बांग्लादेश को गया है। पिछले साल भारत का 48 फ़ीसदी चीनी निर्यात इंडोनेशिया और अफगानिस्तान को किया गया था।

बाजार की रिपोर्ट और बंदरगाहों से मिली जानकारी के आधार पर इस्मा ने कहा है कि इस वर्ष अभी तक 80 लाख टन चीनी निर्यात के सौदे हुए हैं। इसमें से 57 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया है। यह निर्यात अक्टूबर 2021 से मार्च 2022 तक हुआ है। एक साल पहले इसी अवधि में सिर्फ 32 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया था।

डीजीसीआईएंडएस के डाटा के अनुसार, भारत ने वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 1.965 अरब डॉलर के बराबर का चीनी निर्यात किया था जो वित्त वर्ष 2020-21 में 2.790 अरब डॉलर तथा वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 4.6 अरब डॉलर तक पहुंच गया। वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल-फरवरी) में भारत ने इंडोनेशिया को 76.9 करोड़ डॉलर के बराबर का चीनी निर्यात किया जिसके बाद बांग्लादेश (56.1 करोड़ डॉलर), सूडान (53 करोड़ डॉलर) तथा संयुक्त अरब अमीरात (27 करोड़ डॉलर) का स्थान रहा।

इस्मा के मुताबिक घरेलू चीनी मिलों ने 15 अप्रैल तक 330 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। यह एक साल पहले की तुलना में 38 लाख टन ज्यादा है। सबसे अधिक उत्पादन महाराष्ट्र में 126.5 लाख टन का हुआ है। यहां पिछले साल 104 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।

इस्मा ने अपनी पिछली बैठक में मौजूदा वर्ष के लिए चीनी उत्पादन का अनुमान बढ़ाकर 350 लाख टन कर दिया है। इसने महाराष्ट्र में उत्पादन का अनुमान बढ़ाकर 134 लाख टन और कर्नाटक में 62 टन कर दिया है। इस्मा ने 90 लाख टन चीनी निर्यात की संभावना जताई है। 272 लाख टन घरेलू खपत को देखते हुए 30 सितंबर 2022 को चीनी वर्ष के अंत में 68 लाख टन चीनी का क्लोजिंग स्टॉक रहने की संभावना है।

इस्मा के अनुसार पिछले साल 15 अप्रैल को देश की 170 मिलों में गन्ने की पेराई जारी थी। इस साल इस तारीख को 305 मिलों में पेराई चल रही थी। महाराष्ट्र में 45 मिलों में पेराई बंद हो चुकी है और 153 में जारी है। पिछले साल इस समय राज्य में सिर्फ 54 मिलों में ही पेराई चल रही थी। उत्तर प्रदेश की 120 चीनी मिलों में से 52 मिलों में पेराई बंद हो चुकी है। कर्नाटक की 72 मिलों में से अभी सिर्फ सात में पेराई जारी है। 

उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक की देश में कुल चीनी उत्पादन में लगभग 80 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। देश के अन्य प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, बिहार, हरियाणा तथा पंजाब शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि भारत ब्राजील के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है। वित्त वर्ष 2010-11 के बाद से, भारत निरंतर चीनी का अधिशेष उत्पादन करता रहा है और आराम से घरेलू आवश्यकताओं से अधिक उत्पादन करता रहा है। 

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